मंगलवार, 31 दिसंबर 2013
सोमवार, 23 दिसंबर 2013
'आकार' की वार्षिक कला प्रदर्शनी Jkk में 26 से
मूमल नेटवर्क, जयपुर। समसामयिक चित्रकारों के 'आकार आर्ट ग्रुप' की वार्षिक कला प्रदर्शनी जयपुर के जवाहर कला केंद्र में 26 से 30 दिसम्बर तक होगी।
आई.ए.एस. करेंगे उद्धाटन
आकार के पदाधिकारी लक्ष्यपाल सिंह राठौड़ के अनुसार डांइग, पेंटिंग और स्कलप्चर की इस प्रदर्शनी का उद्घाटन 26 दिसम्बर को 11 बजे भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी पी.सी. गोयल करेंगे। प्रदर्शनी के प्रथम दर्शक के रूप में जाने-माने वकील आर.ए. कट्टा इनके साथ होंगे। यह प्रदर्शनी 30 दिसम्बर तक प्रतिदिन प्रात: 10 बजे से शाम 7 बजे तक देखी जा सकती है।
जयपुर के लिए नया काम
प्रदर्शनी के बारे में और जानकारी देते हुए आकार के पदाधिकारी प्रहलाद शर्मा नेे बताया कि पिछले सालों की तरह इस वर्ष भी जयपुर के दर्शकों को आकार से जुड़े कलाकारों का नया काम देखने का अवसर मिलेगा। आकार के अध्यक्ष डा. अनुपम भटनागर ने जहां इस बार कृष्ण लीला को अपनी खास शैली में अपना विषय बनाया है, वहीं लक्ष्यपाल सिंह ने अपनी सभी कृतियों को वाटर कलर के वॉश में प्रस्तुत किया है। अमित राजवंशी के कैनवास पर चिरपरिचित अश्वकन्या नए अंदाज में दिखने वाली है। स्वयं प्रहलाद शर्मा ने इस बार प्रकृति के साथ अपनी मत्स्यांगना को नए रूप में एकाकार किया है।
बाईस कलाकारों के काम शामिल
देवेन्द्र कुमार खारोल अपने जल रंगों के साथ अजमेर के लैंडस्केप के साथ नजर आएंगे, उदयपुर के राजाराम व्यास के भाव, हितेन्द्र सिंह भाटी के बहरूपिए, विनय त्रिवेदी की परम्परा, पुष्प कांत के गुरू-शिष्या के अंदाज, रमेश शर्मा के कॉम्पोजिशन, सुरेश प्रजापति के आध्यात्म सहित अनिल मोहनपुरिया के कैनवास पर ऑयल की अटखेलियां देखी जा सकेगी। दिल्ली जा बसने के बाद अजमेर के किरिट का काम एक अर्से के बाद देखा जा सकेगा, दिनेश मेघवाल और एम. कुमार सहित कुल मिलाकर इस साल 22 कलाकारों के काम प्रदर्शित किए जा रहे हैं। इनमेें निरंजन कुमार और शिवराज सिंह करदम की मूर्तिकला शामिल है।
महिला कूंची के नए रंग
महिला चित्रकारों की कूंचियां भी बदलाव के संकेत दे रही हैं। जयपुर की शैला शर्मा के चित्रों में अब समूचे मयूर ने नया आकार लिया है तो मथुरा की उमा शर्मा के कोलाज घाटों की यात्रा के बाद अब घरों की ओर बढ़े हैं। अजमेर की अर्चना तेला की कृतियों में दर्शकों को मानवीय रिश्तों की अनुभूतियों को और करीब से महसूस करने का अवसर मिलेगा। लखनऊ की नीता कुमार की आदिवासी कन्याओं की उपस्थिति के साथ उनकी कृतियों में रजा के रंग भी दिखेंगे लेकिन, जयपुर के दर्शक पिछले वर्ष की तरह इस साल भी रागिनी सिन्हा का नया काम देखने से वंचित रहेंगे।
सबसे महंगी पेंटिंग के बारे में जानिए
शनिवार, 21 दिसंबर 2013
वी एस गायतोंडे 23.7 करोड़ रुपये में
कला बाजार |
संपादकीय |
वी एस गायतोंडे 23.7 करोड़ रुपये में
कुछ आलोचक किसी कलाकार की पेंटिंग की गुणवत्ता और उसके भावनात्मक बिंदु के बजाय मूल्य और बाजार के लिहाज से की गई तुलना को बुरा बताते हैं। लेकिन कला संग्रहकर्ता सफलता के मानक के रूप में मूल्य की ही तुलना करते हैं। कलाकारों का दावा होता है वे बाजार से बेअसर हैं लेकिन यह सच नहीं है। हो सकता है किसी वक्त यह सच हो लेकिन लेकिन बड़ा घर, बड़ी कार, विदेशों में अवकाश आदि की आकांक्षा किसे नहीं होती? वी एस गायतोंडे ने बीते गुरुवार की रात ये सारी बातें महसूस की होंगी जब उनकी एक बगैर शीर्षक वाली पेंटिंग 23.7 करोड़ रुपये में नीलाम होकर, सबसे अधिक कीमत पर नीलाम होने वाली भारतीय कलाकृति बन गई।
एस एच रजा के 16.4 करोड़ रुपये
क्रिस्टीज के भारत में प्रवेश ने एक और मानक तय किया जब तैयब मेहता की पेंटिंग महिषासुर 19.7 करोड़ रुपये में बिकी और उस रात एस एच रजा के 16.4 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड को तोडऩे वाली दूसरी पेंटिंग बन गई। इसके अलावा राम कुमार, भूपेन, खखर, गणेश पाइने और मंजीत बावा की कृतियों ने भी अन्य रिकॉर्ड कायम किए। रवींद्रनाथ टैगोर की एक पेंटिंग महज 2.9 करोड़ रुपये में बकी। यहां पर तुलनात्मक सवाल पैदा होता है बंगाल के आधुनिक चित्रकारों को मुंबई के प्रगतिशील चित्रकारों की तुलना में कम कीमत क्यों मिली? इसका जवाब एकदम स्पष्टï है। सूजा, हुसैन, रजा आदि ने कोलकाता और शांति निकेतन के कलाकारों की तुलना में अपनी लोकप्रियता और कुछ हद तक अपनी बदनामी को भी भुनाया। इन कलाकारों को आगे बढ़ाने के क्रम में यूरोपियनों के एक समूह ने भी उन्हें राह दिखाई जो कला जगत में दखल रखते थे और जिनकी प्रमुख मीडिया घरानों में अच्छी पैठ थी।
तुलना करना बुरा नहीं |
कला जगत में तुलना करना कभी भी बुरा काम नहीं रहा। आप किसी कलाकार की शैली की तुलना दूसरे से कर सकते हैं। वहीं किसी कलाकार के शुरुआती दौर के काम की तुलना उसके बाद के काम से करके यह देखा जा सकता है कि किस तरह उसका विकास हुआ। वहीं किसी कलाकार की तुलना उन कलाकारों से भी हो सकती है जिनसे वह प्रभावित रहा हो। सतीश गुजराल की तुलना फ्रीडा काहलो से, एफएन सूजा की पाब्लो पिकासे से, एस एच रजा की तुलना मार्क रॉथको से वगैरह...वगैरह। |
कुछ हद तक सुधार
बंगाल के कलाकारों की तुलना में उनका काम का दायरा बहुत व्यापक था। उनकी कला शैली भी पश्चिमी प्रभाव वाली थी और बदलते हुए समाज में उसे अधिक चाव से लिया जा रहा था। व्यापक दस्तावेजीकरण के बावजूद बंगाल की चित्रकला शैली की आलोचना और मुंबई की अधिक अभिव्यक्ति वाली शैली के साथ उसकी गलत तुलना ने उसकी अनदेखी की और बीतते दशकों के साथ धीरे धीरे हाशिए पर पहुंचा दिया। टैगोर के हालिया मूल्यांकन को देखा जाए तो कहा जा सकता है कि अभी भी बंगाल के कलाकारों को कला जगत के मौजूदा सितारों के साथ अवसर देकर कुछ हद तक सुधार किया जा सकता है।
भारतीयों की रुचि अभी भी स्थानीय
ऐसी ही एक और तुलना जिसकी पड़ताल होनी चाहिए वह है चीन का शक्तिशाली बाजार और उसकी अपेक्षा छोटा भारतीय बाजार। हाल के वर्षों में हमने देखा है कि लंदन अथवा न्यूयॉर्क की तुलना में शांघाई अधिक तेजी से मजबूत हुआ है और चीन अब दुनिया का सबसे बड़ा कला बाजार बन चुका है। उसकी तुलना में भारत काफी पीछे है। कला बाजार के पश्चिम से एशिया में स्थानांतरित होने ने कला वीथिकाओं, संग्रहालयों और नीलामी घरों का ध्यान आकर्षित हुआ है जबकि अगर भारत के कला बाजार को संकेत माना जाए तो उसने इन सभी को निराश किया है। चीन के संग्रहकर्ताओं ने जहां पश्चिमी कलाकारों में रुचि दिखाई है वहीं भारतीयों की रुचि अभी भी स्थानीय है। चीन की तुलना में हमारा बाजार भी बहुत छोटा है।
