शुक्रवार, 27 अक्तूबर 2017

राष्ट्रीय कला पर्व, टोंक 2017

टोंक कलापर्व सम्पन्न
51 कलाकार सम्मानित

मूमल नेटवर्क। टोंक में आयोजित 11वें राष्ट्रीय कलापर्व क्रेयान्स 2017 का समापन 29 अक्टूबर 2017 की शामउको अभिज्ञान महाविद्यालय में हो गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि टोंक के विधायक अजीत सिंह मेहता थे, जबकि अध्यक्षता सेन्ट सोल्जर कॉलेज के निदेशक  बाबू लाल शर्मा ने की। इस आयोजन के समापन अवसर पर कलापर्व के प्रतिभागी शिल्पियों के सहित कुल 51 कलाकारों को वो विभिन्न स्तर पर सम्मानित किया गया। 
विविरण कुछ देर बाद 
आयोजन के संयोजक हनुमान सिंह खरेड़ा के अनुसार विशिष्ठ अतिथि के रूप मेें मिनिएचर के वरिष्ठ चित्रकार तिलक गीताई, लखनउ आर्ट कॉलेज के प्राचार्य जयकिशन अग्रवाल, चण्डीगढ़ आर्ट कॉलेज के आनन्द सिंदे सहित उमराव सिंह, राजीव बसंल व प्रभु लाल चौधरी उपस्थित रहे। इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने मॉ सरस्वती के चरणों मे दीप प्रज्वलन कर शुभारम्भ किया कलाकारों को  राष्ट्रीय , राज्य, व जिला कला रत्न आदि से सम्मानित किया गया। साथ ही प्रतियोगिता में विजेता रहे प्रतियोगियो को स्तरवार सम्मानित किया।
 इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक अजीत मेहता ने कहा कि कला में नवाचार करना चाहिये और उभरती कलाओं को प्रोत्साहित करना चाहिये। अध्यक्ष व विशिष्ट अतिथियों ने अपने उद्बोधन में कला को आगे बढाना चाहिये और प्रोत्साहित करने की जरूरत पर जोर दिया। 
पुरूस्कार 
11वें राष्ट्रीय कलापर्व क्रेयान्स 2017 के निर्णायक मण्डल द्वारा विभिन्न माध्यमों में कार्य करने वाले चित्रकारों का प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार हेतु चयन किया गया। 
वॉटर कलर में मंगलदीप प्रथम स्थान, अश्विनी शर्मा-द्वितीय स्थान व अनिखिल वाजपेयी को तृतीय स्थान के लिए चुना गया।
यू.जी. में प्रज्ञा राजपुरोहित प्रथम, मिमांसी द्वितीय व मीनाक्षी तृतीय स्थान पर रहे।
मूर्तिशिल्प में लोकेश नाटा प्रथम, अमरदीप द्वितीय व मनीष नाटा तृतीय स्थान पर रहे। साथ ही राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट के वी. पंकज स्वामी, झारखण्ड के किशोर कुमार, वाराणासी के कुन्दन प्रसाद, राजस्थान कॉलेज राकेश कोली व संस्कृति अग्रवाल को सांतावना पुरस्कार दिया गया।
पी.जी. में कोटा के नरेन्द्र सुमन प्रथम, राजस्थान विश्वविद्यालय की उर्मिला यादव द्वितीय, व प्रियम शर्मा तृतीय स्थान पर रहे।
टोंक के राष्ट्रीय कलापर्व के समापन अवसर पर राष्ट्रीय स्तर, राज्य स्तर व जिला स्तर पर  भी कुल 41 कलाकारों का सम्मान किया गया। उनकी सूची इस प्रकार।
(राष्ट्रीय कला रत्न पुरस्कार)
1. पदम श्री तिलक गिताई, जयपुर।
2. श्री गरमीत सिंह बाजवा, पठानकोट।
3. श्री संदीप रावल , मुम्बई।
4. श्री राजेष चाहरे, नागपुर।
5. श्री युवराज ठाकरे, अमरावती।
6. श्री मनोज प्रजापति, कोलकाता
7. मो. इफतकार आलम अंसारी, अलीगढ।
8. श्रीमति रितु जौहरी, जोधपुर।
9. सोना कपूर, हैदराबाद।
(राज्य कला रत्न पुरस्कार)
10. श्री युगल किषोर शर्मा , नाथद्वारा
