शुक्रवार, 28 सितंबर 2012

जयपुर में आर्ट व पेंटिंग शो

19 से 21 अक्टूबर तक

 जयपुर के जवाहर कला केन्द्र में भीलवाड़ा (राजस्थान ) की आर्टो फिल आर्ट गैलेरी द्वारा आर्ट व पेंटिंग शो का आयोजन किया जा रहा है। 19 से 21 अक्टूबर तक चलने वाले इस तीन दिवसीय शो में पारम्परिक व आधुनिक कलाकृतियों का प्रदर्शन किया जाएगा।
संस्था की डायरेक्टर व चित्रकार वंदना दरक ने बताया कि इस शो में भीलवाड़ा के साथ उदयपुर, जयपुर, जोधपुर, भोपाल, अहमदाबाद व रायपुर के कई जाने-माने आर्टिस्ट भाग लेंगे। जयपुर के बाद यह शो दिल्ली और फिर अहमदाबाद में भी आयोजित किया जाएगा। आयोजकों के अनुसार अभी शो की प्रविष्ठियां जारी हैं, कोई आर्टिस्ट इसमें भाग लेना चाहे तो उसे संस्था के फोन नम्बर: 9414011175 पर सम्पर्क करना चाहिए।

गुरुवार, 27 सितंबर 2012

कला शिक्षा के लिए अनोखा धरना

  पहली अक्तूबर से जयपुर में होगा 

मूमल नेटवर्क जयपुर। कला शिक्षकों की भर्ती के लिए चल रही जद्दोजहद के चलते अब कलाकारों ने अपनी बात जग जाहिर करने के लिए अनोखा तरीका अपनाया है। इस क्रम में कलाकारों ने जयपुर स्थित शिक्षा संकुल के बाहर बड़े स्तर पर धरने व प्रदर्शन का आयोजन रखा है। इसमें खास बात यह है कि पहली अक्टूबर 2012 से शुरू होने वाले इस आंदोलन के दौरान कलाकार अपनी कला का सार्वजनिक प्रदर्शन भी करते रहेंगे। यह सब 15 अक्टूबर तक चलने की संभावना है।
राजस्थान बेरोजगार चित्रकला अभ्यर्थी संगठन सचिव महेश कुमार गुर्जर ने बताया कि शिक्षा विभाग में कला शिक्षकों की भर्ती पिछले 20 सालों से बंद पड़ी है। इसे फिर से शुरू कराने के लिए पूरे प्रदेश के कला अभ्यर्थी इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। इनमें चित्रकला, मूर्तिकला और संगीत क्षेत्र के अभ्यर्थी एक साथ अपनी बात शिक्षा विभाग और आमजन के सामने रखेंगे। गुर्जर के अनुसार प्रदेशभर में उनके सम्पर्क लगातार बने हुए हैं और ताजा स्थिति के आधार पर यह कहा जा सकता है कि एक पखवाड़े तक चलने वाले आंदोलन में लगभग 500 अभ्यर्थियों की सक्रीय भागीदारी होगी।
संगठन के उपाध्यक्ष झाबरमल वर्मा के अनुसार राजस्थान में पिछले 20 सालों से सरकारी विद्यालयों में कला शिक्षा पाठ्यक्रम के साथ भेदभावपूर्ण नीति अपनाई जा रही है। इस विषय के लाखों बच्चों के साथ खिलवाड़ हो रहा है। उन्हे इस विषय की शिक्षा वे शिक्षक दे रहे हैं जिनके पास चित्रकला की कोई डिग्री नहीं है।
कोटा से मूमल प्रतिनिधि विजेन्द्र कुमार वर्मा ने बताया कि कला शिक्षकों की भर्ती की मांग को लेकर एक प्रतिनिधि मंडल ने कोटा, बूंदी, बारां ओर झालावाड़ के जिला कलक्टर्स को ज्ञापन दिए हैं। जयपुर में होने वाले आंदोलन में भाग लेने के लिए कोटा से अभ्यर्थी कलाकारों का एक दल आ रहा है।
उदयपुर से मूमल संवाददाता के अनुसार वहां इस आंदोलन से जुड़े लोग फिलहाल सुस्त हैं। जयपुर से अभ्यर्थी संगठन के पदाधिकारियों ने उदयपुर के लिए कला अभ्यर्थी शरद भारद्वाज को जिम्मेदारी सौपी थी , लेकिन अब वहां व्यक्ति बदला जा रहा है।

