पहली अक्तूबर से जयपुर में होगा
मूमल नेटवर्क जयपुर। कला शिक्षकों की भर्ती के लिए चल रही जद्दोजहद के चलते अब कलाकारों ने अपनी बात जग जाहिर करने के लिए अनोखा तरीका अपनाया है। इस क्रम में कलाकारों ने जयपुर स्थित शिक्षा संकुल के बाहर बड़े स्तर पर धरने व प्रदर्शन का आयोजन रखा है। इसमें खास बात यह है कि पहली अक्टूबर 2012 से शुरू होने वाले इस आंदोलन के दौरान कलाकार अपनी कला का सार्वजनिक प्रदर्शन भी करते रहेंगे। यह सब 15 अक्टूबर तक चलने की संभावना है।राजस्थान बेरोजगार चित्रकला अभ्यर्थी संगठन सचिव महेश कुमार गुर्जर ने बताया कि शिक्षा विभाग में कला शिक्षकों की भर्ती पिछले 20 सालों से बंद पड़ी है। इसे फिर से शुरू कराने के लिए पूरे प्रदेश के कला अभ्यर्थी इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। इनमें चित्रकला, मूर्तिकला और संगीत क्षेत्र के अभ्यर्थी एक साथ अपनी बात शिक्षा विभाग और आमजन के सामने रखेंगे। गुर्जर के अनुसार प्रदेशभर में उनके सम्पर्क लगातार बने हुए हैं और ताजा स्थिति के आधार पर यह कहा जा सकता है कि एक पखवाड़े तक चलने वाले आंदोलन में लगभग 500 अभ्यर्थियों की सक्रीय भागीदारी होगी।
संगठन के उपाध्यक्ष झाबरमल वर्मा के अनुसार राजस्थान में पिछले 20 सालों से सरकारी विद्यालयों में कला शिक्षा पाठ्यक्रम के साथ भेदभावपूर्ण नीति अपनाई जा रही है। इस विषय के लाखों बच्चों के साथ खिलवाड़ हो रहा है। उन्हे इस विषय की शिक्षा वे शिक्षक दे रहे हैं जिनके पास चित्रकला की कोई डिग्री नहीं है।
कोटा से मूमल प्रतिनिधि विजेन्द्र कुमार वर्मा ने बताया कि कला शिक्षकों की भर्ती की मांग को लेकर एक प्रतिनिधि मंडल ने कोटा, बूंदी, बारां ओर झालावाड़ के जिला कलक्टर्स को ज्ञापन दिए हैं। जयपुर में होने वाले आंदोलन में भाग लेने के लिए कोटा से अभ्यर्थी कलाकारों का एक दल आ रहा है।
उदयपुर से मूमल संवाददाता के अनुसार वहां इस आंदोलन से जुड़े लोग फिलहाल सुस्त हैं। जयपुर से अभ्यर्थी संगठन के पदाधिकारियों ने उदयपुर के लिए कला अभ्यर्थी शरद भारद्वाज को जिम्मेदारी सौपी थी , लेकिन अब वहां व्यक्ति बदला जा रहा है।
फेसबुक पर व्यापक चर्चा
कलाकार नवलसिंह चौहान ने इस आंदोलन के लिए 'फेसबुकÓ पर अभियान छेड़ रखा है। उनके अभियान को कला जगत में बेहतर समर्थन मिल रहा है। चौहान के प्रयासों से जो सबसे महत्वपूर्ण पक्ष उभरा है वह यह कि आम और खास सभी कलाकारों के साथ आमजन को भी यह स्पस्ट हो रहा है कि राजस्थान के शिक्षा विभाग में कितनी धांधली चल रही है? विभाग के सभी विद्यालयों में जो बच्चों को जो शिक्षक चित्रकला विषय को ज्ञान दे रहे हैं उनके पास चित्रकला विषय की कोई उपाधि नहीं है। दूसरी और जिनके पास चित्रकला विषय में स्नातक उपाधियां है वे स्लेट, नेट, में प्रयास कर रहे हैं। बहुत से पी.एच.डी. कर के टाइमपास कर रहे हैं। बहुत से मामलों में कला अभ्यर्थी केवीएस, एनवीएस और डीएसएसएसबी में जॉब तलाश रहे हैं।
फेसबुक में इस विषय पर अनेक रोचक टिप्पणियां भी सामने आ रही हैं।
एक कलाकार ने लिखा है ' वैसे तो ये कला अभ्यर्थी विभिन्न शहरों में आयोजित होने वाले कला मेलों मेंं भाग लेने के लिए अपने खर्चे पर जाते रहते हैं और रोजगार दिलाने के होने वाले इस आंदोलन में आने के लिए अगर-मगर कर रहें हैं।
एक अन्य टिप्पणी में लिखा है कि 'अभी तो इसे कोई तव्वजों नहीं दे रहे हैं, लेकिन जब कला के कॉलेज व्याख्याता और स्कूली व्याख्याता के लिए सैकेंड ग्रेड की भर्ती खुलेगी तो सबसे पहले वही कला अभ्यर्थी फार्म भरने के लिए दौड़ेंगे जो अभी साथ नहीं दे रहे हैं।
विधानसभा सत्र से भी उम्मीद
आदोलन के आयोजकों को 10 अक्टूबर से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र से भी काफी उम्मीद हैं। विधायक राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने उन्हें विश्वास दिलाया है कि वे विधानसभा में बेरोजगार चित्रकला अभ्यर्थियों का सवाल प्रमुखता से उठाएगें।
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