बुधवार, 30 अगस्त 2017

ट्रैवेलिंग टू लर्न आर्टस एंड क्राफ्टस


ट्रैवेलिंग टू लर्न आर्टस एंड क्राफ्टस
कला विद्यार्थियों को विदेश जाने का अवसर
फ्रांसिसी शिल्पकारों से मिलेगी तकनीकी जानकारी
आवेदन की अंतिम तिथि 20 अक्टूबर

मूमल नेटवर्क, जयपुर।
भारत के कला विद्यार्थियों के लिए विदेश जाकर वहां की कला तकनीक सीखने का सुनहरा अवसर आया है। यह अवसर नेशनल कमीशन फॉर यूनेस्को द्वारा दिया जा रहा है।
भारतीय छात्रों को कलाऔर शिल्प का वैश्विक अनुभव प्रदान करने के लिए नेशनल कमीशन फॉर यूनेस्को तथा यूनेस्को द फ्रेंच के तत्वावधान में फाउंडेशन कल्चर एंड डायवसर्टिीज विदेश यात्रा का आयोजन कर रही है। यूनेस्को के एक अधिकारी ने को बताया कि कला और शिल्प का वैश्विक अनुभव प्रदान करने के लिए आयोजित की जाने वाली इस यात्रा का नाम  'ट्रैवेलिंग टू लर्न आर्टस एंड क्राफ्टस' है। इस यात्रा के लिये आवेदन की अंतिम तिथि 20 अक्टूबर है। आवेदन सिर्फ भारतीय नागरिक ही कर सकते हैं ।
कला तकनीक के बारे में मिलेगी जानकारी
इस कार्यक्रम का उद्देश्य वंचित पृष्ठभूमि से आने वाले कला एवं शिल्प छात्रों को कला तकनीक से परीचित होने का अवसर देपा है। स्टडी टूर के इस कार्यक्रम के तहत उन छात्रों को फ्रेंच स्कॉलरशिप दी जाती है, जो अपने अध्ययन के अंतिम चरण में हैं। इस कार्यक्रम के तहत भारतीय विद्यार्थियों को फ्रांसिसी शिल्पकारों से कला तकनीक सीखने का मौका मिलेगा।
कलाकारों को प्रोफेशनल बनने में मदद
यह कार्यक्रम छात्रों को एक पेशेवर माहौल में काम करने में सक्षम बनाते हुए उन्हें अपना प्रोफेशनल कॅरियर शुरू करने में मदद करता है । इससे छात्रों को कई चीजों में मदद मिलती है, मसलन विदेशों में नए कौशल और सांस्कृतिक अनुभव हासिल करना, नए-नए उत्पादों की डिजाइन और उनकी रचना के बारे में जानकारी प्राप्त करना, पेशेवर संपर्क और संबंध विकसित करने और अंतरराष्ट्रीय मेलों में भाग लेने और अपने काम को वहां पेश करने का ज्ञान इत्यिादि ।
केवल विद्यार्थी ही कर सकते हैं आवेदन
अधिकारी ने बताया कि इस यात्रा कार्यक्रम में किेवल विद्यार्थी ही आवेदन कर सकते हैं, वरिष्ठ कलाकार नहीं । इसके लिए आवेदकों के पास अनिवार्य रूप से आट्र्स एंड क्राफ्ट डिप्लोमा के समकक्ष कम से कम दो वर्ष का अध्ययन, आट्र्स एंड क्राफ्ट (कला और शिल्प) विद्यालय या संस्थान या विश्वविद्यालय में नामांकन होना चाहिये। इसके साथ आवेदक तिवद्यार्थी कोई छात्रवृत्ति या पुरस्कार विजेता होना चाहिए। आवेदक को फ्रांसिसी और अंग्रेजी भाषा बोलनी व समझनी आनी चाहिये। आवेदन जमा करने की आखिरी तारीख 20 अक्तूबर 2017 है । आवेदन सिर्फ  ईमेल के जरिए ही भेजा जा सकता है।

शुक्रवार, 25 अगस्त 2017

Photography fellowship 2017

Photography fellowship 2017 by India Habitat Center Delhi

Eligibility:
  • For Indian Nationals only.
  • For individual photographers only. Collaborative applications are not acceptable.
  • Applicant must be between 25-50 years of age.
  • The submitted project should not be sent to any other fellowship/scholarship/ publication for consideration while it is in our review process.

Fellowship Criteria:
The India Habitat Centre Fellowship for Photography is a grant aimed at supporting emerging photographers already working on a project. It is not a portfolio competition. The award will go to a photographer who demonstrates his/her ability to work on a long-term project by conceiving and writing a concise, focused and meaningful story proposal. The accompanying images need to justify the written proposal. The written proposal must be well defined in scope, with a time frame of approximately one year from start to finish. A three-member jury committee of experts in documentary arts, arts management and publishing will evaluate applications to select the winner of the Fellowship.