फेसबुक पर व्यापक चर्चा
कलाकार नवलसिंह चौहान ने इस आंदोलन के लिए 'फेसबुकÓ पर अभियान छेड़ रखा है। उनके अभियान को कला जगत में बेहतर समर्थन मिल रहा है। चौहान के प्रयासों से जो सबसे महत्वपूर्ण पक्ष उभरा है वह यह कि आम और खास सभी कलाकारों के साथ आमजन को भी यह स्पस्ट हो रहा है कि राजस्थान के शिक्षा विभाग  में कितनी धांधली चल रही है? विभाग के सभी विद्यालयों में जो बच्चों को जो शिक्षक चित्रकला विषय को ज्ञान दे रहे हैं उनके पास चित्रकला विषय की कोई उपाधि नहीं है। दूसरी और जिनके पास चित्रकला विषय में स्नातक उपाधियां है वे स्लेट, नेट, में प्रयास कर रहे हैं। बहुत से पी.एच.डी. कर के टाइमपास कर रहे हैं। बहुत से मामलों में कला अभ्यर्थी केवीएस, एनवीएस और डीएसएसएसबी में जॉब तलाश रहे हैं।
फेसबुक में इस विषय पर अनेक रोचक टिप्पणियां भी सामने आ रही हैं।
एक कलाकार ने लिखा है ' वैसे तो ये कला अभ्यर्थी विभिन्न शहरों में आयोजित होने वाले कला मेलों मेंं भाग लेने के लिए अपने खर्चे पर जाते रहते हैं और रोजगार दिलाने के होने वाले इस आंदोलन में आने के लिए अगर-मगर कर रहें हैं।
एक अन्य टिप्पणी में लिखा है कि 'अभी तो इसे कोई तव्वजों नहीं दे रहे हैं, लेकिन जब कला के कॉलेज व्याख्याता और स्कूली व्याख्याता के लिए सैकेंड ग्रेड की भर्ती खुलेगी तो सबसे पहले वही कला अभ्यर्थी फार्म भरने के लिए दौड़ेंगे जो अभी साथ नहीं दे रहे हैं।
विधानसभा सत्र से भी उम्मीद
आदोलन के आयोजकों को 10 अक्टूबर से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र से भी काफी उम्मीद हैं। विधायक राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने उन्हें विश्वास दिलाया है कि वे विधानसभा में बेरोजगार चित्रकला अभ्यर्थियों का सवाल प्रमुखता से उठाएगें।

सोमवार, 24 सितंबर 2012

LALIT KALA AKADAMI

राजधानी की ललित कला अकादमी में इनदिनों धमासान मचा हुआ है। अकादमी से जुड़े पदाधिकारी और सदस्य कला के प्रति अपने निर्धारित कार्य और उद्देश्यों को भूलकर आपसी छीछालेदर और फजीती में लगे हैं। सभी एक-दूसरे के खिलाफ अपने अधिकारों का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में बात जांच समितियों और अदालती मामलों तक पहुंची हुई है। चिंता का विषय यह भी है कि राजधानी से निकल कर यह वायरस राज्यों की अकादमियों तक भी पहुंच रहे हैं फिलहाल आपके सामने पेश है राजधानी की ललित कला अकादमी में चल रही काजगुजारियों की एक बानगी।  (सं.)