लेबल:
एस एच रजा.,
कला बाजार,
वी एस गायतोंडे,
संपादकीय
मंगलवार, 17 दिसंबर 2013
The third edition of INDIA ART FASTIVAL
starts at Nehru Centre, Bumbai
Moomal Network, Mumbai
The third edition of India Art festival is starting from 19 to 22, December 2013 at Nehru Centre, Worli, Mumbai. In the third edition, 35 art galleries from Delhi, Mumbai, Chennai, Bangalore,
Hyderabad, Pune, Singapore are participating at the ground floor, where as more than 300 individual artists are participating in the artists’ pavilion at the second floor of Nehru Centre.
The total number of artists participating in the India Art Festival including art galleries and artists’ pavilion are more than 500; the well know artists displayed in the art festival include virtually all master painters like M F Husain, F. N. Souza, S H Raza, Akbar Padamsee, Krishan Khanna, Jogen Chowdhury, Rabindranath Tagore, Nandlal Bose, Binod Bihari Mukherjee, Chittoprasad and many other Bengal masters.
India Art Festival, apart from 35 participating art galleries and more than 500 participating artists, include the ‘Public Art Space’ curated by Veerangana Kumari Solanki, in which five art galleries – Art Alive Gallery (Paresh Maity), Exhibit 320 (Trishla Jain), Latitude 28 (Deepjyoti Kalita), Sakshi Gallery (Rekha Rodwittiya) and The Guild (Balaji Ponna) are
participating.
IAF Conversations
The ‘IAF Conversations’ programmed by Ranjit Hoskote is a collateral event taking place on 20 and 21 Dec. The interesting panel discussion for artists this year is based on the processes, by which artists can be groomed, mentored and their work championed. The speakers enlightening artists on this important aspect are experts like Pheroza Godrej, Arundhati Ghosh and Mortimer Chatterjee.
The other speakers addressing the urgencies that confront art world include Reena Kallat, Kamini Sawhney, Matthieu Foss, Nancy Adajania, Mustansir Dalvi, Prof. Manisha Patil, Suresh Jayaram, Kaiwan Mehta, Sudhir Patwardhan, Gieve Patel, Dilip Ranade, Rahaab Allana, Zasha Colah, Sumesh Sharma and others.
Participating galleries
The major art galleries participating in the India Art Festival 2013 includes The Gallery of Gnani arts, Singapore, Gallery Art and Soul, Gallery Beyond, Tao Art Gallery, ICAC, Ma Passion, Vardhanman Art Gallery, J. S. Art Gallery, Studio 3, Art Desh, Art Gate, Kol Kali Bay, Alok Art
Foundation, Aura Art Development Pvt Ltd, Art Gold, Impression art gallery, Khussh Art Gallery (all Mumbai), Art Projects Inc, Adhunik Art Gallery, Pioneer Art Gallery, Pearl Art Gallery, Gallery Ruki, Lavanya Art Gallery, Shree Yash Art Gallery, Art & Aesthetics, (all New Delhi), Forum Art Gallery (Chennai), Galerie Sara Arakkal(Bangalore), Art Alinda (Kolkata) and India House Art Gallery(Pune), Deccan Art Gallery (Hyderabad), .
India Art festival an initiative of Kalavishkar also presents ‘IAF Award’ to one deserving artist selected by Judges panel. The award will be presented on 19th inauguration ceremony of Festival. Inauguration will be followed by VIP preview for invitees. India Art Festival is open for public from 20 to 22 December. See More at http://www.indiaartfestival.com/
Moomal Network, Mumbai
The third edition of India Art festival is starting from 19 to 22, December 2013 at Nehru Centre, Worli, Mumbai. In the third edition, 35 art galleries from Delhi, Mumbai, Chennai, Bangalore,
Hyderabad, Pune, Singapore are participating at the ground floor, where as more than 300 individual artists are participating in the artists’ pavilion at the second floor of Nehru Centre.
The total number of artists participating in the India Art Festival including art galleries and artists’ pavilion are more than 500; the well know artists displayed in the art festival include virtually all master painters like M F Husain, F. N. Souza, S H Raza, Akbar Padamsee, Krishan Khanna, Jogen Chowdhury, Rabindranath Tagore, Nandlal Bose, Binod Bihari Mukherjee, Chittoprasad and many other Bengal masters.
India Art Festival, apart from 35 participating art galleries and more than 500 participating artists, include the ‘Public Art Space’ curated by Veerangana Kumari Solanki, in which five art galleries – Art Alive Gallery (Paresh Maity), Exhibit 320 (Trishla Jain), Latitude 28 (Deepjyoti Kalita), Sakshi Gallery (Rekha Rodwittiya) and The Guild (Balaji Ponna) are
participating.
IAF Conversations
The ‘IAF Conversations’ programmed by Ranjit Hoskote is a collateral event taking place on 20 and 21 Dec. The interesting panel discussion for artists this year is based on the processes, by which artists can be groomed, mentored and their work championed. The speakers enlightening artists on this important aspect are experts like Pheroza Godrej, Arundhati Ghosh and Mortimer Chatterjee.
The other speakers addressing the urgencies that confront art world include Reena Kallat, Kamini Sawhney, Matthieu Foss, Nancy Adajania, Mustansir Dalvi, Prof. Manisha Patil, Suresh Jayaram, Kaiwan Mehta, Sudhir Patwardhan, Gieve Patel, Dilip Ranade, Rahaab Allana, Zasha Colah, Sumesh Sharma and others.
