सोमवार, 10 सितंबर 2018

रूस को तलाश है 50 वर्ष पुराने बाल कलाकारों की

रूस को तलाश है 50 वर्ष पुराने बाल कलाकारों की
तलाश में शामिल हैं 8 भारतीय कलाकार
मूमल डेस्कवर्क। लगभग 50 वर्ष पहले रूस की मैक्सिको सिटी में ओलम्पिक खेल आयोजन के दौरान 'वर्ल्ड चिल्ड्रन पेंटिंग फेस्टिवल' का आयोजन किया गया था। इसमें 8 भारतीय बाल कलाकारों सहित 80 देशों के बाल कलाकारों ने हिस्सा लिया था। आज रूस उन सभी बाल कलाकारों को सम्मानित करना चाहता है, जो कि अब अंधेड़ावस्था में पहुंच चुके होंगे। उन कलाकारों को सम्मान देने के साथ तब बनाई गई पेंटिंग्स को भी प्रदर्शित किया जाएगा।
सन् 1968 में मैक्सिकों में पहली बार ओलम्पिक खेलों का आयोजन किया गया था। भारत सहीत 80 देशों के 1800 बाल कलाकारों ने अलग-अलग विषय पर लगभग 1800 पेंटिंग्स बनाई थी जिसमें से कई पेंटिंग्स आज भी रूस के पास संग्रहित हैं।
इन्ही पेंटिंग्स की रूस द्वारा फिर से एग्जीबिशन लगाने की तैयारियां की जा रही हैं। एग्जीबिशन का नाम 'अ वर्ल्ड  आफ फैंडशिप- 50 साल बाद' नाम से लगने वाली एग्जीबिशन के दौरान रूस इन पेंटिंग्स के रचियताओं का सम्मान करना चाहता है। तब के बाल कलाकारों की तलाश इसी कारण की जा रही है जो काफी कठिन कार्य है।
केरल-दुबई में हैं दो बच्चे
केरल में 58 वर्षीय डॉ. कामत और दुबई में उनके बड़े भाई सुरेश (59) के लिए इस खबर ने बचपन की याद ताजा करने का काम किया। डॉ. लीला सुधाकरण कामत और सुरेश सुधाकरण जो उस वक्त 8 और 9 साल के थे की पहचान हो गर्इ है ये दोनों भाई-बहन इस वक्त केरल और दुबई में हैं। बता दें कि 1968 के अखबार की ब्लैक एंड व्‍हाईट तस्वीर में लीला का नाम देख परिवार के सदस्यों ने इसकी पहचान की। 1966 से 1970 तक सुधाकरण परिवार मेक्सिको में था। यहां उनके पिता भारतीय विदेश सेवा अधिकारी के तौर पर भारतीय दूतावास में थे। लीला ने बताया कि बड़े से एरिया में आयोजित कंपटीशन के दौरान उन्‍होंने एक घर का चित्र बनाया था और उनके भाई ने हवाई जहाज का। 1970 में कामथ और सुधाकरण को मेक्सिको छोड़ना पड़ा क्योंकि उनके पिता की पोस्टिंग त्रिनिदाद में हो गई थी।
एक प्रतिभागी का देहान्त
पत्रकार केतन त्रिवेदी के प्रयासों से एक प्रतिभागी का पता चल चुका है जिसका नाम जितेन्द्र नवनीतलाल पारीख है। बड़ौदा के श्री सयाजी हाई स्कूल में पढ़ाई के दौरान उस आट्र फेस्टिवल में हिस्सा लेने वाले पारीख की उम्र तब 15 वर्ष की थी। अफसोस कि, एक लम्बी बिमारी के बाद पारीख का सन् 1998 में देहान्त हो गया है।
शेष बचे  कलाकारों को तलाश करने के प्रयास किये जा रहे हैं। मैक्सिको दूतावास के पास उन सभी प्रतिभागियों के नाम व आयु के दस्तावेज मौजूद हैं। दूतावास का मानना है कि उन भारतीय बच्चों ने 'शंकर इंटरनेशनल चिल्ड्रेन आर्ट कॉम्पीटिशन' के बैनर तले हिस्सा लिया होगा। यह मुक़ाबला केशव शंकर पिल्लई ने शुरू कराया था। वो एक कार्टूनिस्ट थे जिन्होंने दिल्ली का मशहूर शंकर डॉल म्यूजिय़म (बहादुरशाह जफ़ऱ मार्ग पर स्थित) स्थापित किया था।
दूतावास का कहना है कि तीन बच्चे शायद भारतीय दस्ते के साथ मेक्सिको भी गए थे जहां उन्होंने शहर की मशहूर सड़कों के किनारे दीवारों पर अपनी कला का प्रदर्शन किया था।
इनकी तलाश जारी है
इन कलाकारों में सुजाता शर्मा(तत्कालीन उम्र 14 वर्ष) नई दिल्ली, इरा सचदेव (तत्कालीन उम्र 12 वर्ष) दिल्ली, सनत कुंडू (तत्कालीन उम्र 13 वर्ष), विवेक कुचिभाटला (तत्कालीन उम्र 9 वर्ष), इला इम्स (तत्कालीन उम्र 8 वर्ष)  के नाम शामिल हैं जिनकी तलाश जारी है।

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