बुधवार, 23 अगस्त 2017

'अननोन्स-2'

 'अननोन्स-2' में युवा कृतिकारों के प्रदर्शन का 
आज अन्तिम दिवस
मूमल नेटवर्क, अमृतसर। इण्डियन अकेडमी ऑफ फाईन आर्टस की कला दीर्घा में भारत के 13 युवा कलाकारों की कृतियों से सजी प्रदर्शनी 'अननोन्स-2' में सजी कलाकृतियां दर्शकों का ध्यान आकर्षित कर रही हैं। आज प्रदर्शनी का समापन है।
इस प्रदर्शनी में भारत के विभिन्न हिस्सों में बसे 13 युवा कलाकारों की कल्पना व सोच को साकार करती कृतियां प्रदर्शित हैं। प्रदर्शनी में राजस्थान के चन्द्रप्रकाश जैन की गुहा चित्रशैली पर आधारित कृतियों में इंसानो की जानवरों के प्रति क्रूरता तथा पशुवत आचरण के प्रति बढ़ते इंसानों का बाखूबी चित्रण किया गया है। राजस्थान विश्वविद्यालय से कला शिक्षा की प्राप्ति के बाद विश्व प्रसिद्ध शांति निकेतन से इन्होने ग्राफिक आर्ट में मास्टर डिग्री प्राप्त की है।

प्रिंट वर्क, वुड प्रिंट तथा एचिंग में बेहतर चित्रण के लिए पहचाने जाने वाले उत्तराखण्ड निवासी अत्रि चेतन शांति निकेतन में एमएफए की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इनके चित्रों में मानव व उसकी आधुनिकता की जड़ों में अभिव्यक्त होती परम्पराओं की छवि सोचने को मजबूर करती है।

दिल्ली के आयुष बंसल के ज्यामितिक आकारों से सजे चित्रों में मानवीय मूल्यों का दर्शन होता है। आयुष उड़ीसा के बालासोर कॉलेज ऑफ आर्ट से बीवीए कर रहे हैं साथ ही सुभारती विश्वविद्यालय मेंरठ से कला परास्नातक की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

उड़ीसा के पट पेंटिंग की प्रयोगवादी शैली को स्पष्ट करते हैं उत्तर प्रदेश निवासीे मयंक सैनी के चित्र। इनके चित्रों में धार्मिक भाव के साथ रंगों की गहराई भी है।

उड़ीसा की अजमीरा खातून के चित्रों में स्त्री की छटपटाहट और उडऩे की ललक दोनों का बाखूबी चित्रण किया गया है।

उड़ीसा की भाग्यश्री बेहरा के चित्रों में कोमल रंगों की आभा उनके व्यक्तित्व की सौम्यता को दर्शाती हैं। स्त्री भावों का चित्रण इनका प्रिय विषय है।

सीतू के नाम से पहचाने जाने वाले उड़ीसा के समरेन्द्र बेहरा यूनिवर्सिटी ऑफ कल्चर भुवनेश्वर में एमवीए के छात्र हैं। इस प्रदर्शनी में उनकी कृतियां बाल मजदूरी से पीडि़त बच्चों की व्यथा का मार्मिक चित्रण कर रही हैं।

कॉलेज ऑफ आर्ट कलकोत्ता में एमएफए के विद्यार्थी तथा उड़ीसा निवासी संजय राऊल की वेस्ट लोहे से बना शिल्प 'गैंग' उनकी कल्पना शक्ति को दर्शाता है।

उड़ीसा की कला शिक्षिका श्रावन्ती मिश्रा के चित्रों में अति यथार्थवाद के साथ स्वपन संसार का सजीलापन सजा है।

उड़ीसा के बालासोर कॉलेज ऑफ आर्ट में एमएफए की छात्रा श्राबनी मोहन्ती के चित्रण का विषय कुछ हटकर है। इन्हें बुर्जुर्गों के अनुभव से भरे झुर्रियों भरे चेहरों को चित्रित करना पसन्द है।

आसनसोल पश्चिम बंगाल के संदीप देव के पेंसिल से बनाए चित्रों में जहां बारीकी नजर आती है वहीं उनका धेर्य भी लुभाता है।

 पश्चिम बंगाल के हरितिमा से लदे गांव पानी पारुल निवासी देबब्रत मण्डल के चित्रों में जीवन की उथल-पुथल के साथ सहजता सहज ही आकर्षित करती है। एक्रलिक रंगों के माध्यम से बनी कुम्हार के चाक पर बनती मिट्टी की कृति और उसके साथ का घर्षण जीवन के झंझावतों को स्पष्ट करती है।

पश्चिम बंगाल के सीमान्त पाउल का वॉटर कलर में खासा दखल है। वाटर कलर से बनाए उनके लैण्ड स्केप में बिखरी रंगों की छटा सहज ही आकर्षित करती है।

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