Participating galleries
The major art galleries participating in the India Art Festival 2013 includes The Gallery of Gnani arts, Singapore, Gallery Art and Soul, Gallery Beyond, Tao Art Gallery, ICAC, Ma Passion, Vardhanman Art Gallery, J. S. Art Gallery, Studio 3, Art Desh, Art Gate, Kol Kali Bay, Alok Art
Foundation, Aura Art Development Pvt Ltd, Art Gold, Impression art gallery, Khussh Art Gallery (all Mumbai), Art Projects Inc, Adhunik Art Gallery, Pioneer Art Gallery, Pearl Art Gallery, Gallery Ruki, Lavanya Art Gallery, Shree Yash Art Gallery, Art & Aesthetics, (all New Delhi), Forum Art Gallery (Chennai), Galerie Sara Arakkal(Bangalore), Art Alinda (Kolkata) and India House Art Gallery(Pune), Deccan Art Gallery (Hyderabad), .
India Art festival an initiative of Kalavishkar also presents ‘IAF Award’ to one deserving artist selected by Judges panel. The award will be presented on 19th inauguration ceremony of Festival. Inauguration will be followed by VIP preview for invitees. India Art Festival is open for public from 20 to 22 December. See More at http://www.indiaartfestival.com/
रविवार, 15 दिसंबर 2013
India Art Festival इण्डिया आर्ट फेस्टिवल 19 से
लाखन जाट की कलाकृतियां प्रदर्शित
मूमल नेटवर्क, जयपुर। पिछले साल बेहतर आयोजनों में गिने जाने वाले मुबई के इण्डिया आर्ट फेस्टिवल का दूसरा संस्करण 19 से 20 दिसम्बर 2013 तक होने जा रहा है।इस आयोजन में देशभर की लगभग 30 कला दीर्घाओं के साथ सिंगापुर की एक गैलेरी भी शामिल हो रही है। इसी के साथ निजी तौर पर लगभग 200 कन्टेम्टरी आर्टिस्ट अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे।
लाखन जाट की कलाकृतियां
इस आयोजन में जयपुर के युवा कलाकार लाखन जाट की कलाकृतियां स्टॉल नम्बर 68 पर प्रदर्शित होंगी। इससे पूर्व प्रिव्यू शो के रूप में कलाकार ने अपने काम को जयपुर के जवाहर कला केन्द्र में भी प्रदर्शित किया है।
शुक्रवार, 13 दिसंबर 2013
किरण सोनी गुप्ता ने बनाई नरेगा कार्यों की पेंटिंग
नरेगा कार्यों की पेंटिंग फ्रांस के लूव में प्रदर्शित
मूमल नेटवर्क, जयपुर।
राजस्थान में नरेगा कार्यों के जरिए स्वावलंबन संबंधित एक पेंटिंग फ्रांस के लूव म्यूजियम में प्रदर्शित की गई है। इसे भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी और चित्रकार किरण सोनी गुप्ता ने तैयार किया है।
ऑयल पेंट से बनाई गई यह पेंटिंग में किरण ने नरेगा कार्यों के जरिए वित्तीय स्वावलंबन के प्रतीक के रूप में तीन पीढिय़ों को एक साथ काम करते हुए चित्रित किया है। इसमें अपनी मां और दादी के लिए वित्तीय स्वावलंबन के प्रतीक के रूप में स्कूल यूनिफार्म में एक लड़की को भी दर्शाया गया है। इस म्यूजियम में मोनालिसा की पेंटिंग भी प्रदर्शित है।
लेबल:
किरण सोनी गुप्ता,
नरेगा कार्य,
पेंटिंग,
IAS,
Kiran soni gupta,
Narega.
मंगलवार, 10 दिसंबर 2013
अब बदलेगा कला, संस्कृति की अफसरशाही का परिदृश्य
अब बदलेगा कला, संस्कृति की अफसरशाही का परिदृश्य
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान की राजनीति में भाजपा की आंधी आने के बाद कला और संस्कृति से जुड़ी अफसरशाही और राजनैतिक नियुक्तियों में बड़ा उलटफेर होने वाला है। कांग्रेस सरकार के पतन के साथ ही ललित कला अकादमी सहित विभिन्न अकादमियों के अध्यक्षों ने इस्तीफा दे दिया है। विभिन्न संबंधित विभागों के आइएएस और आरएएस भी अपना सामान समेटने लगे हैं। इक्का-दुक्का अफसरों को छोड़ दिया जाए तो अब वसुंधरा सरकार 'सारे घर के बदलने' को आमादा है।
कौन होगा मंत्री
यह समाचार लिखे जाने तक भाजपा मुख्यालय में चल रही बातों के अनुसार 13 दिसम्बर को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में मात्र सात मंत्रियों को शपथ दिलाए जाने की तैयारी चल रही है। कला और संस्कृति तथा पर्यटन विभाग पहले कुछ दिनों तक मुख्यमंत्री स्वयं अपने पास रखने का विचार व्यक्त कर चुकी हैं, लेकिन प्रचंड बहुमत के साथ विधानसभा तक पहुंचे विभिन्न राजघरानों से जुड़े जनप्रतिनिधियों की नजर इस मंत्रालय पर है। ऐसे में मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही पयर्टन व संस्कृति मंत्री के रूप में जयपुर या बीकानेर से किसी एक राजघराने को यह मंत्रालय मिल सकता है। सवाईमाघोपुर से जीतीं जयपुर राजघराने की दीया कुमारी की संभावनाएं अधिक लग रही हैं।
कौन होंगे अफसर
सचिवालय में मुख्य सचिव के रूप में काफी कड़क माने जाने वाले राजीव महर्षि का नाम सबसे ऊपर चल रहा है। अब तक कांग्रेस सरकार के चलते वे प्रदेश के बाहर ही रहे। भारतीय प्रशासनिक सेवा के संजय मल्होत्रा और तन्मय कुमार भी मैडम की पसंद में शामिल हैं। बदलाव के बाद इन्हें न केवल आइएएस लॉबी को बेहतर हैंडल करना होगा वरन बदलाव को महसूस भी करना होगा। ऐसे में कला और संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव के रूप में किरण सोनी गुप्ता के स्थान पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी यादवेन्द्र माथुर को जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। हालांकि कला क्षेत्र की अधिक अनुभवी अदिति मेहता अधिक वरिष्ठ हैं, लेकिन उन्हें भी अब कला संस्कृति विभाग का भला करने के लिए चुना जा सकता है। एक लॉबी अभी उन्हें आगे लाने की सिफारिश में सक्रीय है।
रंगमंच और प्राधिकरण