ललित कला अकादमी में धमासान

मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली। राजधानी की ललित कला अकादमी में अभी दो प्रमुख गुट सक्रीय हैं। एक गुट उपाध्यक्ष के. आर. सुब्बन्ना और सचिव सुधाकर शर्मा का बताया जा रहा है, जबकि दूसरा अध्यक्ष अशोक वाजपेयी के साथ खड़े लोगों का बन गया है। अपने-अपने दाव लगने पर दोनों एक दूसरे को ऐसी पटखनी दे रहे हैं कि अकादमी में दर्शक बने लोग माहौल के मुताबिक आह या वाह करते हैं।
आरोनों से धिरे सचिव
राजधानी के सूत्रों की बात सही मानी जाए तो वर्तमान में विभिन्न शिकायतों के बाद आरोनों से धिरे सचिव सुधाकर शर्मा अनियमितताओं के दोषी पाये गये है। उपाध्यक्ष के. आर. सुब्बन्ना के द्वारा किये गए आचरण संहिता के उलन्घन पर अनुशासनिक समिति गठित है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के ओ. एस. डी. देवरतन शर्मा को पूर्व अध्यक्ष ने सदस्यता से वंचित कर दिया थाए बावजूद इसके ये अकादमी में पूरी तरह सक्रीय है। सूत्रों के अनुसार ये लोग आज अकादमी के तथा कलाकारों के भाग्यविधाता बने हुए हैं। अकादमी में अनियमितता करने वालों का बोलबाला हो गया है। ये सभी अकादमी के कार्यकारिणी समिति के सदस्य हैं। इनकी अनियमितताओं के खिलाफ जिसने भी आवाज बुलंद की उन पर अकादमी की गरिमा को धूमिल करने का ठप्पा लगता जा रहा है। अभी उनमें श्रीकांत पाण्डेय, अशोक वाजपेयी, बालान नाम्बिआर, के. के. चक्रवर्ती इत्यादि।
पाण्डेय की मुहिम
छीछालेदर तब उजगार हुई जब एक सदस्य श्रीकांत पाण्डेय ने सचिव सुधाकर शर्मा के खिलाफ तानाशाही और अनियमितताओं के आरोप लगाते हुए मामले को अदालत में घसीटा। बताते हैं आज सुधाकर शर्मा पर अनेकों मुकदमें अदालत में लंबित हैं। श्रीकांत पाण्डेय द्वारा दायर मुकदमे के बाद अनुशासनिक समिति का गठन हुआ, इस समिति का अध्यक्ष के. के. चक्रवर्ती को बनाया गया, के. के. चक्रवर्ती ने सुधाकर शर्मा को दोषी पाया। इसके बाद से सुधाकर शर्मा की नजरों में श्रीकांत पाण्डेय और के. के. चक्रवर्ती दोनों अकादमी की गरिमा को धूमिल करने वाले प्रमुख व्यक्ति हो गए। सुधाकर शर्मा के खिलाफ कारवाई कराने में कामयाबी के बाद उत्साहित श्रीकांत पाण्डेय ने पूर्व सदस्यों द्वारा किये गए भ्रष्टाचार को उजागर करने की मुहिम छेड़ दी। अब सुना जा रहा है कि कुछ शिकायतकर्ताओं को अकादमी की काली सूचि में डालने की तैयारी चल रही है।
पूर्व में अध्यक्ष अशोक वाजपेयी ने सुधाकर शर्मा की अनियमितताओं के कारण सचिव के पद से हटा दिया था। इसलिए अशोक वाजपेयी ललित कला अकादमी के दुश्मन बताए जाने लगे। बालान नाम्बिआर ने भी अन्य लोगों की तरह अकादमी में हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर करने की कोशिश की जिस कारण इन्हें कथित भ्रष्टाचारियों के कोप का भजन बनना पड़ा। सचिव सुधाकर शर्मा ने बालान नाम्बिआर को प्रताडि़त करने के लिए अनेक   उपाय किये। बालान नाम्बिआर का कहना है की जबतक सुधाकर शर्मा अकादमी में रहेंगे, वे अकादमी के अन्दर कदम नहीं रखेंगे।
अब स्थिति ये है कि अकादमी के सदस्य श्रीकांत पाण्डेय का आरोप हैं कि भ्रष्टाचारियों ने अकादमी का अपहरण कर लिया है। ऐसे लोग अकादमी का मनमाने तरीके से दुरूपयोग कर रहे हैं। अकादमी में सुधार के लिए किए जा रहे उनके प्रयासों के चलते मनमानी करने वालों कि गतिविधियों पर अंकुश लगा है। ऐसे में अब सचिव सुधाकर शर्मा और उनके सिपहसालार श्रीकांत पाण्डेय को परेशान करने का हर हथकंड़ा आजमाने में लगे हैँ, इसके तहत पाण्डेय को काली सूचि में डालकर किनारे लगाना शामिल है। इसी के साथ उन्हें कारण बताओ नोटिस दिए जाने की भी चर्चा हैं। उधर श्रीकांत पाण्डेय कहते हैं कि उन्होंने भी कमर कस ली है और ईट का जबाब पत्थर से देने के लिए तैयार बैठे हैं। अगर अधिकारियों ने मनमानी करने की कोशिश की तो वे इन सभी को अदालत में घसीटने से परहेज नहीं करेंगे।