Application Procedure:
There is no application fee for this Fellowship. An application shall comprise the following:
  • Project Summary – summary must clearly specify the intent of the project, the project title, relevant background information and expected course of the project. This summary will play a decisive role in the overall evaluation by the jury committee. This summary should be typed on an A4 sheet and not exceed one page. Please note: The project should be focused on one subject only.
  • Image submissions – 12 images should be enclosed with the application. Only Color and B&W photographic prints are acceptable. Should the applicant be using transparency film, then digital prints of the same should be enclosed. The specification for the print size is 10 x 12 inches. Each print must have the name of the photographer and the project title on the reverse. Entries on CDs or any other media will not be acceptable.
    Please note: Entries with less/more than the required 12 images will be eliminated.
  • Caption and/or Title List – should be typed on a separate A4 sheet listing information for each image enclosed in the application.
  • Resume/Curriculum Vitae – typed on an A4 sheet must be enclosed. It should not exceed one page. It should include the applicant’s date of birth and contact details.

Submission of Proposal:
Applications should be forwarded either by registered mail or courier. Please write ‘no commercial value’ on the package to avoid extra costs and delays. Submissions will not be returned without a self-addressed and self stamped envelope. Applicants can also opt to collect their submissions from the Visual Arts Gallery, India Habitat Centre, Lodhi Road, New Delhi 110003, India.
Submissions will not be returned without a self-addressed and self stamped envelope. Applicants can also opt to collect their submissions from the Visual Arts Gallery, India Habitat Centre, Lodhi Road, New Delhi 110003, India.
Last date of Submission 15th October 2017

All submissions must be sent to: Dr. Alka Pande,
Visual Arts Gallery,
India Habitat Centre,
Lodhi Road,
New Delhi – 110003.
Tel: +(91) 11-43662024 - 25
Fax: +(91) 11-24682010, 24682011
Email: visualartsgalleryevents@gmail.com
https://www.facebook.com/IndiaHabitatCentreFellowship

कला शिक्षक डॉ. नोगेन्द्र नरूका हुए सम्मानित

कला शिक्षक डॉ. नोगेन्द्र नरूका हुए सम्मानित
मूक-बधिर विद्यार्थियों को कला के प्रति प्रेरित करने के लिए मिला सम्मान
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजकीय सेठ आनन्दी लाल पोद्दार मूक बधिर उच्च माध्यमिक विद्यालय के चित्रकला व्याख्याता व प्रभारी डॉ. योगेन्द्र सिंह नरूका को राष्टद्यीय स्तर के सम्मान से सम्मानित किया गया है।  यह सम्मान उन्हें  मूक-बधिर विद्यार्थियों को कला के प्रति प्रेरित व प्रोत्साहित करने के लिए मिला है।  ऐसोसिएशन ऑफ  स्पेशल एजूकेटर्स एण्ड अलाईड प्रोफेशनल्स, ऐसोसिएशन ऑफ  डिसेबल्ड पीपुल एवं पैरा स्पोटर्स फाउन्डेशन द्वारा फर्स्ट इंटरनेशनल एक्सीलेन्सी अवॉर्डस 2017 के रूप में डॉ नरूका को सम्मान मिला है। 23 अगस्त को इण्डिया इंटरनेशनल सेन्टर, नई दिल्ली में आयोजित भव्य समारोह में केन्द्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री थावर चन्द गहलोत व ऐसोसिएशन ऑफ  स्पेशल एजूकेटर्स एण्ड अलाईड प्रोफेशनल्स के सचिव हेक्टर रविन्द्र दक्ष ने उन्हें सम्मानित किया।  डॉ. नरूका द्वारा यह सम्मान प्राप्त करने पर राजकीय सेठ आनन्दी लाल पोद्दार मूक बधिर उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य मह ेश वाधवानी, अभिभावक संघ के सचिव  योगेन्द्र जोशी, उपाध्यक्ष निमिता देवजानी, कोषाध्यक्ष मीना अरोड़ा ने इनका अभिनन्दन किया।


बुधवार, 23 अगस्त 2017

'अननोन्स-2'

 'अननोन्स-2' में युवा कृतिकारों के प्रदर्शन का 
आज अन्तिम दिवस
मूमल नेटवर्क, अमृतसर। इण्डियन अकेडमी ऑफ फाईन आर्टस की कला दीर्घा में भारत के 13 युवा कलाकारों की कृतियों से सजी प्रदर्शनी 'अननोन्स-2' में सजी कलाकृतियां दर्शकों का ध्यान आकर्षित कर रही हैं। आज प्रदर्शनी का समापन है।
इस प्रदर्शनी में भारत के विभिन्न हिस्सों में बसे 13 युवा कलाकारों की कल्पना व सोच को साकार करती कृतियां प्रदर्शित हैं। प्रदर्शनी में राजस्थान के चन्द्रप्रकाश जैन की गुहा चित्रशैली पर आधारित कृतियों में इंसानो की जानवरों के प्रति क्रूरता तथा पशुवत आचरण के प्रति बढ़ते इंसानों का बाखूबी चित्रण किया गया है। राजस्थान विश्वविद्यालय से कला शिक्षा की प्राप्ति के बाद विश्व प्रसिद्ध शांति निकेतन से इन्होने ग्राफिक आर्ट में मास्टर डिग्री प्राप्त की है।