रवीन्द्र मंच का मूलभूत ढांचा बदलने में जुटी आरएएस अधिकारी नीतू राजेश्वर के बदले जाने की संभावना भी प्रबल है। हालांकि उन्हें समर्थ माना जा रहा है, लेकिन उन्हें सरकार को कर्मचारियों से लेकर कम्यूनिकेशन स्तर तक अधिक कड़ा रवैया अपनाने वाला अधिकारी होने के संकेत देने होंगे। प्राधिकरण में अभी अहमद बने रहेंगे यही लगता है। कांग्रेस सरकार में बीना काक की पसंद और शांति धारीवाल की मर्जी के चलते वे इस पद पर रहे और अब सीधे भावी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से बेहतर संबंधों के कारण वे इसी पद पर बने रह सकते हैं।
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान की राजनीति में भाजपा की आंधी आने के बाद कला और संस्कृति से जुड़ी अफसरशाही और राजनैतिक नियुक्तियों में बड़ा उलटफेर होने वाला है। कांग्रेस सरकार के पतन के साथ ही ललित कला अकादमी सहित विभिन्न अकादमियों के अध्यक्षों ने इस्तीफा दे दिया है। विभिन्न संबंधित विभागों के आइएएस और आरएएस भी अपना सामान समेटने लगे हैं। इक्का-दुक्का अफसरों को छोड़ दिया जाए तो अब वसुंधरा सरकार 'सारे घर के बदलने' को आमादा है।
कौन होगा मंत्री
यह समाचार लिखे जाने तक भाजपा मुख्यालय में चल रही बातों के अनुसार 13 दिसम्बर को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में मात्र सात मंत्रियों को शपथ दिलाए जाने की तैयारी चल रही है। कला और संस्कृति तथा पर्यटन विभाग पहले कुछ दिनों तक मुख्यमंत्री स्वयं अपने पास रखने का विचार व्यक्त कर चुकी हैं, लेकिन प्रचंड बहुमत के साथ विधानसभा तक पहुंचे विभिन्न राजघरानों से जुड़े जनप्रतिनिधियों की नजर इस मंत्रालय पर है। ऐसे में मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही पयर्टन व संस्कृति मंत्री के रूप में जयपुर या बीकानेर से किसी एक राजघराने को यह मंत्रालय मिल सकता है। सवाईमाघोपुर से जीतीं जयपुर राजघराने की दीया कुमारी की संभावनाएं अधिक लग रही हैं।
कौन होंगे अफसर
सचिवालय में मुख्य सचिव के रूप में काफी कड़क माने जाने वाले राजीव महर्षि का नाम सबसे ऊपर चल रहा है। अब तक कांग्रेस सरकार के चलते वे प्रदेश के बाहर ही रहे। भारतीय प्रशासनिक सेवा के संजय मल्होत्रा और तन्मय कुमार भी मैडम की पसंद में शामिल हैं। बदलाव के बाद इन्हें न केवल आइएएस लॉबी को बेहतर हैंडल करना होगा वरन बदलाव को महसूस भी करना होगा। ऐसे में कला और संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव के रूप में किरण सोनी गुप्ता के स्थान पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी यादवेन्द्र माथुर को जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। हालांकि कला क्षेत्र की अधिक अनुभवी अदिति मेहता अधिक वरिष्ठ हैं, लेकिन उन्हें भी अब कला संस्कृति विभाग का भला करने के लिए चुना जा सकता है। एक लॉबी अभी उन्हें आगे लाने की सिफारिश में सक्रीय है।
रंगमंच और प्राधिकरण
रवीन्द्र मंच का मूलभूत ढांचा बदलने में जुटी आरएएस अधिकारी नीतू राजेश्वर के बदले जाने की संभावना भी प्रबल है। हालांकि उन्हें समर्थ माना जा रहा है, लेकिन उन्हें सरकार को कर्मचारियों से लेकर कम्यूनिकेशन स्तर तक अधिक कड़ा रवैया अपनाने वाला अधिकारी होने के संकेत देने होंगे। प्राधिकरण में अभी अहमद बने रहेंगे यही लगता है। कांग्रेस सरकार में बीना काक की पसंद और शांति धारीवाल की मर्जी के चलते वे इस पद पर रहे और अब सीधे भावी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से बेहतर संबंधों के कारण वे इसी पद पर बने रह सकते हैं।
लेबल:
अफसरशाही,
कला,
परिदृश्य,
ललित कला अकादमी,
संस्कृति
गुरुवार, 14 नवंबर 2013
पठन से ज्यादा दर्शन की विषय वस्तु; 'मेघदूत-चित्रण'
पुस्तक विमोचन
मेघदूत-चित्रण
मूमल नेटवर्क, जयपुर। जयपुर आर्ट समिट के दौरान हुए पुस्तक विमोचन के क्रम में वरिष्ठ चित्रकार कन्हैयालाल वर्मा रचित पुस्तक 'मेघदूत-चित्रण' का विमोचन हुआ।34 चित्रों की दर्शन यात्रा
जैसा कि किसी चित्रकार की पुस्तक में संभावित होता है, वर्मा की पुस्तक 'मेघदूत-चित्रण' भी पठन से ज्यादा दर्शन की विषय वस्तु है। पुस्तक के 34 चित्रों की दर्शन यात्रा का रोमंाच सहज ही महसूस किया जा सकता है। वर्मा जी ने 18 वर्ष की युवावस्था से अब तक जब वे सत्तर बसंत देख जीवन सांझ का सुख ले रहे हैं, महाकवि कालीदास की कृति मेघदूतम के शब्दों को आकार देते रहे हैं। राजस्थानी परिवेष लिए लघु शैली में बनाए गए यह चित्र 'मेघदूतम के कई ह्रदयस्पर्शी श्लोकों को छूने में सक्षम है। चित्रों में प्रणय है, मिलन की प्यास है, वियोग का दर्द है, सौन्दर्य का बन्धन है और प्रेम की स्वतन्त्रता है। पुस्तक की सबसे महत्वपूर्ण बात है, चित्रकार के कवि ह्रदय के दर्शन।
चित्रों को आत्मसात करने की राह
चौंतीस चित्रों से सजी इस पुस्तक के प्रत्येक चित्र के साथ मेघदूतम का मूल संस्कृत श्लोक, उसका हिन्दी में किया गया भावानुवाद और अंग्रेजी का अनुवाद चित्रों को आत्मसात करने की राह प्रशस्त करता है। अंग्रेजी अनुवाद रूपनारायण काबरा ने किया है। इसमें से एक चित्र 'प्रतीक्षा का अन्त' के लिए वर्मा को कालीदास अकादमी उज्जैन द्वारा राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
वर्षा के जल से चलाया काम
अपनी रचना यात्रा का उल्लेख करते हुए वर्मा ने बताया कि राजस्थान में नमक के झीलों की नगरी संाभर में रहते हुए पारम्परिक तरीके से इन चित्रों को तैयार करने में काफी परेशानियों को सामना करना पड़ा। सर्वाधिक समस्या प्राकृतिक रंगों को घोलने के लिए निर्मल जल के अकाल के कारण होती थी। इसक लिए वे साल में एक बार मानसून के समय मरुधरा में होने वाली सीमित वर्षा का जल एकत्र करते और उसी के सहारे वर्ष पर्यतं काम चलाते। यह पानी खत्म होने पर जयपुर से बोतलबंद पानी भी मंगवाना पड़ता था।
अतिरिक्त बोनस पाने की खुशी जैसा संग्रह