शनिवार, 8 सितंबर 2012

कलाकृतियों की सरकारी खरीद की तैयारी

कलाकृतियों की सरकारी खरीद की तैयारी 

मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान के वरिष्ठ कलाकारों के एक समूह ने अपनी पेंटिग्स की सरकारी खरीद के लिए 26 साल पुराने बोतल में बंद एक नियम को फिर से बाहर निकालने की जद्दोजहद शुरू की है। इस नियम के तहत यह व्यवस्था थी कि किसी भी नवनिर्मित सरकारी इमारत की सजावट में उसके निर्माण के कुल बजट का एक निश्चित भाग कलाकृतियों की खरीद पर व्यय किया जाता था।
बाद में वक्त की धूल में यह नियम दब गया और सरकारी भवनों में पर्यटन निगम के पोस्टर आदि दीवारों पर लगाए जाते रहे। अब राजस्थान ललित कला अकादमी में उसी समूह के एक कलाकार के अध्यक्ष मनोनीत होने के बाद इस पुराने नियम के आधार पर नए भवनों के लिए कलाकृतियों की खरीद के प्रस्ताव बनाए जा रहे हैं। फिलहाल केवल अकादमी से जुड़े राजस्थान के चित्रकारों की कलाकृतियों की खरीद का प्रस्ताव ही बन रहा है। इसी के साथ यह बात उठने लगी है कि नए भवनों की सजावट के लिए केवल चित्र ही क्यों? स्कल्पचर या शिल्प भी क्यों नहीं? बात तो यह भी उठ रही है कि केवल राजस्थान के या अकादमी से जुड़े कलाकारों की कृतियां ही क्यों? सुंदरता या सजावट के लिए प्रांतों की सीमाएं तोड़कर उस प्रत्येक कलाकृति को स्थान क्यों नहीं दिया जा सकता जो सुंदर हों और भविष्य में अपनी बढ़ती कीमत के अनुसार सरकार के खजाने का मूल्य भी बढ़ाएं।

1986 में हुई थी अंतिम खरीद

अकादमी से सरकारी स्तर पर अंतिम खरीद वर्ष 1986 में हुई थी। इसके बाद अकादमी द्वारा कई बार प्रयास करने के बावजूद सरकार ने ध्यान नहीं दिया। इसी का परिणाम रहा कि शहर के मॉडर्न आर्ट और मिनिएचर कला बाजार की ग्रोथ रेट बेहद धीमी रही।

एक इमारत में लाखों की खरीद

एक अनुमान के अनुसार महज एक सरकारी इमारत की लागत में खर्च होने वाले कुल बजट का केवल दो प्रतिशत बजट भी कला बाजार पर खर्च किया जाए, तो यह आकड़ा लाखों रूपए में पहुंचता है। इस कारण न सिर्फ  कला बाजार का टर्न ऑवर मूव करेगा, बल्कि कलाकारों को क्लाइंट के रूप में सरकारी मदद भी मिलेगी।
 (इस संबंध में और विस्तार से जानकारी एकत्र की जा रही है जो इसी साइट पर उपलब्ध होगी)