11. डॉ.बेला माथुर, बून्दी।
12. श्रीमति गीता शर्मा, टोंक।
13. श्री महावीर भारती , जयपुर।
14. श्री किशोर मीणा, जयपुर।
15. नीलू कांवरिया , जयपुर।
16. श्रीमति मनीषा चौबीसा, उदयपुर।
(जिला कला रत्न पुरस्कार)
17. श्रीमती अन्नपूर्णा शुक्ला, वनस्थली।
18. श्री अब्दुल मजीद , मालपुरा।
19. श्री जसवन्त सिंह।
20. श्री शैलेन्द्र सिंह भाटी
21. श्री मोईन अहमद, टोंक
22. श्री मोहिन्द्र सिंह, लुधियाना
23. श्री दिनबन्धु पोल , त्रिपुरा।
24. श्री किषोर कुमार, छतीसगढ 
25. श्री विवेक शर्मा , हिमाचल प्रदेश
26. श्री सुनील कपूर, अमृतसर
27. श्री रोहित कुमार , पंजाब
28. श्री शंकर डागर, श्री गंगानगर
29. श्री के. के. कुन्दरा, जयपुर।
30. श्री अभिषेक सिंह, दिल्ली।
31. श्री शाहीद अली, बनारस।
32. श्री संजय सिंह , बनारस।
33. श्री राजाराम व्यास, उदयपुर।
34. श्री देवेन्द्र खारोल, अजमेर।
35. डॉ. रेणु शाही। , बनारस।
36. श्री सच्चिन साखलकर, अजमेर।
37. श्री प्रदीप कुमार, गुडगांव।
38. श्री दीपक कनौजिया , देहरादून।
39. श्री विना कौषिक, लुधियाना।
40. श्री जसवन्त सिंह, लुधियाना।
41. श्री बलवन्त वर्मा, गुजरात।
कार्यक्रम संयोजक डॉ. हनुमान सिंह खरेडा, सह संयोजक डॉ. साधना सिंह , अध्यक्ष अन्नू दासोत , उपाध्यक्ष डा. निरूपमा सिंह , सचिव  पुष्पेन्द्र जैन व कोषाध्यक्ष  राजेश  शर्मा  सहित  महेन्द्र सिंह चौधरी,  डॉ. रामवतार मीणा, पुरूषोतम सोनी, अबरार अहमद , जसवन्त सिंह नरूका, शेलेन्द्र सिंह भाटी , मोनू बंजारा, उमेष साहू, नरेन्द्र साहू , मनोज टेलर , गुरूदयाल कुमावत, महेष गुर्जर, अजय मिश्रा, गिर्राज शर्मा, शाहिस्ता खांन की उपस्थिति में कार्यक्रम का मंच संचालन प्रदीप पंवार ने किया।


शुरु हुआ राष्ट्रीय कला पर्व
मूमल नेटवर्क, टोंक। अन्तरंग कला पर्व एजूकेशन एवं वेलफेयर सोसायटी द्वारा आयोजित तीन दिवसीय 11वें राष्ट्रीय कला पर्व क्रेयान्स की शुरुआत आज सायं 4 बजे हुई। उद्घाटन समारोह आयोजन स्थल अभिज्ञान महाविद्यालय पर आयोजित किया गया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथी के रूप में मंच पर सोसायटी की अध्यक्ष अनु दासोत, राजस्थान ललित कला अकादमी के कार्यक्रम अधिकारी विनय शर्मा, सेन्ट सोल्जर्स कॉलेज के निदेशक बाबूलाल शर्मा तथा समाजसेवी मोइन खान उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कलाकार विद्यासागर उपाध्याय ने की। मुख्य अतिथी बाल अधिकार एवं संरक्षण मण्डल आयोग की अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी किन्हीं कारणों के चलते कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो पायीं।
आयोजक मण्डली के जसवन्त सिंह नरूका  ने बताया की इस कला पर्व में राजस्थान, बिहार, पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात, केरल हरियाणा, उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर से कई युवा एवं वरिष्ठ कलाकार प्रतिभागी के रूप में सम्मलित हुए हैं। इस तीन दिवसीय पर्व में अतिथी कलाकारों द्वारा चित्रकला, मूर्तिकला, छापा चित्रण के लाइव डेमो भी दिये जाएंगे। 

यादों के झरोखे से....... 