पुस्तक और खासकर इसमें शामिल चित्रों का मुद्रण उच्च कोटि का है, लेखक द्वारा अपने माता-पिता की मधुर स्मृतियों को समर्पित इस पुस्तक का मूल्य मात्र 300 रुपए रखा गया है, जबकि यह मूल्य तो मेघदूत के चित्रों को निहारते हुए ही वसूल हो जाता है। शेष दुर्लभ सामग्री का संग्रह अतिरिक्त बोनस पाने की खुशी जैसा अहसास कराता है।
इसी के साथ समीक्षक विनोद भारद्वाज, राजेश व्यास व राजेश सिंह कि पुस्तकों का भी विमोचन हुआ।
लेबल:
दर्शन,
पठन,
पारम्परिक.,
मूमल.,
मेघदूत,
विषय वस्तु; मेघदूत-चित्रण
मंगलवार, 12 नवंबर 2013
Anjani Reddy की पेंटिंग में मूमल की कुंदन-मीना
मूमल द्वारा कुंदन-मीना ज्वैलरी पर प्रकाशित विशेषांक पत्रिका से प्रभावित होकर ख्यात चित्रकार अंजली रेडड़ी ने जयपुर आर्ट समिट के केम्प में बनाई अपनी पेंटिंग की नायिका को कुंदन-मीना के गहनों से सजाया। पत्रिका के विन्यास और रंग संयोजन को भी उन्होंने अपनी पेंटिंग में उपयोग किया और इसके लिए उन्होंने खुलकर मूमल की सराहना की।
लेबल:
कुंदन-मीना,
पेंटिंग,
मूमल,
Anjani Reddy,
Jaipur Art Summit,
Moomal,
Penting
काश कला जगत में 'मैं' की जगह 'हम' हो
मूमल संपादकीय
चहुमुखी सराहना तो कुछ आलोचना भी
जयपुर का पहला आर्ट समिट सम्पन्न हो गया। ...और जैसा कि अक्सर होता रहा है, इसके आयोजन के प्रति भी विरोधी स्वर मुखर हुए। समिट की समाप्ती से पहले ही जयपुर के कलाकारों की गुटबाजी के नतीजे सामने आने लगे। मुद्दा वही अहम् का रहा। इस प्रकार एक बेहतर पहल को सराहना के साथ-साथ आलोचना भी मिली।
माहौल बोझिल हुआ है और संवेदनाए चोटिल
कला जो कभी सत्यम शिवम सुन्दरम् और सुखाय का दूसरा नाम हुआ करती थी अब उसके पैमाने बदल गए हैं। कलाकारों क बीच की गुटबाजी, राजनीतिक दलों की खेमेबाजी का अहसास कराने लगी है। इसके चलते कला जगत का माहौल बोझिल हुआ है और संवेदनाए चोटिल। ऐसे में आपस में ही लड़ते-भिड़ते कलाकार क्योंकर आम आदमी को कला की ओर आकर्षित कर अपनी कला से उन्हें जोड़ पाएगें। यही कारण है कि कुछ कलाकार तो अब साफ ही कहने लगे हैं कि उनकी खास कला आम आदमी के लिए है ही नहीं।
इस गुटबाजी और एक-दूसरे पर लगाए जा रहे आरोप-प्रत्यारोप को प्रतिस्पर्था का क्रत्रिम चोला नहीं पहनाया जा सकता। स्वस्थ्य प्रतियोगिता तो एक अलग ही शै होती है जो कला को और निखारने का काम करती है। प्रतिस्पर्धियों को और बेहतर कृतियों का कर्ता बनने को प्रेरित करती है। उसके इरादों को और मजबूत बनाती हैं। आम आदमी से सहजता पूर्वक जोड़ती है। जबकि गुटबाजी कलाकार के संवेदशील मन में विकार और द्वन्द के जाल में उलझा देती है। इसका सीधा असर उसकी कृतियों में देखने को मिल जाता है। साधना से साध्य के बजाय साधन और भोतिकता की ओर बढ़ते कला के कदम इसी का परिणाम है।
मैं के कठघरे में कैद
हम यह नहीं कह रहे कि निर्मित कलाकृतियां सुंदर नहीं, लेकिन स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा के अभाव में वे कांतिहीन हैं, प्राणहीन भी कह सकते हैं। कला संसार सहजता, सरलता, सद्भाव और संवेदनाओं से सजता है। इसे मैं की जगह हम का भाव प्रभावी बना सकता है। यहां इस बात का अफसोस है कि कलाकार मैं के कठघरे में स्वयं को कैद करता जा रहा है।
उधेड़ सकते हैं तो बुन भी सकते हैं।
यह सही है कि किसी भी आयोजन में बहुत कुछ अच्छा किए जाने के बाद भी कुछ कमियां रह जाती है। किसी आयोजन में ये कमियां कुछ होती हैं और किसी में बहुत कुछ छूट जाता है। इन कमियों को बेहतर सलाह, सहृदयता, सहनशीलता और साथ के बल पर दूर किया जा सकता है। जब जब एक खेमा अपने आयोजन में दूसरे खेमें की कला को स्थान नहीं दे पाता है तो दूसरे खेमें के आयोजन में पहले खेमे की कला को स्थान नहीं मिलने की विवशताएं उसी प्रकार की होती है जैसी पहले आयोजन के लिए थी। इसी प्रकार किसी फैस्टिवल या समिट के आयोजन में भी कई बाते अलग हो सकती हैं, ऐमें उनकी तुलना बेमानी हो जाती है। कुल मिलाकर हम चाएं तो कमियों की फटी चादर में अपनी मैं की टांग फंसा कर उसे और अधिक उधेड़ सकते हैं और चाहें तो हम के ताने-बाने से उसे बुन भी सकते हैं।
चहुमुखी सराहना तो कुछ आलोचना भी
जयपुर का पहला आर्ट समिट सम्पन्न हो गया। ...और जैसा कि अक्सर होता रहा है, इसके आयोजन के प्रति भी विरोधी स्वर मुखर हुए। समिट की समाप्ती से पहले ही जयपुर के कलाकारों की गुटबाजी के नतीजे सामने आने लगे। मुद्दा वही अहम् का रहा। इस प्रकार एक बेहतर पहल को सराहना के साथ-साथ आलोचना भी मिली।
माहौल बोझिल हुआ है और संवेदनाए चोटिल
कला जो कभी सत्यम शिवम सुन्दरम् और सुखाय का दूसरा नाम हुआ करती थी अब उसके पैमाने बदल गए हैं। कलाकारों क बीच की गुटबाजी, राजनीतिक दलों की खेमेबाजी का अहसास कराने लगी है। इसके चलते कला जगत का माहौल बोझिल हुआ है और संवेदनाए चोटिल। ऐसे में आपस में ही लड़ते-भिड़ते कलाकार क्योंकर आम आदमी को कला की ओर आकर्षित कर अपनी कला से उन्हें जोड़ पाएगें। यही कारण है कि कुछ कलाकार तो अब साफ ही कहने लगे हैं कि उनकी खास कला आम आदमी के लिए है ही नहीं।
इस गुटबाजी और एक-दूसरे पर लगाए जा रहे आरोप-प्रत्यारोप को प्रतिस्पर्था का क्रत्रिम चोला नहीं पहनाया जा सकता। स्वस्थ्य प्रतियोगिता तो एक अलग ही शै होती है जो कला को और निखारने का काम करती है। प्रतिस्पर्धियों को और बेहतर कृतियों का कर्ता बनने को प्रेरित करती है। उसके इरादों को और मजबूत बनाती हैं। आम आदमी से सहजता पूर्वक जोड़ती है। जबकि गुटबाजी कलाकार के संवेदशील मन में विकार और द्वन्द के जाल में उलझा देती है। इसका सीधा असर उसकी कृतियों में देखने को मिल जाता है। साधना से साध्य के बजाय साधन और भोतिकता की ओर बढ़ते कला के कदम इसी का परिणाम है।
मैं के कठघरे में कैद