प्रिंट वर्क, वुड प्रिंट तथा एचिंग में बेहतर चित्रण के लिए पहचाने जाने वाले उत्तराखण्ड निवासी अत्रि चेतन शांति निकेतन में एमएफए की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इनके चित्रों में मानव व उसकी आधुनिकता की जड़ों में अभिव्यक्त होती परम्पराओं की छवि सोचने को मजबूर करती है।

दिल्ली के आयुष बंसल के ज्यामितिक आकारों से सजे चित्रों में मानवीय मूल्यों का दर्शन होता है। आयुष उड़ीसा के बालासोर कॉलेज ऑफ आर्ट से बीवीए कर रहे हैं साथ ही सुभारती विश्वविद्यालय मेंरठ से कला परास्नातक की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

उड़ीसा के पट पेंटिंग की प्रयोगवादी शैली को स्पष्ट करते हैं उत्तर प्रदेश निवासीे मयंक सैनी के चित्र। इनके चित्रों में धार्मिक भाव के साथ रंगों की गहराई भी है।

उड़ीसा की अजमीरा खातून के चित्रों में स्त्री की छटपटाहट और उडऩे की ललक दोनों का बाखूबी चित्रण किया गया है।

उड़ीसा की भाग्यश्री बेहरा के चित्रों में कोमल रंगों की आभा उनके व्यक्तित्व की सौम्यता को दर्शाती हैं। स्त्री भावों का चित्रण इनका प्रिय विषय है।

सीतू के नाम से पहचाने जाने वाले उड़ीसा के समरेन्द्र बेहरा यूनिवर्सिटी ऑफ कल्चर भुवनेश्वर में एमवीए के छात्र हैं। इस प्रदर्शनी में उनकी कृतियां बाल मजदूरी से पीडि़त बच्चों की व्यथा का मार्मिक चित्रण कर रही हैं।

कॉलेज ऑफ आर्ट कलकोत्ता में एमएफए के विद्यार्थी तथा उड़ीसा निवासी संजय राऊल की वेस्ट लोहे से बना शिल्प 'गैंग' उनकी कल्पना शक्ति को दर्शाता है।

उड़ीसा की कला शिक्षिका श्रावन्ती मिश्रा के चित्रों में अति यथार्थवाद के साथ स्वपन संसार का सजीलापन सजा है।

उड़ीसा के बालासोर कॉलेज ऑफ आर्ट में एमएफए की छात्रा श्राबनी मोहन्ती के चित्रण का विषय कुछ हटकर है। इन्हें बुर्जुर्गों के अनुभव से भरे झुर्रियों भरे चेहरों को चित्रित करना पसन्द है।

आसनसोल पश्चिम बंगाल के संदीप देव के पेंसिल से बनाए चित्रों में जहां बारीकी नजर आती है वहीं उनका धेर्य भी लुभाता है।

 पश्चिम बंगाल के हरितिमा से लदे गांव पानी पारुल निवासी देबब्रत मण्डल के चित्रों में जीवन की उथल-पुथल के साथ सहजता सहज ही आकर्षित करती है। एक्रलिक रंगों के माध्यम से बनी कुम्हार के चाक पर बनती मिट्टी की कृति और उसके साथ का घर्षण जीवन के झंझावतों को स्पष्ट करती है।

पश्चिम बंगाल के सीमान्त पाउल का वॉटर कलर में खासा दखल है। वाटर कलर से बनाए उनके लैण्ड स्केप में बिखरी रंगों की छटा सहज ही आकर्षित करती है।

जेकेके ने वित्तीय सहायता देने के लिए चुनी तीन महिला निर्देशक

जेकेके ने  वित्तीय सहायता देने के लिए 
 चुनी तीन महिला निर्देशक
मूमल नेटवर्क, जयपुर। जेकेके में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, नई दिल्ली के सहयोग से जून में आयोजित की गई राष्ट्रीय स्तर की थियेटर वर्कशॉप की प्रतिभागियों में से तीन महिला निर्देशकों का ज्यूरी द्वारा वित्तीय सहायता के लिए चयन किया गया है। इन तीनों महिला निर्देशकों को एक-एक लाख रूपए की वित्तीय सहायता प्रदान की जायेगी। चुनी गई महिला लिर्देशक हैं, राजस्थान की मूमल तंवर व वाग्मी राघव तथा चंडीगढ़ की अम्बिका कमल। वित्तीय सहायता के साथ इन्हें नाटकों को तैयार करने में नेशनल स्कूल ऑफ  ड्रामा की फैकल्टी का मार्गदर्शन भी मिलेगा।
महिला निर्देशकों को चुनने के लिए गठित ज्यूरी मेम्बर थीं त्रिपुरारी शर्मा, कीर्ति जैन एवं नीलम मानसिंह।

जेकेके की थियेटर कलाकारों को वित्तीय सहायता देने की योजना

  
   जेकेके की थियेटर कलाकारों को 
वित्तीय सहायता देने की योजना
एक से छ: लाख रुपए तक की होगी वित्तीय सहायता
प्रस्ताव आमन्त्रित
अन्तिम तिथी 20 व 29 सितम्बर

