सोमवार, 10 जून 2019

कला से संवरता पर्यावरण


कला से संवरता पर्यावरण
मूमल नेटवर्क, जयपुर। आज पर्यावरण संरक्षण एक बहुत बड़ी चुनौती बन गया है और प्रदूषित भविष्य मुंह फैलाए हमारा इंतजार कर रहा है. प्रदूषण आज हर तरफ है और जीवन में उपयोग आने वाली लगभग हर वस्तु के साथ प्रदूषण जुड़ गया है, चाहे वह यातायात के साधन हों, खाने-पीने की चीजें हों, उत्पादन के साधन हों यह हमारा काम आसान बनाने वाले कंप्यूटर और मोबाइल, सब प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं और यह प्रदूषण रोजाना कई लोगों की जान ले रहा है. आज इसी प्रदूषण के कारण ग्लोबल वार्मिंग भी बढ़ रही है और पूरे विश्व में तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है। आने वाले वक्त में यह समस्या और ज्यादा बढऩे वाली है अगर अभी से कुछ मजबूत कदम नहीं उठाये गए और लोगों में जागरूकता नहीं फैलाई गई. इस समस्या को भांपते हुए और विश्व के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझते हुए कलाकार भी लोगों में इसके प्रति जागरूकता लाने के प्रयासों में जुटे हुए हैं और अपनी कला के माध्यम से लोगों को पर्यावरण संरक्षण का सन्देश दे रहे हैं। ऐसे ही एक युवा कलाकार हैं जयपुर के मुकेश ज्वाला जिन्होंने इस क्षेत्र में काम शुरू किया है और वे अपनी कलाकृतियों के जरिये यह सन्देश फैलाने के प्रयास में लगे हैं. स्कूलों और कॉलेज में छात्रों कोपर्यावरण के विषय में जागरूक करने और पर्यावरण संरक्षण का महत्त्व समझाने के साथ-साथ ही मुकेश ज्वाला ने अब अपना रुख कॉर्पोरेट जगत की ओर किया है। हाल ही मुकेश ज्वाला ने साथी कलाकार सुनील कुमावत के साथ मिलकर भारतीय स्टेट बैंक के लिए इलेक्ट्रोनिक कचरे से एक आकर्षक प्रतिमा का निर्माण किया है और प्रतिमा के जरिए पर्यावरण संरक्षण के सन्देश और महत्व को बहुत अच्छे तरीके से समझाया है।

यह है प्रतिमा
प्रतिमा अपने बाएं हाथ में पृथ्वी को सीने से लगाए नजाकत से इस प्रकार संभाले हुए है जिस तरह से एक माँ अपने बच्चों को संभालती है और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रही है। इस प्रतिमा के जरिये जहाँ एक ओर बढ़ते इलेक्ट्रोनिक कचरे का कलात्मक प्रबंधन दिखाया गया है वहीँ दूसरी तरफ स्टेट बैंक के लिए भी एक इतिहास रचा गया है. मुकेश ने साथी कलाकार सुनील के साथ मिलकर पहली बार स्टेट बैंक को एक मानव रूप में अवतरित किया है और बैंक को एक प्रगतिशील महिला का रूप दिया है।
इस 15 फीट ऊंची कलाकृति को भारतीय स्टेट बैंक के जयपुर स्थित स्टेट बैंक लर्निंग एंड डेवलपमेंट सेण्टर में लगाया गया है। इस कलाकृति को आधिकारिक तौर पर 'पुनर्नवा' (रिन्यूड) नाम दिया गया है।  40 दिन में बनने वाली प्रतिमा में कंप्यूटर के लगभग 8000 पाट्र्स लगाए गए हैं। इसमें 20 सीआरटी मॉनिटर, 70 सीपीयू , 110 कीबोर्ड  और  कम्प्युटर  का  अन्य समान जैसे माउस, मॉड़म, सॉकेट, हार्डडिस्क, डीवीडीप्लेयर, फ्लॉपि ड्राइव, रैम, एसएमपीएस और  सीपीयू  की बॉडी का इस्तेमाल किया गया है। कलाकृति का ढांचा बनाने में लोहे का इस्तेमाल किया गया और उसके ऊपर इलेक्ट्रोनिक वेस्टका इस्तेमाल किया गया है। इलेक्ट्रोनिक कचरे से बनी यह प्रतिमा आकर्षक है। प्रतिमा के हाथ में प्रदर्शित आधे ग्लोब की समतल जगह पर बिल्डिंगे बनाई है जो पृथ्वी पर हो रही गतिविधियों को दर्शाती है । कलाकारों ने इसे मदर एसबीआई नाम देते हुये स्टेट बैंक को एक माँ के रूप में प्रदर्शित करने का प्रयास किया है। कलाकारों ने पहली बार स्टेट बैंक का मानवीकरण करने का प्रयास करते हुए बैंक के कर्मचारियों, शाखाओं और उत्पादों आदि को एक साथसमेटकर एक इकाई में मानव शरीर के रूप में प्रदर्शित किया ताकि स्टेट बैंक का नाम आते ही एक छवि जेहन में उभर सके। यह प्रतिम स्टेट बैंक के जयपुर मंडल के तत्कालीनमुख्य महाप्रबंधक विजय रंजन की पहल पर तैयार हुई है। 

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