हम यह नहीं कह रहे कि निर्मित कलाकृतियां सुंदर नहीं, लेकिन स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा के अभाव में वे कांतिहीन हैं, प्राणहीन भी कह सकते हैं। कला संसार सहजता, सरलता, सद्भाव और संवेदनाओं से सजता है। इसे मैं की जगह हम का भाव प्रभावी बना सकता है। यहां इस बात का अफसोस है कि कलाकार मैं के कठघरे में स्वयं को कैद करता जा रहा है।
उधेड़ सकते हैं तो बुन भी सकते हैं।
यह सही है कि किसी भी आयोजन में बहुत कुछ अच्छा किए जाने के बाद भी कुछ कमियां रह जाती है। किसी आयोजन में ये कमियां कुछ होती हैं और किसी में बहुत कुछ छूट जाता है। इन कमियों को बेहतर सलाह, सहृदयता, सहनशीलता और साथ के बल पर दूर किया जा सकता है। जब जब एक खेमा अपने आयोजन में दूसरे खेमें की कला को स्थान नहीं दे पाता है तो दूसरे खेमें के आयोजन में पहले खेमे की कला को स्थान नहीं मिलने की विवशताएं उसी प्रकार की होती है जैसी पहले आयोजन के लिए थी। इसी प्रकार किसी फैस्टिवल या समिट के आयोजन में भी कई बाते अलग हो सकती हैं, ऐमें उनकी तुलना बेमानी हो जाती है। कुल मिलाकर हम चाएं तो कमियों की फटी चादर में अपनी मैं की टांग फंसा कर उसे और अधिक उधेड़ सकते हैं और चाहें तो हम के ताने-बाने से उसे बुन भी सकते हैं।
शनिवार, 9 नवंबर 2013
साहित्यकार विजयदान देथा का निधन
मूमल नेटवर्क, जयपुर। प्रदेश के महान साहित्यकार विजयदान देथा का निधन हो गया। वे 88 वर्ष के थे।
राजस्थान की लोक कथाओं और कहावतों के संग्रह एवं पुनर्लेखन के क्षेत्र में विजयदान देथा का योगदान विश्व स्तर पर समादृत है । पद्मश्री और साहित्य अकादमी पुरस्कारों से पुरस्कृत विजयदान देथा का जन्म 1 सितम्बर 1926, राजस्थान के बारूंदा गांव में हुआ था। इनके मित्र प्यार से इन्हें बिज्जी कहते थे। देथा ने 800 से अधिक कहानियाँ लिखी, जिनमें से अनेक का अनुवाद हिन्दी, अंग्रेजी तथा अन्य भाषाओँ में हो चुका है । उनकी कहानियों पर आधारित तीन हिन्दी फिल्में -दुविधा, पहेली और परिणीता बन चुकी हैं और चरनदास चोर सहित अनेक नाटक लिखे और मंचित हो चुके हैं ।
विजयदान देथा के बारे में यह तथ्य भी जानना कम महत्त्वपूर्ण नहीं है कि अधिकांश कहानियाँ मूलत: राजस्थानी में लिखी गयी थीं, सबसे पहले-'बातारी फुलवारीÓ नाम से उनका विशाल कथा ग्रंथ (तेरह खंडों में) प्रकाशित हुआ था । बाद में जब उनकी कहानियों के दो संग्रह हिन्दी में प्रकाशित हुए तो पूरा हिन्दी संसार चौंक पड़ा क्योंकि इस शैली और भाषा में कहानी लिखने की कोई परम्परा तथा पद्धति न केवल हिन्दी में नहीं थी बल्कि किसी भी भारतीय भाषा में नहीं थी। उनकी कहानियाँ पढ़कर विख्यात फिल्मकार मणिकौल इतने अभिभूत हुए कि उन्होंने तत्काल उन्हें लिखा-
''तुम तो छुपे हुए ही ठीक हो। ...तुम्हारी कहानियाँ शहरी जानवरों तक पहुँच गयीं तो वे कुत्तों की तरह उन पर टूट पड़ेंगे। ...गिद्ध हैं नोच खाएँगे। तुम्हारी नम्रता है कि तुमने अपने रत्नों को गाँव की झीनी धूल से ढँक रखा है।ÓÓ हुआ भी यही, अपनी ही एक कहानी के दलित पात्र की तरह- जिसने जब देखा कि उसके द्वारा उपजाये खीरे में बीज की जगह 'कंकड़-पत्थरÓ भरे हैं तो उसने उन्हें घर के एक कोने में फेंक दिया, किन्तु बाद में एक व्यापारी की निगाह उन पर पड़ी तो उसकी आँखें चौंधियाँ गयीं, क्योंकि वे कंकड़-पत्थर नहीं हीरे थे। विजयदान देथा के साथ भी यही हुआ। उनकी कहानियाँ अनूदित होकर जब हिन्दी में आयीं तो हिन्दी संसार की आँखें चौंधियाँ गयीं। स्वयं मणिकौल ने उनकी एक कहानी 'दुविधाÓ पर फिल्म बनाई। विजयदान देथा चारण जाति से थे। उनके पिता सबलदान देथा और दादा जुगतिदान देथा भी राजस्थान के जाने-माने कवियों में से हैं। देथा ने अपने पिता और दो भाइयों को एक पुश्तैनी दुश्मनी में मात्र चार वर्ष की आयु में खो दिया।
कभी अन्य किसी भाषा में नहीं लिखा
अपनी मातृ भाषा राजस्थानी के समादर में 'बिज्जीÓ ने कभी अन्य किसी भाषा में नहीं लिखा, उनका अधिकतर कार्य उनके एक पुत्र कैलाश कबीर द्वारा हिन्दी में अनुवादित किया।
उषा, 1946, कविताएँ
बापु के तीन हत्यारे, 1948, आलोचना
ज्वाला साप्ताहिक में स्तम्भ, 194-1952
साहित्य और समाज, 1960, निबन्ध
अनोखा पेड़, सचित्र बच्चों की कहानियाँ, 1968
फूलवारी, कैलाश कबीर द्वारा हिन्दी अनुवादित, 1992
चौधरायन की चतुराई, लघु कथाएँ, 1996
अन्तराल, 1997, लघु कथाएँ
सपन प्रिया, 1997, लघु कथाएँ
मेरो दर्द ना जाणे कोय, 1997, निबन्ध
अतिरिक्ता, 1997, आलोचना
महामिलन, उपन्यास, 1998
प्रिया मृणाल, लघु कथाएँ, 1998
राजस्थानी[संपादित करें]
बाताँ री फुलवारी, भाग 1-14, 1960-1975, लोक लोरियाँ
प्रेरणा कोमल कोठारी द्वारा सह-सम्पादित, 1953
सोरठा, 1956-1958
परम्परा, इसमें तीन विशेष चीजें सम्पादित हैं - लोक संगीत, गोरा हातजा, जेथवा रा * राजस्थानी लोक गीत, राजस्थान के लोक गीत, छ: भाग, 1958
टिडो राव, राजस्थानी की प्रथम जेब में रखने लायक पुस्तक, 1965
उलझन,1984, उपन्यास
अलेखुन हिटलर, 1984, लघु कथाएँ
रूँख, 1987
कबू रानी, 1989, बच्चों की कहानियाँ
देथा भी निम्नलिखित कार्यों के सम्पादन के लिए भी आकलित किया जाता है[1]
साहित्य अकादमी के लिए गणेशी लाल व्यास का कार्य पूर्ण किया।
राजस्थानी-हिन्दी कहावत कोष।
पुरस्कार और सम्मान
राजस्थानी के लिए 1974 का साहित्य अकादमी पुरस्कार[1]
1992 में भारतीय भाषा परिषद पुरस्कार[1]
1995 का मरुधारा पुरस्कार[1]
2002 का बिहारी पुरस्कार[1]
2006 का साहित्य चूड़ामणि पुरस्कार[2]
2007 में पद्मश्री [3]
मेहरानगढ़ संग्राहलय ट्रस्ट द्वारा 2011 में राव सिंह पुरस्कार
शुक्रवार, 8 नवंबर 2013
Jaipur Art Summit Day-2
आर्टसमिट का दूसरा दिन
सेमिनार, पुस्तक विमोचन और जेकेके में सांझी आर्ट के नामSitting from (L-R) Dr. Ashrafi S. Bhagat, Anjolie Ela Menon, Prof. Jai Krishna Agarwal, Vinod Bhardwaj at the 1st session of Art Seminar. |
जो बात बनीठणी में है वह मोनालिसा में कहां: जयकृष्ण अग्रवाल