मूमल नेटवर्क, जयपुर। जवाहर कला केन्द्र द्वारा थियेटर कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तिय सहायता देने कका निर्णय लिया गया है। दी जाने वाली वित्तीय सहायता में युवाओं और महिलाओं को प्रमुखता दी जाएगी। वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए जेकेके ने राजस्थान के कलाकारों से प्रस्ताव आमन्त्रित किए हैं। केन्द्र द्वारा यह सहायता युवा निर्देशकों को प्रोत्साहित करने तथा  थिएटर जगत में महिला निर्देशकों की संख्या बढ़ाने के साथ थिएटर में नवाचारों को शामिल करने के उद्देश्य से दी जा रही है।
यह रहेगी प्रक्रिया
युवा निर्देशकों के लिए

प्राप्त प्रस्तावों में से जेकेके द्वारा गठित थिएटर विशेषज्ञों की राष्ट्रीय स्तर की ज्यूरी द्वारा युवा निर्देशकों के तीन नाटकों का चयन किया जाएगा। इन नाटकों के निर्देशकों को नाटक के निर्माण एवं तैयारी के लिए एक-एक लाख रूपए की वित्तीय सहायता प्रदान किया की जायेगी।
युवा थियेटर निर्देशकों की श्रेणी में वित्तीय सहायता के प्रस्ताव भेजने के लिए निर्देशक की उम्र 18 से 35 वर्ष के मध्य होनी चाहिए। साथ ही उन्हें थिएटर निर्देशन का कम से कम 3 वर्ष का अनुभव मांगा गया है। प्रस्ताव भेजने की अंतिम तिथि 20 सितम्बर, 2017 है।
चयनित नाटकों का जेकेके में दो बार मंचन किया जाएगा।
वरिष्ठ निर्देशक या थिएटर संस्था के लिए
एक वरिष्ठ निर्देशक या थिएटर संस्था को छह लाख रुपए की वित्तीय सहायता दी जायेगी। इसके लिए चुने गए थिएटर आर्टिस्ट या संस्था के नाटक का जेकेके में तीन बार मंचन किया जाएगा, जो एक बार 'नवरस' में भी शामिल होगा। इसमें आवेदन करने हेतु निर्देशक को कम से कम 5 वर्ष का निर्देशन अनुभव मांगा गया है। प्रस्ताव भेजने की अंतिम तिथि 29 सितम्बर 2017 है।

मंगलवार, 22 अगस्त 2017

आर्ट फेयर का तीसरा एडीशन 13 अक्टूबर से
मूमल नेटवर्क, अहमदाबाद। अहमदाबाद आर्ट फेयर के तीसरे एडीशन की शुरुआत 13 अक्टूबर से की जा रही है। तीन दिवसीय फेयर का समापन 15 अक्टूबर को होगा। इस वर्ष का फेयर स्कलपचर्स व इंस्टॉलेशन पर आधारित होगा। फेयर में गांधीजी को केन्द्र में रखकर एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है। प्रतियोगिता 'गांधी और मैं' में गांधीजी और उनके विचारों को स्कलपचर्स और इंस्टॉलेशन के माध्यम से अभिव्यक्त करना होगा। श्रेष्ठ कृति को एक लाख इक्यावन हजार रुपए के पुरस्कार से नवाजा जाएगा। पुरस्कृत कृति को जन सेवा कार्य के लिए डोनेट करने की योजना है। फेयर में कलाकारों के साथ आर्ट गैलेरीज, फाउण्डेशन तथा इंस्टीट्यूटस भी हिस्सा ले सकते हैं।

          
फोटोग्राफी फैलोशिप के लिए आवेदन आमन्त्रित
मूमल नेटवर्क, दिल्ली। इण्डिया हैबिटेड सेन्टर फोटोग्रराफी क्षेत्र की फैलोशिप के लिए आवेदन आमन्त्रित कर रही है। आवेदन की अन्तिम तारीख 15 अक्टूबर है। 25 से 50 वर्ष की आयु वाले भारतीय नागरिक ही इस फैलोशिप के लिए आवेदन कर सकते हैं। फैलोशिप की राशि 2 लाख रुपए है।

सोमवार, 21 अगस्त 2017

38वीं छात्र कला प्रदर्शनी

 
38वीं छात्र कला प्रदर्शनी
प्रविष्टियां जमा करवाने की अन्तिम तारीख 14 सितम्बर
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी द्वारा 38वीं छात्र कला प्रदर्शनी के लिए राजस्थान के कला विद्यार्थियोंं से कलाकृतियां आमन्त्रित की जा रही हैं। अकादमी में कलाकृतियां जमा करवाने की अन्तिम तिथि 14 सितम्बर है।
सर्वश्रेष्ठ 10 कृतियों को 5-5 हजार रुपए की नकद पुरस्कार राशि से सम्मानित किया जाएगा। प्रविष्टिी हेतु विद्यार्थी अधिकतम तीन कृतियां ही भेज सकते हैं। प्रदर्शनी के लिए प्रविष्टियां भेजने वाले विद्यार्थी की आयु 15 से 25 वर्ष के बीच होनी चाहिए।