टोंक के राष्ट्रीय कलापर्व की पृष्ठभूमि व इतिहास
टोंक में कला पर्व की शुरुआत 11 साल पहले वर्ष 2007 में हुई। मूमल के पुराने पत्रों में इस आयोजन से संबंधित आरंभिक जानकारियों में हनुमान सिंह खारेड़ा, योगेन्द्र सिंह नरूका, पुष्पेन्द्र जैन और चन्द्र मोहन कुमावत के नाम शामिल हैं। प्रमुख आयोजक के रूप में हनुमान सिंह खरेड़ा रहे।
कलावृत में कलापर्व का सपना
कहते हैं 2004 से टोंक व सवाईमाधोपुर के कुछ युवा कलाकार उज्जैन में कलावृत न्यास के आर्ट कैंप में हिस्सा लेने जाया करते थे। पाठकों को याद होगा यह कैंप चन्द्र शेखर काले साहब बहुत बड़े स्तर पर आयोजित किया करतेे थे। वहीं काम करते हुए टोंक के इन युवा कलाकारों ने अपने शहर में भी ऐसा ही कुछ करने का सपना देखा। योगन्द्र सिंह ने गणित समझी और समझाई, चन्द्र मोहन और शैलेन्द्र शर्मा ने कलाकारों के सम्पर्क सूत्र जुटाए। जल्द ही वह सपना एक छोटे से प्रयास के रूप में साकार हुआ। ऐसे में टोंक का कलापर्व उज्जैन के कलावृत की कॉपी बनकर उभरा। वक्त के साथ इस आयोजन में बनवारी लाल बैरवा व उमेश साहू का नाम भी प्रमुखता से जुड़ा।
प्रथम आयोजन 
पहला आयोजन बाबूलाल शर्मा द्वारा संचालित सैन्ट सोल्जर्स संस्थान में हुआ। प्र्रथम आयोजन में लगभग एक दर्जन कलाकारों ने भाग लिया। इनमें वरिष्ठ कलाकार राम जैसवाल और उस जमाने में काफी सक्रिय रहने वाले जयपुर के मिनिएचर आर्टिस्ट आशाराम मेघवाल शामिल थे। टोंक के ही प्रबुद्ध लोगों और कलाकारों के सहयोग से एकत्रित मात्र हजार रुपयों से ही यह आयोजन सम्पन्न हो गया था। कलाकारों के लिए अंतिम दिन का भोज सेंन्ट सौल्जर्स संस्थान की ओर से हुआ था, इस भोज का सिलसिला पिछले दस साल से जारी है। कला पर्व के आरंभिक दिनों में डा. साधना सिंह सैंन्ट सौल्जर्स में लैक्चरर हुआ करती थीं। आज वे इसी संस्थान की प्रिंसिपिल हैं। इन्हीं के दिशानिर्देश पर अंतरंग कलापर्व सोसायटी कै्रयान्स के नाम से संस्था भी पंजिकृत कराई गई। उसी के बैनर पर यह आयोजन होने लगा।
मटकियां भी ढोयीं
संस्थान से जुड़े पुराने लोग बताते हैें कि संस्थान की बहुमंजिला इमारत में कलाकारों को ऊपरी मंजिलों में स्थित होस्टल में ठहराया जाता था। अक्सर पानी की आपूर्ति के लिए आयोजक अपने कंधों पर मटकियां ढोकर आमंत्रित अतिथियों के लिए पानी पहुंचाते थे और उसके बाद खानपान और आर्ट कैंप की व्यवस्था में जुट जाते थे। आयोजन के बाद महीनों तक हलवाई व टेंट वाले का हिसाब होता था। अक्सर आयोजक कलाकारों को अपनी गांठ से पेसा लगाना होता था। कमोबेश आज भी ऐसा हो जाता है। वैसे कलाकारों के साथ टोंक नगर के गणमान्य लोग इस आयोजन में दिल खोलकर सहयोग करते हैं।
बढ़ता आकार व अनुभव
साल दर साल बढ़ते आकार के साथ जल्द ही इस आयोजन को राष्ट्रीय स्वरूप मिल गया। पिछले साल तक यह आयोजन सैन्ट सौल्जर्स की इमारत में ही हुआ, लेकिन इस वर्ष यह अभिज्ञान महाविद्यालय में आयोजित हो रहा है। आयोजकों के लिए इस वर्ष यह नया अनुभव होगा। वैसे आयोजन के विशाल हो गए आकार और विभिन्न मुख्य और विशिष्ट अतिथियों के रूप में जुड़ते जा रहे बड़े और खास नामों के कारण होने वाली उपलब्धियां भी आयोजकों के लिए विशेष अनुभव होगा। 
नींव की ईंटें व कंगूरे
पुराने कुछ नाम नींव की ईटों के रूप में अदृश्य हो गए हैं और अनेक नाम बड़े हो गए आकार में कंगूरों की भांति सुशोभित हैं। बीते वक्त को याद करते हुए कुछ लोग उन दिनों को याद करते हैं 'जब आयोजन में शामिल होने और पधारने के लिए मिन्नतें करते हुए उन्हें पसीना बहाना पड़ता था, आज बड़े-बड़े लोग इस आयोजन में शामिल होने को ललायित हैं, आमंत्रण पाने के लिए ऑफर करते रहते हैं। यह सब आयोजकों की लगन और मेहनत का ही कमाल है।'  इस आशय का समाचार स्थानीय पत्रों में प्रकाशित हुआ है। 
आमंत्रित अतिथियों की भावना से अनभिज्ञ उत्साही आयोजकों में से कुछ ने इस समाचार के लिए इसे प्रकाशित करने वालों का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया और समाचार को अपनी-अपनी फेसबुक पर पोस्ट भी किया।


टोंक; एक नजर में...