जयकृष्ण अग्रवाल ने सेमिनार में कहा कि देशवासियों की मानसिकता अपनी कला को विदेशी कलाकारों से हेय समझने की है जिसे बदलना होगा। अपने बात को कहने के लिए उन्होंने आयातित प्रतिबिम्ब नामक शीर्षक देते हुए समझाई। उन्होंने कलाकारों और कलाविक्रेताओं को यह समझना होगा कि देश की कला उन्नत है और उसकी अपनी संरचना और इतिहास हैजिसे हम विदेश से तुलना नहीं कर सकते। जयकृष्ण अग्रवाल ने इस बात को यूं समझाया कि वह राजस्थान आए तो उन्हें बनीठणी ने बेहद प्रभावित किया और वह एक दुकान पर इसे खरीदने के लिए रुके तो दुकानदार न े तुरत कहा आइए सर, मोनालिसा ऑफ इंडिया केवल एक सौ पचास रुपए में। अग्रवाल ने कहा कि दुकानदार की इस बात से वह बेहद आहत हुए। उन्होंने बताया कि उन्होंने दुकानदार से पूछा कि क्या तुमने कभी मोनालिसा को देखा है तो दुकानदार ने कहा कि मोनालिसा कौन है? लेकिन, मोनालिसा का नाम बोलते ही ग्राहक झट से खरीद लेत हैं। अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने स्वयं लव्रू मेंं मोनालिसा को घंटों निहारा लेकिन, उसमें उन्हें वह रुप-लावण्य नहीं दिखा, जो बनीठणी में है।
कला और उस पर विदेशी प्रभाव : अशरफी भगत
आर्ट क्यूरेटर और आर्टक्रिटिक अशरफी भगत ने अपनी स्टडीट्रांजिट एण्ड ट्रांसफॉर्मेशन: मोबलाइजिंग आइडियाज एण्ड आर्टिस्टिक अप्रेटस- ए स्टडी ऑफ फाइव चेन्नई आर्टिस्ट के माध्यम से कहा कि कला और कलाकार के विचारों पर देश और दुनिया में घूमने से बड़ा वैश्विक प्रभाव पड़ता है और उसे और प्रभावी बनाने में मदद मिलती है।
कला को कैसे देखना है सीखना होगा: मंगलेशडबराल
वरिष्ठ पत्रकार और लेखक मंगलेश डबराल ने सेमिनार अपने विचार रखते हुए कहा कि हम सभी को सीखना होगा कला को कैसे देखना है। उन्होंने सत्रहवीं सदी के महान डच चित्रकार फरमीर की एक कृति मिल्कमेड या किचनमेड का उदाहरण देते हुए बताया कि एक स्त्री एक बर्तन में दूध डाल रहीहै। दूध की धार, मेज पर रखी रोटी, महिला का चेहरा और आधा शरीर एक मुलायम प्रकाश में चमक रहे हैं। अब इस चित्र को बेहद महत्वपूर्ण बनाने वाला केवल प्रकाश है। फरमीर ने अपने दस चित्रों में ऐसा प्रयोग किया है जिसे देखने के सबके अपने-अपने नजरिए हैं, लेकिन कलाकृति के मूल मनोभावों को समझने की कला को समझना ही कलाकार और कलाकृति के असली उद्देश्य को समझने में मदद करताहै।
कला की रेंज बहुत बड़ी है: प्रयाग शुक्ल
कवि, लेखक और पत्रकार प्रयाग शुक्ल ने कहा कि कला की रेंज बहुत बड़ी है। आदि युग से लेकर आज तक की दुनिया में कला इतनी विविध शैलियों में, विविध रचना सामग्री में और इतने आशयों में परिलक्षित हुर्इ है की व्यक्ति चकित रह जाता है। यह इसलिए संभव हुआ है कि काल और कला के विभिन्न चरणों में कलाकार को यही लगता है कि कई क्षेत्र ऐसे हैं जिन्हें आज तक नहीं छुआ गया। कला के आयाचिक क्षेत्र ही कला की रेंज को व्यापक बनाने में मदद करतेहैं।
जवाहर कला केंद्र में सांझी आर्ट ने मोहा सबका मन
( समाचार सौजन्य: अनुराग रायजादा )
लेबल:
Artist,
bani thani.,
Day-2,
Jaipur Art Summit,
Moomal
बुधवार, 6 नवंबर 2013
Jaipur Art Summit’13 begins today
Moomal Network, Jaipur. An array of artworks
from eminent artists overwhelms all the six art galleries, amphitheater and
even corridors of the Jawahar Kala Kendra as Jaipur hosts its first art summit
from Thursday. Over 150 artists will display their creative works in canvas, digital,
installation and mix-media formats apart from these artists works of famed
artists like MF Husain are being sourced from private collectors. Many of these
artworks will be on public display for the first time.
Governor of Rajasthan Margret Alva will
inaugurate the five day summit on Thursday in a ceremony at Hotel Clarks Amer,
in presence of eminent artists like Padmabhushan Jatin Das, Padama Shree
Anjolie Ela Menon and Padma Shree Shanti Dave. Art enthusiasts will also get
opportunity to interact and learn from experience of these artists at various
sessions scheduled over the five day event.
The Jaipur Art Summit' 13 is being organized by
Progressive Artist Group (PAG) to promote works of contemporary artists on an
international platform as well as to introduce the local artists to the
creative trends. “The state of Rajasthan has a rich history of sheltering and
nurturing various art formats, artists from the land have gained fame on global
platform however there remains a need to further boost the artistic tradition
of the state in accordance to requirements of contemporary art world, the
Jaipur Art Summit is a step in the direction” says R. B. Gautam. President PAG.
7TH NOVEMBER
Art Summit Opening : Inauguration by the Honorable
Governor of Rajasthan, Mrs. Margaret Alva
· Venue : Hotel Clarks,
Amer
· Time: 11:30am
ART CAMP: INAUGURATION BY PADAMA BHUSHAN JATIN DAS
· Venue : Hotel Clarks Amer
· Time : 1pm
ALL INDIA ART EXHIBITION :
INAUGURATION BY PADAMA SHREE SHANTI DAVE
· Venue: Jawahar Kala
Kendra
· Time : 5pm
INSTALLATION ART
· Venue : Jawahar Kala
Kendra/ Hotel Clarks Amer
· Time: 10 am to 5pm
RARE ART DEMO – JAWAHAR KALA KENDRA
· Black
Terracotta Pottery : Artisans
from Sawaimadhopur
· Ceramic
: Ms Meenu
Srivastava
· Glass
Painting : Olga Rodondo
Boada
· Sanjhi
Art of Vrindavan : Artisans from
Vrindavan
· Clay
Modeling : Padama Shree Arjun
Prajapati
· Cinema
Hoarding : Kala Shree Mohd.