रविवार, 20 अगस्त 2017

'अननोन्स-2' प्रदर्शनी का उद्घाटन आज शाम 5 बजे

'अननोन्स-2' प्रदर्शनी का उद्घाटन आज शाम 5 बजे

                   
                   जयपुर के चन्द्रशेखर जैन का काम सम्मिलित
मूमल नेटवर्क, अमृतसर। भारत के 13 युवा कलाकारों की कृतियों से सजी प्रदर्शनी 'अननोन्स-2' का उद्घाटन आज शाम 5 बजे इण्डियन अकेडमी ऑफ फाईन आर्टस की कला दीर्घा में किया जाएगा। उद्घाटन अकेडमी अध्यक्ष राजिन्द्र्र्र मोहन सिंह चिन्ना करेंगे।

इस प्रदर्शनी में भारत के विभिन्न हिस्सों में बसे 13 युवा कलाकारों की कल्पना व सोच उनकी कृतियों में देखी जा सकेगी। प्रदर्शनी में राजस्थान के चन्द्रप्रकाश जैन सहित उत्तराखण्ड से अत्रि चेतन, दिल्ली से आयुष बंसल, उत्तर प्रदेश से मयंक सैनी, उड़ीसा से अजमीरा खातून, भाग्यश्री बेहरा, समरेन्द्र बेहरा, संजय राऊल, श्राबनी मोहन्ती व श्रावन्ती मिश्रा तथा पश्चिम बंगाल से संदीप देव, देबू मण्डल व सीमान्त पाउल अपनी कृतियों के साथ हिस्सा ले रहे हैं।
यह प्रदर्शनी 24 अगस्त तक चलेगी।

गुरुवार, 17 अगस्त 2017

'द वर्ल्ड कैलिग्राफी बिनाले' में भारत से एकमात्र विनय शर्मा

 'द वर्ल्ड कैलिग्राफी बिनाले' में भारत से 

एकमात्र विनय शर्मा

मूमल नेटवर्क, जयपुर। कोरिया में आगामी 21 अक्टूबर से 19 नवम्बर तक आयोजित होने वालेे 'द वर्ल्ड कैलिग्राफी बिनाले' में प्रदेश के सुप्रसिद्ध कलाकार विनय शर्मा भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। आयोजन अध्यक्ष के आमन्त्रण पर वो इसमें अपनी कृतियों के साथ उपस्थित हो रहे हैं। इससे पहले विनय ने कतर में दोहा एशियाई खेलों के दौरान आयोजित एशियन आर्ट प्रदर्शनी में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया था। इस बैनाले में विनय अपनी कैलीग्राफी कृतियों के प्रदर्शन के साथ लाईव डेमो का भी प्रदर्शन करेंगे।

विनय ने प्राचीन लिपियों की कैलिग्राफी में पुरातन का आधुनिकता में समावेश किया हैं। कैलीग्राफी में उनकी प्रयोगधर्मिता सराहनीय है। उनकी कलाकृतियों में कैलीग्राफी के अनूठे दृश्य उभर कर सामने आते हैं। काफी समय पहले इन्होंने प्रकृति और जीवन से जुड़ी कैलिग्राफी श्रृंखला बनाई थी। इसमें पेड़-पौधों और जीवन से जुड़े सरोकारों की मनोरम प्रस्तुति हुई थी। इन्होंने अपने स्टूडियों में होने वाली विभिन्न कलाओं के अंत:संबंधों पर आधारित प्रयोग यथा नृत्य, नाट्य, वास्तु से जुड़े दृश्यों को भी कैलिग्राफी में व्यक्त किया था। कुछ समय पहले ही लघु कैनवस पर इन्होंने कैलिग्राफी शैली में गणेश के विविध रूपों को प्रदर्शित किया था।
कोरिया में आयोजित होने जा रहे 'द वर्ल्ड कैलिग्राफी बिनाले' में विनय शर्मा भारतीय संस्कृति से जुड़े आख्यानों आधारित अपनी कैलिग्राफी पेंटिंग का प्रदर्शन करेंगे। विनय शर्मा बताते हैं, 'कैलीग्राफी अथवा अक्षरांकन लिखने की ही नहीं कलाकृतियों रचने की भी दृश्यात्मक शैली है। प्राचीन काल में कैलीग्राफी के जरिए ही इतिहास का चित्रात्मक प्रदर्शन किया जाता था। अतीत से जुड़े संदर्भों की कैलिग्राफी दृश्य कहलाती है।'
 उल्लेखनीय है कि वर्ल्ड कैलिग्राफी बिनाले' विश्वभर के कैलिग्राफी कलाकारों का साझा मंच है।

मंगलवार, 15 अगस्त 2017

प्रयोगवादी कलाकार ललित शर्मा को राजकीय सम्मान

प्रयोगवादी कलाकार ललित शर्मा को मिला राजकीय  सम्मान
मूमल नेटवर्क, उदयपुर। मिनिएचर को अपनी शैली और अंदाज में ढालने वाले उदयपुर के वरिष्ठ चित्रकार ललित शर्मा को स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर सम्मानित किया गया है। उन्हें यह सम्मान परम्परागत वास्तुकला के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रशस्ति-पत्र के रूप में प्रदान किया गया।
ललित शर्मा के चित्रों में प्रकृति के साथ वास्तु कला का अद्भुत सम्मिरश्रण तथा नगर नियोजन का सुन्दर रूप देखने योग्य होता है। उनके चित्रों में बने हुए मकान व किले ज्यामतिक आंकड़ों की सटीकता लिए होते हैं। पुरखों की परम्परागत लघु चित्र शैली से अलग अपने ही अन्दाज में इस चित्र शैली के मूल भाव को सम्माहित करते हुए उन्होने अपनी एक अलग शैली इजाद की जो उनके बनाए चित्रों के रूप में आज देश-विदेश के कला संग्राहकों के संग्रह में की शोभा बढ़ा रही है।