टोंक राजस्थान के जिलों में से एक है। टोंक शहर में जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। यह बनास के दाहिने किनारे के पास स्थित है। राजधानी जयपुर से दक्षिण में यह लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर है। टोंक 1817 से 1947 तक ब्रिटिश शासन के आधीन था। भूतपूर्व टोंक रियासत में राजस्थान एवं मध्य भारत के छह अलग-अलग क्षेत्र आते थे, जिन्हें पठान सरदार अमीर ख़ाँ ने 1798 से 1817 के बीच हासिल किया था। 1948 में यह राजस्थान राज्य का अंग बना। टोंक को मिली 'राजस्थान के लखनऊ', 'अदब का गुलशन', 'रोमांटिक कवि अख्तर श्रीराणी की नगरी' और 'हिंदू-मुस्लिम एकता का उदाहरण' जैसी उपाधियां इसके महत्व को बताती हैं।
                   टोंक भारत के राजस्थान का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। यह बनास नदी के ठीक दक्षिण में स्थित है। भूतपूर्व टोंक रियासत की राजधानी रह चुके इस शहर की स्थापना 1643 में अमीर खाँ पिंडारी ने की थी और यह छोटी पर्वत श्रृंखला की ढलानों पर अवस्थित है। इसके ठीक दक्षिण में कि़ला और नए बसे क्षेत्र हैं। आसपास का क्षेत्र मुख्यत: खुला और समतल है, जिसमें बिखरी हुई चट्टानी पहाडिय़ाँ हैं।
वर्तमान टोंक में अब कुछ गन्दगी रहने लगी है जबकि नवाब की ज़माने में आज़ादी से पहले बहुत साफ़  सुथरा शहर था। कहते हैं, रोज़ सुबह एवं शाम सड़के मशकों से धोई जाती थीं। अब हर स्थान पर कूड़े और गंदगी के ढेर पड़े हैं, और यहाँ की सड़कों पर फिर रहे आवारा सुअर और भी गंदगी फैलाते रहते हैं। अतिक्रमण इतना हो रहा है कि सड़कें बेहद छोटी हो गई हैं, ओर उसी सड़क पर फलों के और छुट-पुट सामान के ठेले खड़े रहते हैं। इसके कारण ग्रहकों की बड़ी भीड़ हो जाती है कि कई जगह चलना भी कठिन हो जाता है।
लेकिन, इन छुट-पुट बातों को नजर अंदाज करते हुए अगर इस आयोजन के लिए आप आमंत्रण प्राप्त करने में सफल हो गए हों तो आपको टोंक अवश्य आना चाहिए। 

इस बार दिखेगा टोंक के कला पर्व का विशाल रूप
आयोजकों का उत्साह चरम पर
लगभग 10 आर्टिस्ट स्पेशल गेस्ट
मूमल नेटवर्क, टोंक।
नेशनल कला पर्व के 11वें एडीशन की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। 27 से 29 अक्टूबर तक आयोजित होने वाले इस पर्व को लेकर इस वर्ष आयोजकों का उत्साह चरम पर है।
आयोजन में शामिल होने के लिए देश भर से अनेक वरिष्ठ कलाकारों को आमन्त्रित किया गया है। इनमें से लगभग 10 कलाकार स्पेशल गेस्ट के रूप में होंगे। लगभग सभी कलाकार अपनी कला का लाइव डेमोस्ट्रेशन भी देंगे।  इनमें से दो कलाकारों को नेशनल कला रत्न से सम्मानित किये जाने की घोषणा की गई है।  प्रतिभागियों की संख्या के बारे में अभी स्थिति स्पष्ट नहीं हो पायी है।