रविवार, 2 सितंबर 2012

कलाकारों को मिला पुरस्कार

अकादमी की बुकलेट पर नेमाराम की कृति कंट्रोल ऑफ़ नेचर 
मूमल नेटवर्क, जयपुर। जवाहर कला केंद्र की चतुर्दिक आर्ट गैलरी में बुधवार 29 अगस्त की शाम राजस्थान ललित कला अकादमी की 53 वीं वार्षिक कला प्रदर्शनी आरम्भ हुई। इसमें प्रदेश के 81 युवा कलाकारों की 90 कलाकृतियों की प्रदर्शित किया गया।
प्रदर्शनी में रंगों और रूपाकारों के खूबसूरत संयोजन से सजी पेंटिंग्स के अलावा मूर्तिशिल्प भी था। अकादमी ने इस प्रदर्शनी के लिए एक सौ अस्सी कलाकारों की पांच सौ चालीस कृतियों का पंजीकरण किया। उसके बाद प्रतिभा दाकोजी, डॉ. एम.के. शर्मा सुमहेंद्र और दत्तात्रेय आप्टे की ज्यूरी ने इसमें से 84 चित्रों और 8 मूर्तिशिल्पों को प्रदर्शनी के लिए तथा दस कलाकारों की कृतियों को अकादमी के बीस-बीस हजार रुपए के स्टेट अवॉर्ड के लिए चुना।
उद्घाटन के मौके पर अवार्डी कलाकारों को राजस्थान यूनिवर्सिटी के कुलपति बी.एल. शर्मा, महर्षि दयानंद सरस्वती यूनिवर्सिटी, अजमेर के कुलपति रूप सिंह बारेठ, अकादमी के चेयरमैन डॉ. भवानी शंकर शर्मा, चित्रकार विद्यासागर उपाध्याय और राधा बल्लभ गौतम ने पुरस्कृत किया।

इनको मिला पुरस्कार :

राकेश सिंह कोटा, कमल कुमार वर्मा सांभरलेक, गोपाल शर्मा जयपुर, तरुण जोशी डूंगरपुर, मनोज टेलर वनस्थली, द्वारका प्रसाद चौधरी जयपुर, नवीन सिंह जयपुर, नेमा राम सुमेरपुर,रतन सिंह जयपुर और पवन कुमार शर्मा जयपुर।

इनकी कृतियां हुई प्रदर्शित:

जयपुर से
अजीत कुमार, अदिति अग्रवाल, किशन मीणा, खुशनारायण जांगिड़, गोपाल शर्मा, गौरीशंकर जांगिड़, जितेन्द्र सैनी, द्वारका प्रसाद चौधरी, नवीन सिंह, निधि पालीवाल, निष्ठा जैन, नीतू जांगिड़, नीलू कनवरिया, पवन कुमार शर्मा, प्रतिभा यादव, प्रहलाद जांगिड़, प्रिया शर्मा, प्रेमपालसिंह तंवर, प्रेरणा खण्डेलवाल, ब्रिजेश अग्रवाल, डॉ. मगिा भारतीय, मनीषा कंवर राठौड़, डॉ. मोनिका चौधरी, मोनिका टेलर, डॉ. मोहम्मद सलीम, डॉ. रीटा प्रताप, लोकेन्द्र सिंह, लोकेश कुमावत, विनय त्रिवेदी, विनोद भारद्वाज, विष्एाु कुमार सैनी, शिखा राजौरिया, शीतल चितलांगिया, श्याम गोठवाल, रूवेत गोयल, संगीता राज, दीपिका शर्मा, रतन सिंहऔर रेणु बाला।
सांभरलेक से
कमल कुमार वर्मा और किशनलाल खटीक।
कोटा से
कमल बक्षी, कृष्णा महावर पंचाल और डॉ. राकेश सिंह।
वनस्थली से
डॉ. किरन सरना, मनोज टेलर इन्दू सिंह।
भीलवाड़ा से
कैलाश चन्द्र पालिया, गोपाल आचार्य, जयराजसिंह चौहान, ज्योति पारीक, नन्दकिशोर शर्मा, भावना सोनी, सौरभ भट्ट, हितहरिदास वैष्णव और लोकेश जोशी।
उदयपुर से
चिमन डांगी, नीलम शर्मा, डॉ. भावना श्रीमाली, रमा कुमावत, राजेश कुमार, वीरांगना सोनी,डॉ. शंकर शर्मा, श्याम गोठवाल, सुनील निमावत और सुरेन्द्र सिंह चूण्डावत।
डूंगरपुर से
तरूण जोशी, घर्मेन्द्र भट्ट और भरतलाल।
जोधपुर से
नम्रता स्वर्णकार, नीरज पटेल और प्रदीप्ता किशोर दास।
बांसवाड़ा से
परमेश्वर गोस्वामी और मनीष कुमार भट्ट।
अजमेर से
डॉ. बी.सी. गहलोत, योगेश वर्मा, कपिल खन्ना और निरंजन कुमार।
चितौडग़ढ़ से
मुकेश कुमार शर्मा।
दौसा से
रामप्रसाद सैनी और संजय कुमार मीणा।
बींदासर से
शिवकुमासर सोनी।
राजसमंद से 
हतेन्द्र सिंह भाटी।
सुमेरपुर से
नेमाराम।