सोमवार, 14 अगस्त 2017

'आभास' में निशक्त की शक्ति

'आभास'  में निशक्त की शक्ति

मूमल नेटवर्क, जयपुर। इन दिनों जेकेके में प्रिन्ट आर्ट पर आधारित तीन प्रदर्शनियां लगी हुई हैं। पिछले दिनों प्रदर्शनी के दौरान टेक्टाईल आर्ट एक्सपीरियंस वर्कशॉप का आयोलन किया गया जिसमें करीब 100 विद्यार्थियों ने भाग लिया। विशेश बच्चों के लिए आयोजित इस वर्कशॉप में उमंग स्कूल, आरएनकेएस ब्लाइंड स्कूल तथा सेठ आनंदीलाल पोद्दार मूक बधिर संस्थान के विद्यार्थियों ने भाग लिया।
इसके प्रतिभागियों को ब्रेल टेक्टाईल पेंटिंग्स, लार्ज स्क्रिप्ट फॉन्ट्स एवं साइन इंटरप्रेटर्स के बारे में सिखाया गया। इस वर्कषॉप का उद्देश्य आर्ट एग्जीबिशंस को एक्सेसबल तथा डिसेबल फ्र्रेंडली बनाना था। वर्कशॉप का एक उद्देश्य सभी के लिए समान भाव सेकला को सुलभ बनाना भी था।

प्रदर्शनी को डिसेबल फे्रंडली बनाने के लिए विषेष योग्यजनों को आर्ट गैलरीज में प्रिंट्स छूने की स्वतन्त्रता दी गई।। प्रतिभागियों को प्रिंट मेकिंग की विभिन्न तकनीकों की जानकारी दी गई और भारत में पिं्रट मेकिंग की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के बारे में भी बताया गया। सभी संस्थाओं से आए हुए बच्चों ने प्रिंट तकनीक की सरलतम जानकार प्राप्त करने का आनन्द लिया। यह वर्कशॉप हेरिटेज आर्किटेक्ट तथा एक्सेस फॉर ऑल के सिद्धांत शाह के सहयोग से डीएजी मॉडर्न द्वारा आयोजित की गई थी।

