सोमवार, 23 दिसंबर 2013

'आकार' की वार्षिक कला प्रदर्शनी Jkk में 26 से


मूमल नेटवर्क, जयपुर। समसामयिक चित्रकारों के 'आकार आर्ट ग्रुप' की वार्षिक कला प्रदर्शनी जयपुर के जवाहर कला केंद्र में 26 से 30 दिसम्बर तक होगी।
आई.ए.एस. करेंगे उद्धाटन
आकार के पदाधिकारी लक्ष्यपाल सिंह राठौड़ के अनुसार डांइग, पेंटिंग और स्कलप्चर की इस प्रदर्शनी का उद्घाटन 26 दिसम्बर को 11 बजे भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी पी.सी. गोयल करेंगे। प्रदर्शनी के प्रथम दर्शक के रूप में जाने-माने वकील आर.ए. कट्टा इनके साथ होंगे। यह प्रदर्शनी 30 दिसम्बर तक प्रतिदिन प्रात: 10 बजे से शाम 7 बजे तक देखी जा सकती है।
जयपुर के लिए नया काम
प्रदर्शनी के बारे में और जानकारी देते हुए आकार के पदाधिकारी प्रहलाद शर्मा नेे बताया कि पिछले सालों की तरह इस वर्ष भी जयपुर के दर्शकों को आकार से जुड़े कलाकारों का नया काम देखने का अवसर मिलेगा। आकार के अध्यक्ष डा. अनुपम भटनागर ने जहां इस बार कृष्ण लीला को अपनी खास शैली में अपना विषय बनाया है, वहीं लक्ष्यपाल सिंह ने अपनी सभी कृतियों को वाटर कलर के वॉश में प्रस्तुत किया है। अमित राजवंशी के कैनवास पर चिरपरिचित अश्वकन्या नए अंदाज में दिखने वाली है। स्वयं प्रहलाद शर्मा ने इस बार प्रकृति के साथ अपनी मत्स्यांगना को नए रूप में एकाकार किया है।
बाईस कलाकारों के काम शामिल
देवेन्द्र कुमार खारोल अपने जल रंगों के साथ अजमेर के लैंडस्केप के साथ नजर आएंगे, उदयपुर के राजाराम व्यास के भाव, हितेन्द्र सिंह भाटी के बहरूपिए, विनय त्रिवेदी की परम्परा, पुष्प कांत के गुरू-शिष्या के अंदाज, रमेश शर्मा के कॉम्पोजिशन, सुरेश प्रजापति के आध्यात्म सहित अनिल मोहनपुरिया के कैनवास पर ऑयल की अटखेलियां देखी जा सकेगी। दिल्ली जा बसने के बाद अजमेर के किरिट का काम एक अर्से के बाद देखा जा सकेगा, दिनेश मेघवाल और एम. कुमार सहित कुल मिलाकर इस साल 22 कलाकारों के काम प्रदर्शित किए जा रहे हैं। इनमेें निरंजन कुमार और शिवराज सिंह करदम की मूर्तिकला शामिल है।
महिला कूंची के नए रंग
महिला चित्रकारों की कूंचियां भी बदलाव के संकेत दे रही हैं। जयपुर की शैला शर्मा के चित्रों में अब समूचे मयूर ने नया आकार लिया है तो मथुरा की उमा शर्मा के कोलाज घाटों की यात्रा के बाद अब घरों की ओर बढ़े हैं। अजमेर की अर्चना तेला की कृतियों में दर्शकों को मानवीय रिश्तों की अनुभूतियों को और करीब से महसूस करने का अवसर मिलेगा। लखनऊ की नीता कुमार की आदिवासी कन्याओं की उपस्थिति के साथ उनकी कृतियों में रजा के रंग भी दिखेंगे लेकिन, जयपुर के दर्शक पिछले वर्ष की तरह इस साल भी रागिनी सिन्हा का नया काम देखने से वंचित रहेंगे।
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