शनिवार, 1 सितंबर 2012

Sr. Artist P.N. Coyal NO MORE.

Well none Sr. Artist 

P.N. Choyal NO MORE. 

Funeral at Ashok Nagar Syamshan Vishram Sthal UDAYPUR (Rajasthan) 1.30 PM date: 01. 09. 2012
 

About his works

He was told
'' I have been involved in painting seriously since 1948. Thereafter I passed through various phases due to the changes in my vision. After getting education from Jaipur School of Arts, where I have been in close contact with my teachers like Shailendra Nath De and Ramgopal Vijayvargiya, I started painting in wash and tempera techniques. My education from JJ School of Arts, Bombay, gave me an incentive to paint in oil. For a couple of years, I was trying to analyze human forms and nature around.

In 1961-62 I studied in Slade College of Art, London, which gave me a new vision of exploring the surface value and relationship of form and space. I tried to look inside to find new values. My technique also changed. I tried to use oil like water color. At once canvas started giving me new values of creation. I was trying to synthesize the external world with internal vision.

In 1974 my vision was again changed due to long illness. Everything appeared to me more thrilling. My lines were broken in tune with the throbbing of my heart. I started spreading them on the canvas at random that created new values of design and surface. My colors became somber.
After recovering from my long illness I diverted towards the sufferings of life. Women around me in Rajasthan were the great symbol of pathos for me, when I saw them being tortured, being brutally treated, beaten, raped and what not. At that time I started painting in series of walls, women and dissolving past etc. These subjects became more captivating for me.

Slowly and gradually I started realizing that subjects are meaningless. They are only for motivation. Actual realization comes with the fusion of inner and external world, when they become one with the artist himself.

To me art is a sort of meditation or yoga.''

PN Choyal

Education
· Fine Art Diploma (1948) and D.T.T. from School of Arts & Crafts, Jaipur (1946).
· Government Diploma (Painting) – Sir J.J. School of Arts, Mumbai, 1953.
· Attended Slade College of Arts, University College, London, 1961-62.
· M.A. Hindi (Lit.) 1955.
· Attended All India Art Teachers Sequential Camp, Mumbai in the year 1970 and 1971.
· Attended Fresco and Mural Camp, Banasthali Vidyapeeth – 1967.
· Attended innumerable seminars and workshops at various Universities.

Art Camps
· SARC Festival-1986
· Painters’ camp at Mandav, M.P.-1986.
· Painters’ camp Karnataka Akademy-1986.
· Aaj-1995, Udaipur
· ABC Art Gallery,Varanasi, Jawahar Kala Kendra’s, Painters’ camp held at WZCC, Udaipur & Art camp at Agra, in1996.
· Rajasthan Lalit Kala Akademy and Lalit Kala Akademy, New Delhi between 1970 and 1990.
· All India artists’ camp of fellows of Rajasthan Lalit Kala Akademy between 1996 – 1998
· Veteran Artists’ camp – Rajasthan Lalit Kala Akademy & West Zone Culture Centre – 1998
· 50 years Celebration camp - West Zone Culture Centre & North Zone Culture Centre – 1998
· Artist camp at Hyderabad, organized by WWF 2003
· Artist camp at Kurukshetra University 2003
· Artist camp at Bhuvnashwar, organized by Reflection of Another Day 2003
· Artist camp at Bikaner sponsored by AIFACS New Delhi 2004
· Artist Camp at Amritsar -2004.
· Art camp- come seminar Dayal Bagh University Agra 2007.