शनिवार, 12 अगस्त 2017

काफी कुछ नया करना है


काफी कुछ नया करना है

कला जगत स्चयं को समग्र माने तब ही हर पक्ष का मान बढ़ेगा

राजस्थान ललित कला अकादमी के नवनियुक्त अध्यक्ष डॉ. अश्विन एम. दलवी का कहना है कि अकादमी की वर्तमान गतिविधियों को सुचारु रखते हुए काफी कुछ नया करना है।
पद ग्रहण के बाद डॉ. दलवी ने 'मूमल' से हुई एक विशेष भेंट में अपने पद की जिम्मेदारियों के सकारात्मक स्वप्न का कैनवास बुनते हुए अपने विचार रखे। उनका कहना है कि कला जगत स्चयं को समग्र माने तब ही कला के हर पक्ष का मान बढ़ेगा और वो उन्नति की ओर अग्रसर होगा।
अध्यक्ष ने अपनी युवा व एनर्जिक सोच का परिचय देते हुए कहा कि तय कार्यक्रमों से अधिक एडीशनल क्रिएटिव कार्यक्रम हो इस पर जोर दिया जाएगा। कार्यक्रम सुचारु रूप से सम्पन्न हो सके इसके लिए सरकार से प्राप्त बजट के साथ फण्ड उपार्जन की दिशा में कार्य किया जाएगा। उनका मत है कि कार्यक्रमों में सब लोगों की समान रूप से भागीदारी होनी चाहिए। डॉ. दलवी का कहना है कि कन्टेम्पररी आर्ट को सम्मान देते हुए ट्रेडीशनल आर्ट को भी बराबरी की हिस्सेदारी मिल सके इस दिशा में प्रयत्न किया जाएगा। जो कलाएं या शैलियां लुप्त होने के कगार पर हैं या कम हो गई हैं वो प्रमुखता से उबर कर सामने आएं और रिकवर हों, यह मेरी प्रमुखता रहेगी।
संगीत दिखेगा व चित्र गाएंगे
जब डॉ दलवी से संगीत और दृश्य कला के समन्वय के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि मैंने संगीत को विजुअल से जोड़कर कार्यक्रम किए हैं और अकादमी में भी ऐसे कार्यक्रम प्लान किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों में संगीत दिखेगा व चित्र गाएंगे।
सबको साथ लेकर चलने की विचारधारा वाले अकादमी अध्यक्ष जल्दी ही अनुभवी कलाकारों की मीटिंग बुलाकर उनसे सलाह मशवरा कर अकादमी कार्यक्रमों को नई दिशा देंगे।
अमुमन जब भी कोई नया अध्यक्ष पद भार ग्रहण करता है तो हाऊस बनने तक चल रहे कार्यक्रमों पर भी ग्रहण लग जाता है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा डॉ. दलवी का मत है कि समिति गठन का कार्य किसी कार्यक्रम की बाधा नहीं बनेगा, गतिविधियां अपने पूर्व नियोजन के अनुरूप सुचारू रूप से चलती रहेंगी।
अकादमी को लेकर अपने सपनों के प्रति आशान्वित डॉ. दलवी का दावा है कि साल भर के भीतर अकादमी कार्यक्रमों का सकारात्मक लेखा-जोखा वो निश्चित रूप से देंगेे।
डॉ अश्विन महेश दलवी: एक परिचय
सन् 1977 में प्रदेश के जाने-माने तबला वादक स्व. महेश दलवी के घर इनका जन्म हुआ। ऑंख खुलते ही सात सुरों के बीच परवरिश हुई और शिक्षा दीक्षा भी संगीत में ही हुई। पिता की प्रेरणा से सितार इनका प्रिय वाद्य बना और सुर बहार में दक्षता प्राप्त की। संगीत में पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद 'पं. निखिल बनर्जी का जीवन परिचय और संगीत जगत को उनकी अनुपम देन' विषय के साथ डाक्टरेट की उपाधि हासिल की। कॅरियर संगीत शिक्षक के रूप में आरम्भ हुआ और देश के ख्यात विश्वविद्यालय वनस्थली विद्यापीठ से लेकर एम.एस. यूनीवर्सिटी बड़ौदा में शिक्षक रूप में कार्य किया। रुझाान संगीत व तमाम कलाओं के रिसर्च के प्रति इतना बढ़ा की बड़ौदा छोड़ अपने गृह नगर जयपुर आकर शोध में सक्रिय हुए और आज भी कई जिज्ञासुओं के मार्गदर्शक व मददगार हैं। संगीत के साथ-साथ इंस्टालेशन में भी इनका योगदान रहा है। डॉ दलवी ने बताया, इस वर्ष के अन्त में जयपुर आर्ट समिट के लिए युवा शिल्पी हंसराज कुमावत के साथ एक इंस्टालेशन तैयार करने की योजना है।

शुक्रवार, 11 अगस्त 2017

59वीं वार्षिक कला प्रदर्शनी के लिए कलाकृतियां आमन्त्रित

59वीं वार्षिक कला प्रदर्शनी के लिए कलाकृतियां आमन्त्रित

मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी द्वारा 59वीं वार्षिक कला प्रदर्शनी के लिए कलाकारों से कलाकृतियां आमन्त्रित की जा रही हैं। हमेशा कमी तरहा इस वर्ष भी प्रदर्शनी में शामिल होने के लिए प्रवेश शुल्क 100 रुपए रखा गया है। अकादमी में कलाकृतियां जमा करवाने की अन्तिम तिथि 27 सितम्बर है।
सर्वश्रेष्ठ 10 कृतियों को 25-25 हजार रुपए की नकद पुरस्कार राशि से सम्मानित किया जाएगा। इन 10 पुरस्कारों में से 2 ग्राफिक ड्राईंग कृतियों को तथा 2 मूर्तिकला को दिए जाएंगे। नियम के अनुसार जो कलाकार पुरस्कार के लिए कृतियां नहीं दे सकते वे 'प्रतियोगिता के लिए नहीं' श्रेणी में प्रदर्शनी का हिस्सा बन सकते हैं। प्रत्येक कृतिकार को तीन कृतियां भेजना अनिवार्य है।

राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट प्रिंसिपल का पद ग्रहण करेंगी डॉ. भारद्वाज

कल राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट प्रिंसिपल
 का पद ग्रहण करेंगी डॉ. भारद्वाज
मूमल नेटवर्क, जयपुर। कल 11 अगस्त को डॉ. ज्योत्सना भारद्वाज राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट के प्रिंसिपल पद का भार ग्रहण करेंगी। डॉ. ज्योत्सना को आयुक्तालय कालेज शिक्षा के संयुक्त निदेशक प्रशासन से ट्रांसफर कर प्रिंसिंपल स्कूल ऑफ आर्ट पद पर लगाया गया है। डॉ. ज्योत्सना की सेवानिवृति अक्टूबर 2018 में होनी है। उल्लेखनीय है कि 3 अगस्त को डॉ. अखिलश्वर शर्मा द्वारा एच्छिक सेवानिवृति लेने के बाद प्रिसिंपल पद रिक्त हो गया था।

डॉ. अश्विनी एम. दलवी ने ग्रहण किया राजस्थान ललित कला अकादमी का अध्यक्ष पद

डॉ. अश्विनी एम. दलवी ने ग्रहण किया 
                   राजस्थान ललित कला अकादमी का अध्यक्ष पद