Sharif
ART HAAT
· Venue : Hotel Clarks Amer
· Time : 11am to 7pm
· Participants :
Select Artisans
8TH NOVEMBER
ALL INDIA ART EXHIBITION
· Venue:Jawhar Kala Kendra
· Time: 11am to 5pm
ART CAMP
· Venue: Hotel Clarks, Amer
· Time: 11am to 5pm
INSTALLATION ART
· Venue: Jawahar Kala
Kendra/ Hotel Clarks, Amer
· Time: 11 am to 7pm
SEMINAR : INAUGURATION BY PADAMA SHREE ANJOLI ELA
MENON
· Venue: Hotel Clarks Amer
· Time: 11am to 5:30pm
New
Models for International Art & Cultural Collaboration - Insight, Best
Practices and Recommendations
SPEAKERS:
· Dr.Ashrafi Bhagat
· Mr. Jaikrishan Agarwal
AFTERNOON
ART AND ITS UNSOLICITED DOMAINS
· SPEAKERS:
· Mr.Prayag Shukla
· Mr.Mangalesh Dabral
· Book Launch: Meghdoot
Chitran
· Author: Mr. Kanhiyalal
Verma
RARE ART DEMO – JAWAHAR KALA KENDRA: 11AM TO 7PM
· Black
Terracotta Pottery : Artisans
from Sawaimadhopur
· Ceramic: Ms Meenu Srivastava
· Glass
Painting: Olga Rodondo Boada
· Sanjhi
Art of Vrindavan: Artisans from
Vrindavan
· Clay
Modeling : Padama Shree Arjun
Prajapati
· Cinema
Hoarding: Kala Shree Mohd. Sharif
· Enameling
Art: Mr. Surendra Singh Suran
ART HAAT
· Venue: Hotel Clarks, Amer
· Time: 11am to 7pm
· Participants:
Select Artisans
FILM SCREENING
· Please
check the board for details
9TH NOVEMBER
ALL INDIA ART EXHIBITION
· Venue:Jawhar Kala Kendra
· Time: 11am to 7pm
ART CAMP
· Venue: Hotel Clarks, Amer
· Time: 11am to 7pm
INSTALLATION ART
· Venue: Jawahar Kala
Kendra/ Hotel Clarks, Amer
· Time: 11 am to 7pm
SEMINAR
MORNING
Perspectives
and Dilemmas of the Contemporary Visual Artists
Ms.Alka Pande
Ms. Uma Nair
AFTERNOON
Subject:Art
Market & Its Influence on Contemporary Indian Art
· Mr.Johnny M.L.
· Mr. Abhay Sardesai
BOOK LAUNCH
· An
Introduction to Ajanta Caves
· Ajanta Paintings
Author Mr.Rajesh Singh
RARE ART DEMO – JAWAHAR KALA KENDRA: 11AM TO 7PM
· Black
Terracotta Pottery : Artisans
from Sawaimadhopur
· Ceramic: Ms Meenu Srivastava
· Glass
Painting: Olga Rodondo Boada
· Sanjhi
Art of Vrindavan: Artisans from
Vrindavan
· Clay
Modeling : Padam Shree Arjun
Prajapati
· Cinema
Hoarding: Kala Shree Mohd. Sharif
· Enameling
Art: Mr. Surendra Singh Suran
ART HAAT
· Venue : Hotel Clarks,
Amer
· Time: 11am to 7pm
· Participants :
Select Artisans
FILM SCREENING
· Please check the board
for details
10TH NOVEMBER
ALL INDIA ART EXHIBITION
· Venue:Jawhar Kala Kendra
· Time: 11am to 7pm
ART CAMP
· Venue: Hotel Clarks, Amer
· Time: 11am to 7pm
INSTALLATION ART
· Venue: Jawahar Kala
Kendra/ Hotel Clarks, Amer
· Time: 11 am to 7pm
RARE ART DEMO – JAWAHAR KALA KENDRA: 11AM TO 7PM
· Black
Terracotta Pottery : Artisans
from Sawaimadhopur
· Ceramic: Ms Meenu Srivastava
· Glass
Painting: Olga Rodondo Boada
· Sanjhi
Art of Vrindavan: Artisans from
Vrindavan
· Clay
Modeling : Padama Shree Arjun
Prajapati
· Cinema
Hoarding: Kala Shree Mohd. Sharif
· Enameling
Art: Mr. Surendra Singh Suran
ART HAAT
· Venue: Hotel Clarks, Amer
· Time: 11am to 7pm
· Participants:
Select Artisans
FILM SCREENING
· Please
check the board for details
11TH NOVEMBER
ALL INDIA ART EXHIBITION
· Venue:Jawhar Kala Kendra
· Time: 11am to 7pm
ART CAMP
EXHIBITION
· Venue: Hotel Clarks, Amer
· Time: 11am to 7pm
INSTALLATION ART
· Venue : Jawahar Kala
Kendra/ Hotel Clarks, Amer
· Time: 11 am to 7pm
RARE ART DEMO – JAWAHAR KALA KENDRA: 11AM TO 7PM
· Black
Terracotta Pottery : Artisans
from Sawaimadhopur
· Ceramic: Ms Meenu Srivastava
· Glass
Painting: Olga Rodondo Boada
· Sanjhi
Art of Vrindavan: Artisans from
Vrindavan
· Clay
Modeling : Padama Shree Arjun
Prajapati
· Cinema
Hoarding: Kala Shree Mohd. Sharif
· Enameling
Art: Mr. Surendra Singh Suran
ART HAAT
· Venue: Hotel Clarks, Amer
· Time: 11am to 7pm
· Participants:
Select Artisans
FILM SCREENING
· Please
check the board for details
· The
organizers reserve the right to change any programme.
· For
updates & changes please check the boards at the two main venue; Jawhar
Kala Kendra & Hotel Clarks, Amer
· 06NOV
Preview
: All India Art Exhibition
Venue: Jawahar Kala Kendra
Preview6:30pm (by invitation only)
Preview
· 07NOV
Art Summit Opening : Inauguration by the Honorable Governor of Rajasthan,
Mrs. Margaret Alva
Venue : Hotel Clarks, Amer
Time: 11:30am
Time: 11:30am
Art
Camp:
Venue : Hotel Clarks Amer
Time :1pm
Time :
· 08NOV
All India Art Exhibition
Venue:Jawhar Kala Kendra
Time:11am to
5pm
Time:
Art
Camp:
Venue : Hotel Clarks Amer
Time:11am to
5pm
Time:
· 09NOV
All India Art Exhibition
Venue:Jawhar Kala Kendra
Time:11am to
7pm
Time:
Art
Camp:
Venue : Hotel Clarks Amer
Time:11am to
7pm
Time:
· 10NOV
All India Art Exhibition
Venue:Jawhar Kala Kendra
Time:11am to
7pm
Time:
Art
Camp:
Venue : Hotel Clarks Amer
Time:11am to
7pm
Time:
· 11NOV
All India Art Exhibition
Venue:Jawhar Kala Kendra
Time:11am to
7pm
Time:
Art
Camp:
Venue : Hotel Clarks Amer
Time:11am to
5pm
Time:
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