अंतर्मन में कला की लय और उसका स्पंदन
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हम अक्सर दूसरों की सभी समस्याओं और अन्य वैश्विक मुद्दों जैसे जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद अथवा मानवीय सम्वेदना से जुड़े अन्य किसी सार्वजानिक मुद्दों से स्वयं को अछूता महसूस करते हैं, भले ही हम आसानी से इनमें से कुछ मुद्दों में अपने ज्ञान से दूसरों के अज्ञान को कुछ हद तक दूर करने में कुछ मदद कर सकते हैं किंतु हम अपने अंतर्मन में दृढ़ता से यह पर्याप्त महसूस नहीं कर पाते हैं कि हम भी एक वैश्विक समुदाय का बड़ा हिस्सा हैं। यह अंतर्मन की वह स्थिति है जहां कला की चेतना और कला की अभिव्यक्ति हमारी सोच के अंतर में सामंजस्य और लय को स्थापित कर सकती है। कला लोगों को कभी यह नहीं दिखाती है कि क्या करना है, फिर भी कला में या कला के लिये कोई भी अच्छा काम करने से आप अपनी इंद्रियों, शरीर और अंतर्मन को एक लय में जोड़ सकते हैं और आपकी यही सोच ही आपको दूसरे लोगों और दुनिया को आप से अलग करते हुये आपकी इस विशिष्टता के कारण आपकी उपस्थिति को महसूस करवाती है।एक वित्तीय सलाहकार के रूप में, मैंने पिछले 30 सालों में दुनिया के कई देशों में यात्रायें की हैं लेकिन मैंने कभी अपने अंतर्मन की छिपी उस लय को जो कला को जोड़ती है को कभी खोने या सोने नहीं दिया।अपने दैनिक कार्यों में या कहीं भी किसी वैश्विक समस्या के वाद विवाद के दौरान हो सकता है कभी आप, अपने को अपनों के सामने खड़ा पायें और विचारों का आदान-प्रदान करें और उसके तुरंत बाद किसी मीटिंग में अपनी राय किसी और मुद्दे पर दें, अथवा उसके बाद किसी फिल्म या किसी उपन्यास पर चर्चा करें या कुछ समय के बाद किसी कला या कला प्रदर्शनी के बिषय पर चर्चा करें या पारिवारिक प्राथमिकताओं की प्रबंधन प्रक्रिया में संलग्न हो जायें किंतु कहीं भी किसी भी स्थिति में आप अपने अंतर्मन में कला की लय को थमने ना दें क्योंकि यही लय आपकी सफलता की सीढ़ी हो सकती है।
यहां पर में बताना चाहूंगा कि अंतर्मन में कला की लय को जीवित बनाये रखना ही मुझे वित्तीय प्रबंधन के काम करने के दौरान उन व्यक्तियो के संपर्क में लाया जो कहीं न कहीं अपने अंतर्मन के विभिन्न दृष्टिकोणों में भी कला की लय को जीवंत बनाये हुए हैं और वास्तव में अलग-अलग धारणाओं, विचारों और समस्याओं में घिरे होते हुए भी स्वयं को सफल प्रबंधक स्थापित कर सफल व्यक्तित्व के पर्याय बन पाये हैं। हमारे अंतर्मन की लय हमें हमारी निर्णयन प्रक्रिया को गहराई से प्रभावित करती है कुछ लीक से हटकर करने के लिए प्रेरित करती है। हममें से अधिकांश कला को देखने और उससेे प्रेरित होने की भावना को जानते हैं, चाहे यह एक गीत, नाटक, कविता, संगीत, उपन्यास, पेंटिंग, फिल्म या और भी कुछ हो, वो सब अस्थायी ही है जब तक कि ये हमारे अंतर्मन की लय से मिलान ना कर पाये क्योंकि जब हम कुछ देखते हैं, छूते हैं, चलते हैं, सुनते हैं हमारा अंतर्मन हमें एक नयी सोच और औचित्य की परख की स्वाभाविक प्रक्रिया में ले जाता है जिसमें अंतर्मन की लय का स्वभाव इसको ग्रहण अथवा निष्क्रिय करता है जिसे हम अनुभव भी कह सकते हैं।
मुझे विश्वास है, अंतर्मन की लय को सुनना और उसपर समसामयिक कला की रचना करना कलाकारों की प्रमुख जिम्मेदारियों में से एक है और शायद यही लय और विचार कुछ कलाकारों के लिए एक सिर्फ रचना है जबकि इस बिषय से जुड़े अन्य व्यक्तियों के लिए कभी ये आश्चर्य के रूप में भी हो सकता है। एक आम आदमी जो कि आज सिर्फ अपने अस्तित्व की लड़ाई और जीवन के संघर्ष से थककर कुछ पल कला को देखने तो आता है लेकिन वो कला को देखने की बजाय कला के साथ सार्वजानिक मुठभेड़ करता है क्योंकि कला और संस्कृति आज हमारे समाज की जरूरत होने के स्थान पर शाब्दिक फैशन की बीमारी से ज्यादा ग्रस्त हैं। वे लोग जो कि किसी क्षेत्र विशेष का प्रतिनिधित्व करते हैं या जहां अपने अनुभव साझा करने के लिए अंतर्मन की लय के विरुद्ध किसी भी प्लेटफार्म पर एक साथ आ सकते हैं आज भी दुनिया को वही घिसे-पिटे तरीकों से देखते हैं क्योंकि वो अंतर्मन की लय को जीवन से तालबद्ध नहीं कर पाते हैं। यहां महत्वपूर्ण बात यह नहीं है कि हम अंतर्मन की लय और अपने निजी अनुभव में कितनी ईमानदारी से कितने तालबद्ध हैं जिसे हम साझा करने की बजाय दिशा निर्देशित करने की कोशिश करते हैं जबकि हमें यह मंथन करना चाहिये कि अनुभव साझा करने के लिए हम अपने को कितना उपयुक्त मानते हैं।
आज के व्यावसायिक मूल्यों में भी सिर्फ नजरिया बदलने की जरुरत है क्योंकि आज भी अंतर्मन में कला की लय एक अनुभूति, अंतज्र्ञान, अनिश्चितता, रचनात्मकता संजोकर रखने और नए विचारों के लिए लगातार खोज करने के लिए हमें प्रोत्साहित करती है कि हम कला की दुनिया को बदलने के लिए दुनिया के साथ संलग्न रहकर भी अंतर्मन की लय को तालबद्ध कर एक नयी धारा प्रवाहित कर सकते हैं।
-शैलेंद्र भट्ट
1 टिप्पणी:
Shailandra ji very well said.
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