डॉ. दलवी मूल रूप से म्यूजिक कम्पोजर हैं। पिछले कुछ वर्षों से जयपुर के नाद साधना इंस्टीट्यूट ऑफ इण्डियन म्यूजिक एण्ड रिसर्च सेंटर के सचिव पद पर कार्य कर रहे हैं। यह तबला गुरु स्व. महेश दलवी के पुत्र हैं। ललित कला अकादमी में यह विजुअल आर्ट के विकास की देखरेख करेंगे।

मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी के अध्यक्ष पद का भार आज सुर साधक डॉ. अश्विनी एम. दलवी ने ग्रहण किया। इन्हें कल 10 अगस्त को राज्य सरकार ने इस पद के लिए मनोनीत किया था।

सोमवार, 7 अगस्त 2017

प्रिन्ट आर्ट की यात्रा को दर्शाती प्रदर्शनियां

प्रिन्ट आर्ट की यात्रा को दर्शाती प्रदर्शनियां

राजस्थान भी शामिल

मूमल नेटवर्क, जयपुर। जेकेके की म्यूजियम आर्ट गैलेरीज में इन दिनों प्रिन्ट आर्ट पर आधारित तीन प्रदर्शनियां दर्शकों को खासा आकर्षित कर रही हैं। इनमें 'प्रिन्टआर्ट फ्रॉम राजस्थान' प्रदर्शनी में प्रदेश के 17 कलाकारों की कृतियों को प्रदर्शित किया गया है। प्रदर्शनी 'खेल' में गंजीफा व सांप सीढ़ी जैसे खेलों को दर्शाया गया है जबकि 'द प्रिन्टेड पिक्चर प्रदर्शनी' में इस विधा की चार शताब्दियों की यात्रा को दर्शाया गया है। 5 अगस्त को आरम्भ हुई्र इन प्रदर्शनियों का समापन लगभग 2 माह पश्चात 8 अक्टूबर को होगा।
इस प्रदर्शनी में राजस्थान, भारत और विदेश में प्रिन्ट मेकिंग के इतिहास और इसे तैयार करने की प्रक्रिया की जानकारी दी जा रही है।
'द प्रिन्टेड पिक्चर'
इसमें गत चार शताब्दियों में भारतीय प्रिन्ट मेकिंग की स्थापना से लेकर अब तक की महत्वपूर्ण यात्रा प्रदर्शित की गई है। प्रिन्ट मेकिंग के कोलोनियल एंटरप्राइज से लेकर 18वीं शताब्दी में प्रिन्टिंग उद्योग के विकास को देखने-समझने का अनुभव सुखद है। यह भी बताया गया है कि भारतीय प्रिंट में शिल्पकारों से लेकर आर्ट स्कूल से प्रशिक्षित कलाकारों का कैसा योगदान रहा। इस प्रदर्शनी को कलाविद एवं शोधार्थी डॉ. पाउला सेनगुप्ता द्वारा क्यूरेट किया गया है।
'खेल'
इस प्रदर्शनी में 14 विभिन्न देशों के कलाकारों द्वारा भारत और मध्यपूर्व में ईजाद किये गये तीन प्राचीन खेलों जैसे कि गंजीफा, सांप-सीढ़ी और शतरंज को बुद्धिमतापूर्ण एवं बेहतरीन तरीके से दर्शाया गया है। जीवन के अनेक विरोधाभासों को प्रदर्शित करने वाले इन खेलों को कलाकारों ने सामाजिक एवं राजनीतिक दृष्टिकोण के अनुरूप प्रदर्शित किया है। इस प्रदर्शनी को बड़ोदा निवासी प्रख्यात प्रिन्ट मेकर कविता शाह द्वारा क्यूरेट किया गया है।

'प्रिन्ट्स फ्रॉम राजस्थान'
इस प्रदर्शनी में राजस्थान के प्रमुख कलाकारों की कला को प्रदर्शित किया गया है। बताया गया है कि गत पांच दशकों में भारत में इस शैली को सिखाने-बढ़ाने में इनका क्या योगदान रहा। प्रदर्शनी में जयपुर, उदयपुर व वनस्थली के साथ प्रदेश से बाहर दिल्ली मुबई में बसे 17 कलाकारों के काम को प्रदर्शित किया गया है। एक लम्बे अर्से के बाद राजस्थान के कई वरिष्ठ व अनुभवी प्रिन्ट मेकर्स की कृतियों को देखना सुखद है। प्रदर्शनी में वरिठ कलाकार डॉ. विद्यासागर उपाध्याय तथा प्रो. सुरेश शर्मा के साथ शैल चोयल, शाहिद परवेज, मनोज टेलर, भवानी शंकर शर्मा, विनय शर्मा, मुकेश शर्मा, दिलीप शर्मा, योगेन्द्र नरूका, गौरी शंकर सोनी, मीना बया, ज्योतिका राठौड़, डिम्पल चाण्डत, महेश सिंह, सुनील निमावत तथा रामगोपाल कुमावत का काम एकसाथ देखा जा सकता है। इस प्रदर्शनी को भी कविता शाह द्वारा क्यूरेट किया गया है।
सोमवार को छोड़कर शेष सभी दिन प्रदर्शनियां देखी जा सकती हैँ।