अंतरंग कला पर्व वेलफेयर एजूकेशन सोसायटी के आयोजन में प्रति वर्ष सम्पन्न होने वाले नेशनल कला पर्व के आयोजकों ने इस वर्ष के 11वें आयोजन की सीमाओं को विस्तार दे दिया है। उद्घाटन व समापन के अवसर पर मुख्य अतिथी व विशिष्ट अतिथियों के रूप में अनेक गणमान्य लोग उपस्थित होंगे।
यह हैं स्पेशल गेस्ट
मूमल को हालांकि आयोजकों द्वारा पर्व में शामिल होने वाले स्पेशल गेस्ट व प्रतिभागियों के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करवायी गई है परन्तु विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कला पर्व में शामिल होने वाले स्पेशल गेस्ट यह हैं- अमरावती से युवराज थाकड़े, मुम्बई से संदीप रावल, नागपुर से राजेश चाहड़े, पंजाब से सुनील कपूर, एस. गुरमीत सिंह बजवा, बिहार से अभिषेक सिंह, जयपुर से के.के. कुन्द्रा, नीलू कन्वरिया, गंगानगर से शंकर डागर। यह सभी आर्टिस्ट लाइव डेमोस्ट्रेशन देंगे। इनके साथ ही लूधियाना के वरिष्ठ कलाकार सरदार मोहिन्द्र सिंह को भी स्पेशल गेस्ट के रूप में आमन्त्रित किया गया है।
यह होंगे सम्मानित
आयेजकों द्वारा नेशनल कला रत्न का सम्मान प्रदान करने के लिये एस. गुरमीत सिंह बजव तथा संदीप रावल के नामों की घोषणा की है।
आयोजन टीम
11 वर्ष पहले आरम्भ हुए इस कला पर्व को नेशनल आयोजन का रूप देने में जिस टीम ने कड़ी मेहनत व सार्थक प्रयास किये हैं, उनके नाम हैं-
मंजीद नकवी, राजकीय व्याख्याता चित्रकला  
जसवंत सिंह नरूका, राजकीय स्कूल व्याख्याता चित्रकला डाईट
डॉ रामवतार मीना, राजकीय कॉलेज व्याख्याता चित्रकला
शैलेन्द्र सिंह भाटी, स्कूल व्याख्याता चित्रकला
डॉ.हनुमान सिंह खरेड़ा ,कला पर्व संयोजक चित्रकला व्याख्याता कॉलेज
डॉ.साधना सिंह, चित्रकला व्याख्याता कॉलेज
पुरूषोत्म सोनी चित्रकला व्याख्याता
करूणानिधि पारिक , चित्रकला व्याख्याता
अजय मिश्रा, केन्द्रीय चित्रकला व्याख्यता
अबरार अहमद, चित्रकला व्याख्याता
पुष्पेन्द्र जैन सचिव कला पर्व, चित्रकला व्याख्यता
शैलेन्द्र शर्मा चित्रकला व्याख्याता
रामकल्याण जांगिड़, चित्रकला व्याख्याता
नरेन्द्र साहू, चित्रकला व्याख्याता
गुरूदयाल कुमावत, चित्रकला व्याख्याता
उमेश साहू, चित्रकला व्याख्याता
शेख यावर हबीब
महेश गुर्जर, कला शिक्षा आन्दोलनकारी
गिर्राज शर्मा, चित्रकला व्याख्याता
महेन्द्र सैनी, चित्रकला व्याख्याता
धर्मेन्द्र सिंह, चित्रकला व्याख्याता
जितेन्द्र रघुवंशी, चित्रकला व्याख्याता
मोनू बंजारा, चित्रकला व्याख्याता
महेन्द्र बदौरियां, चित्रकला व्याख्याता
महेन्द्र वर्मा, चित्रकला व्याख्याता
महेश शर्मा, चित्रकला व्याख्याता
मुकेश मीणा, चित्रकला व्याख्याता

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