शनिवार, 3 नवंबर 2018

छपरा में लगी भोजपुरी चित्रकला की तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला

छपरा में लगी भोजपुरी चित्रकला की तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला 
मूमल नेटवर्क, छपरा। भोजपुरी लोक कला को संरक्षण देने के उद्देश्य से शहर के आरएन इवनिंग कॉलेज में कल 2 नवंबर को भोजपुरी चित्रकला के तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। भोजपुरी कला यात्रा के अधीन संस्था पंचमेल और आखर के संयुक्त तत्वावधान में कार्यशाला का उद्घाटन जगदम कॉलेज पूर्व प्राचार्य प्रो. के. के द्विवेदी , जौहर साफिया वादी एवं कॉलेज के प्राचार्य डॉ अरुण कुमार सिंह ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया।
इस अवसर पर प्रो. पृथ्वीराज सिंह में कहा की भोजपुरिया क्षेत्र की ग्रामीण लोक कला आज विलुप्ति की ओर है। कोहबर कला जो नव वर वधु के प्रथम गृह प्रवेश के समय मांगलिक गीतों के साथ दीवारों पर उकेरी जाती थी अब भूलती जा रही है । भोजपुरी भित्ति कला और भित्ति चित्र लेखन आधुनिकता के दौर में बहुत पीछे छूट रहा है। आज संस्कृति के इन रूपों को पहचान कर उजागर करने की जरूरत है। जहां एक ओर ग्रामीण मधुबनी चित्रकला समुचित प्रोत्साहन मिलने के कारण विश्व भर में प्रसिद्ध है वहीं भोजपुरी चित्रकला समाप्ति की ओर बढ़ चली है ।

मुख्य अतिथि प्रो. के के द्विवेदी ने कहा कि लोक कलाएं हमारे समाज की संस्कृति से परिचय कराती हैं । भोजपुरी क्षेत्र की लोक कलाओं का समृद्ध इतिहास रहा है। भारतवर्ष में भित्ति चित्रों की बहुत प्राचीन परंपरा रही है। अजंता और एलोरा की गुफाओं में बने भित्ति चित्र कला के क्षेत्र में आज भी विशेष स्थान रखते हैं। डॉ जौहर साफिया वादी ने कहा की कला मानव मन और संस्कृति की श्रेष्ठ अभिव्यक्ति है। वह सत्यम शिवम सुंदरम की तरह जीवन के हर पवित्रतम और श्रेष्ठतम अभिव्यक्ति में व्याप्त है। हर व्यक्ति को अपने जीवन में कला को अवश्य ही प्रश्न देना चाहिए। बर्मन शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि भोजपुरी चित्रकला के विभिन्न रूपों को इंटरनेट पर भी लाने की जरूरत है।
कार्यशाला में स्कूल विद्यार्थियों को भोजपुरी कला चित्रण के विभिन्न रूपों का प्रशिक्षण आरा से आए कलाकार संजीव सिन्हा, कौशलेंद्र मिश्र एवं छपरा के महेंदी शॉ दे रहे हैं। 

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