अकादमी में एकजुट हुए अनेक वरिष्ठ कलाकार
कला शिक्षा व शिक्षकों की समस्या पर हुआ चिंतन
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी में अध्यक्ष की नियुक्ति के 31 दिन बाद अध्यक्ष डॉ. अश्विन दल्वी के निमंत्रण पर सोमवार 11 सितम्बर को अकादमी में नगर के वरिष्ठ कलाकार उनसे भेंट करने पहुंचे। चौंकाने वाली बात यह थी कि इस एकजुटता में अकादमी में बिना अध्यक्ष के भी सक्रिय रहने वाले कलाकारों के अलावा वह वरिष्ठ कलाकार भी उपस्थित थे जो सामान्यत: अकादमी में सक्रिय नजर नहीं आते। शायद यही कारण रहा कि प्राय: व्यक्तिगत लाभ, प्रभाव व पदों के लिए चिंतित रहने वाले वरिष्ठों के बीच कला शिक्षा व कला शिक्षकों की समस्या पर चर्चा हुई। इस बात पर सभी ने सहमत हुए कि राज्य में ललित कलाओं के समुचित विकास के लिए स्कूली शिक्षा में कला शिक्षा को उतना ही महत्व दिया जाय जितना कि पश्चिमी स्कूली शिक्षा में अंतरराष्ट्रीय शिक्षा बोड्र्स के माध्यम से दिया जाता है ।
डॉ. अश्विन दल्वी ने बताया कि वरिष्ठ कलाकारों के बीच अकादमी की राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय छवि बनाने को लेकर चर्चा हुई। इसी के साथ अकादमी की गरिमा को पुन:स्थापित करने को लेकर भी विमर्श किया गया। डॉ. दल्वी ने आशा व्यक्त की कि सभी का साथ लेकर अकादमी को उन्नत किया जा सकता है।
चर्चा में शामिल वरिष्ठ कलाकार प्रो. चिन्मय मेहता ने जानकारी दी कि विदेशों के स्कूलों में कलाओ का शिक्षण प्रशिशिक्षण इस लिए अनिवार्य नही है कि विद्यार्थी आगे चलकर महान चित्रकार बने बल्कि इसलिए भी अनिवार्य है कि वे उम्दा कला रसिक भी बने।
विडंवना यह है कि जंहां एक ओर राज्य में उच्च शिक्षा में कला शिक्षा में आये बदलाव के कारण प्रोफेशनल उपाधि प्राप्त कलाकार कला शिक्षक बनने के लिए तैयार बैठे है जो राज्य सरकार द्वारा कला शिक्षको की नियुक्ति में बंदी के काऱण संघर्षरत है।
प्रो. मेहता ने कहा कि देखा जाय तो स्कूलों में कला शिक्षा ही बच्चों को कलाओं को समझना और उनका आनंद लेने का संस्कार देती है तथा उन्हें एक अच्छा नागरिक और मनुष्य बनाने में मदद करती है ।
इस बैठक में एकजुट हुए कलाकारों में डॉ. विद्यासागर उपाध्याय, भवानी शंकर शर्मा, आर.बी. गौतम, प्रो. चिन्मय मेहता, डॉ. एस.एच काजी, समन्दर सिंह खंगारोत, वीरबाला भावसार, पद़मश्री अर्जुन प्रजापति, पद़मश्री शाकिर अली, तिलक गीताई शामिल थे।
1 टिप्पणी:
वाह बहुत खूब बेहतरीन जानकारी पूर्ण लेख
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