प्रिन्ट आर्ट की यात्रा को दर्शाती प्रदर्शनियां
राजस्थान भी शामिल
मूमल नेटवर्क, जयपुर। जेकेके की म्यूजियम आर्ट गैलेरीज में इन दिनों प्रिन्ट आर्ट पर आधारित तीन प्रदर्शनियां दर्शकों को खासा आकर्षित कर रही हैं। इनमें 'प्रिन्टआर्ट फ्रॉम राजस्थान' प्रदर्शनी में प्रदेश के 17 कलाकारों की कृतियों को प्रदर्शित किया गया है। प्रदर्शनी 'खेल' में गंजीफा व सांप सीढ़ी जैसे खेलों को दर्शाया गया है जबकि 'द प्रिन्टेड पिक्चर प्रदर्शनी' में इस विधा की चार शताब्दियों की यात्रा को दर्शाया गया है। 5 अगस्त को आरम्भ हुई्र इन प्रदर्शनियों का समापन लगभग 2 माह पश्चात 8 अक्टूबर को होगा।इस प्रदर्शनी में राजस्थान, भारत और विदेश में प्रिन्ट मेकिंग के इतिहास और इसे तैयार करने की प्रक्रिया की जानकारी दी जा रही है।
'द प्रिन्टेड पिक्चर'
इसमें गत चार शताब्दियों में भारतीय प्रिन्ट मेकिंग की स्थापना से लेकर अब तक की महत्वपूर्ण यात्रा प्रदर्शित की गई है। प्रिन्ट मेकिंग के कोलोनियल एंटरप्राइज से लेकर 18वीं शताब्दी में प्रिन्टिंग उद्योग के विकास को देखने-समझने का अनुभव सुखद है। यह भी बताया गया है कि भारतीय प्रिंट में शिल्पकारों से लेकर आर्ट स्कूल से प्रशिक्षित कलाकारों का कैसा योगदान रहा। इस प्रदर्शनी को कलाविद एवं शोधार्थी डॉ. पाउला सेनगुप्ता द्वारा क्यूरेट किया गया है।
'खेल'
इस प्रदर्शनी में 14 विभिन्न देशों के कलाकारों द्वारा भारत और मध्यपूर्व में ईजाद किये गये तीन प्राचीन खेलों जैसे कि गंजीफा, सांप-सीढ़ी और शतरंज को बुद्धिमतापूर्ण एवं बेहतरीन तरीके से दर्शाया गया है। जीवन के अनेक विरोधाभासों को प्रदर्शित करने वाले इन खेलों को कलाकारों ने सामाजिक एवं राजनीतिक दृष्टिकोण के अनुरूप प्रदर्शित किया है। इस प्रदर्शनी को बड़ोदा निवासी प्रख्यात प्रिन्ट मेकर कविता शाह द्वारा क्यूरेट किया गया है।
'प्रिन्ट्स फ्रॉम राजस्थान'
इस प्रदर्शनी में राजस्थान के प्रमुख कलाकारों की कला को प्रदर्शित किया गया है। बताया गया है कि गत पांच दशकों में भारत में इस शैली को सिखाने-बढ़ाने में इनका क्या योगदान रहा। प्रदर्शनी में जयपुर, उदयपुर व वनस्थली के साथ प्रदेश से बाहर दिल्ली मुबई में बसे 17 कलाकारों के काम को प्रदर्शित किया गया है। एक लम्बे अर्से के बाद राजस्थान के कई वरिष्ठ व अनुभवी प्रिन्ट मेकर्स की कृतियों को देखना सुखद है। प्रदर्शनी में वरिठ कलाकार डॉ. विद्यासागर उपाध्याय तथा प्रो. सुरेश शर्मा के साथ शैल चोयल, शाहिद परवेज, मनोज टेलर, भवानी शंकर शर्मा, विनय शर्मा, मुकेश शर्मा, दिलीप शर्मा, योगेन्द्र नरूका, गौरी शंकर सोनी, मीना बया, ज्योतिका राठौड़, डिम्पल चाण्डत, महेश सिंह, सुनील निमावत तथा रामगोपाल कुमावत का काम एकसाथ देखा जा सकता है। इस प्रदर्शनी को भी कविता शाह द्वारा क्यूरेट किया गया है।
सोमवार को छोड़कर शेष सभी दिन प्रदर्शनियां देखी जा सकती हैँ।
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