Awards
· Rajasthan Lalit Kala Akademy - 1960, 1961,1963,1964,1965 and 1968.
· Indian Academy of Fine Arts, Amritsar-1978-79.
· All India Fine Arts & Crafts Society, New Delhi-1983, 1986 & 1990.
· National Award by Lalit Kala Akademy, New Delhi-1988.

Honours
· Elected the ‘FELLOW’ by Rajasthan Lalit Kala Akademy.
· Veteran Artist’s honour by A.I.F.A.C.S. New Delhi - 1984.
· ‘Kala Ratna’ award – 2007 by Lalit Kala Akademi, New Delhi.

One Man & Group Exhibitions
· Kota, Udaipur, Jaipur, Alwar, Delhi, Mumbai, Madras, Chandigarh, Banglore and Calcutta, Japan, Moscow, Brazil, Algeria etc.
· Participated in all major Art Exhibitions held in India which include All India Fine Arts & Crafts Society, New Delhi; Akademy of Fine Arts, Amritsar; Oriental Society and Birla Academy of Art and Culture, Calcutta; U.P. Akademy; Bombay Art Society; Drawing exhibitions organised by Govt Museums and Art Gallery, Chandigarh; Rajasthan Lalit Kala Akademy and Central Lalit Kala Akademy, New Delhi.

Invitations
· Moscow-Veteran Artists of India-1986.
· VIth Triennale-1986.
· Sao-Paulo-International Biennal-1987.
· Havana-International Biennal-1989.(Deputed Commissioner for Indian Section),
· Bharat Bhavan Biennal-1992.
· Birla Academy of Fine Arts, Calcutta, Silver Jubilee Exhibition-1992.
· Global Forum , Shimane Artists Conference, Japan , 1992.
· One man Show at KYOTO (Japan)organised by Shimin Gaiko Association Sept-1992.
· Cultural Dept. Japan & Shimin Giako Assoc. Joint Exhibition at Kobe (JAPAN)-1993.

Collections
National Gallery of Modern Art, Lalit Kala Akademy, Rajasthan Lalit Kala Akademy, Modern Art Gallery, Chandigarh Museum, Govt. Museum Jaipur, Maharani Gayatri Devi, Governer’s house Jaipur, Maharao Bhim Singh Kota, H.H. Jawahar, Kamani Bros., Bajaj Enterprises, Taj group, Larson and Turbo, Union Carbide, Steel Authority of India, Air India, CRY, Jawahar Kala Kendra - Jaipur and Several other private collections in India and abroad. YAMASO BIJITSU Art Gallery, Kyoto, Japan.

चित्रकार पी.एन.चोयल नहीं रहे

चित्रकार पी.एन.चोयल नहीं रहे

जाने-माने वरिष्ठ चित्रकार पी.एन. चोयल का आज उदयपुर (राजस्थान) में निधन हो गया। वे 78 वर्ष के थे।
उदयपुर से हमारे सहयोगी मोहन लाल जाट ने अभी बताया कि पिछली रात उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई और रात डेढ़ बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। आज याने पहली सितम्बर को दोपहर बाद उदयपुर के अशोक नगर स्थित शमशान घाट में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस प्रकार पिछले छह दशक से रंगों से खेलती कलाकार की देह पंचतत्वों के रंगों में विलीन हो गई।
शोक संवेदना के लिए उनके परिजनों से इन टेलीफोन नम्बरों पर सम्पर्क किया जा सकता है।
91-294-2813960 mob: 91-9414168094
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