राजधानी की ललित कला अकादमी में इनदिनों धमासान मचा हुआ है। अकादमी से जुड़े पदाधिकारी और सदस्य कला के प्रति अपने निर्धारित कार्य और उद्देश्यों को भूलकर आपसी छीछालेदर और फजीती में लगे हैं। सभी एक-दूसरे के खिलाफ अपने अधिकारों का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में बात जांच समितियों और अदालती मामलों तक पहुंची हुई है। चिंता का विषय यह भी है कि राजधानी से निकल कर यह वायरस राज्यों की अकादमियों तक भी पहुंच रहे हैं फिलहाल आपके सामने पेश है राजधानी की ललित कला अकादमी में चल रही काजगुजारियों की एक बानगी। (सं.)
आरोनों से धिरे सचिव
राजधानी के सूत्रों की बात सही मानी जाए तो वर्तमान में विभिन्न शिकायतों के बाद आरोनों से धिरे सचिव सुधाकर शर्मा अनियमितताओं के दोषी पाये गये है। उपाध्यक्ष के. आर. सुब्बन्ना के द्वारा किये गए आचरण संहिता के उलन्घन पर अनुशासनिक समिति गठित है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के ओ. एस. डी. देवरतन शर्मा को पूर्व अध्यक्ष ने सदस्यता से वंचित कर दिया थाए बावजूद इसके ये अकादमी में पूरी तरह सक्रीय है। सूत्रों के अनुसार ये लोग आज अकादमी के तथा कलाकारों के भाग्यविधाता बने हुए हैं। अकादमी में अनियमितता करने वालों का बोलबाला हो गया है। ये सभी अकादमी के कार्यकारिणी समिति के सदस्य हैं। इनकी अनियमितताओं के खिलाफ जिसने भी आवाज बुलंद की उन पर अकादमी की गरिमा को धूमिल करने का ठप्पा लगता जा रहा है। अभी उनमें श्रीकांत पाण्डेय, अशोक वाजपेयी, बालान नाम्बिआर, के. के. चक्रवर्ती इत्यादि।
पाण्डेय की मुहिम
छीछालेदर तब उजगार हुई जब एक सदस्य श्रीकांत पाण्डेय ने सचिव सुधाकर शर्मा के खिलाफ तानाशाही और अनियमितताओं के आरोप लगाते हुए मामले को अदालत में घसीटा। बताते हैं आज सुधाकर शर्मा पर अनेकों मुकदमें अदालत में लंबित हैं। श्रीकांत पाण्डेय द्वारा दायर मुकदमे के बाद अनुशासनिक समिति का गठन हुआ, इस समिति का अध्यक्ष के. के. चक्रवर्ती को बनाया गया, के. के. चक्रवर्ती ने सुधाकर शर्मा को दोषी पाया। इसके बाद से सुधाकर शर्मा की नजरों में श्रीकांत पाण्डेय और के. के. चक्रवर्ती दोनों अकादमी की गरिमा को धूमिल करने वाले प्रमुख व्यक्ति हो गए। सुधाकर शर्मा के खिलाफ कारवाई कराने में कामयाबी के बाद उत्साहित श्रीकांत पाण्डेय ने पूर्व सदस्यों द्वारा किये गए भ्रष्टाचार को उजागर करने की मुहिम छेड़ दी। अब सुना जा रहा है कि कुछ शिकायतकर्ताओं को अकादमी की काली सूचि में डालने की तैयारी चल रही है।
पूर्व में अध्यक्ष अशोक वाजपेयी ने सुधाकर शर्मा की अनियमितताओं के कारण सचिव के पद से हटा दिया था। इसलिए अशोक वाजपेयी ललित कला अकादमी के दुश्मन बताए जाने लगे। बालान नाम्बिआर ने भी अन्य लोगों की तरह अकादमी में हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर करने की कोशिश की जिस कारण इन्हें कथित भ्रष्टाचारियों के कोप का भजन बनना पड़ा। सचिव सुधाकर शर्मा ने बालान नाम्बिआर को प्रताडि़त करने के लिए अनेक उपाय किये। बालान नाम्बिआर का कहना है की जबतक सुधाकर शर्मा अकादमी में रहेंगे, वे अकादमी के अन्दर कदम नहीं रखेंगे।
अब स्थिति ये है कि अकादमी के सदस्य श्रीकांत पाण्डेय का आरोप हैं कि भ्रष्टाचारियों ने अकादमी का अपहरण कर लिया है। ऐसे लोग अकादमी का मनमाने तरीके से दुरूपयोग कर रहे हैं। अकादमी में सुधार के लिए किए जा रहे उनके प्रयासों के चलते मनमानी करने वालों कि गतिविधियों पर अंकुश लगा है। ऐसे में अब सचिव सुधाकर शर्मा और उनके सिपहसालार श्रीकांत पाण्डेय को परेशान करने का हर हथकंड़ा आजमाने में लगे हैँ, इसके तहत पाण्डेय को काली सूचि में डालकर किनारे लगाना शामिल है। इसी के साथ उन्हें कारण बताओ नोटिस दिए जाने की भी चर्चा हैं। उधर श्रीकांत पाण्डेय कहते हैं कि उन्होंने भी कमर कस ली है और ईट का जबाब पत्थर से देने के लिए तैयार बैठे हैं। अगर अधिकारियों ने मनमानी करने की कोशिश की तो वे इन सभी को अदालत में घसीटने से परहेज नहीं करेंगे।
ललित कला अकादमी में धमासान
मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली। राजधानी की ललित कला अकादमी में अभी दो प्रमुख गुट सक्रीय हैं। एक गुट उपाध्यक्ष के. आर. सुब्बन्ना और सचिव सुधाकर शर्मा का बताया जा रहा है, जबकि दूसरा अध्यक्ष अशोक वाजपेयी के साथ खड़े लोगों का बन गया है। अपने-अपने दाव लगने पर दोनों एक दूसरे को ऐसी पटखनी दे रहे हैं कि अकादमी में दर्शक बने लोग माहौल के मुताबिक आह या वाह करते हैं।आरोनों से धिरे सचिव
राजधानी के सूत्रों की बात सही मानी जाए तो वर्तमान में विभिन्न शिकायतों के बाद आरोनों से धिरे सचिव सुधाकर शर्मा अनियमितताओं के दोषी पाये गये है। उपाध्यक्ष के. आर. सुब्बन्ना के द्वारा किये गए आचरण संहिता के उलन्घन पर अनुशासनिक समिति गठित है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के ओ. एस. डी. देवरतन शर्मा को पूर्व अध्यक्ष ने सदस्यता से वंचित कर दिया थाए बावजूद इसके ये अकादमी में पूरी तरह सक्रीय है। सूत्रों के अनुसार ये लोग आज अकादमी के तथा कलाकारों के भाग्यविधाता बने हुए हैं। अकादमी में अनियमितता करने वालों का बोलबाला हो गया है। ये सभी अकादमी के कार्यकारिणी समिति के सदस्य हैं। इनकी अनियमितताओं के खिलाफ जिसने भी आवाज बुलंद की उन पर अकादमी की गरिमा को धूमिल करने का ठप्पा लगता जा रहा है। अभी उनमें श्रीकांत पाण्डेय, अशोक वाजपेयी, बालान नाम्बिआर, के. के. चक्रवर्ती इत्यादि।
पाण्डेय की मुहिम
छीछालेदर तब उजगार हुई जब एक सदस्य श्रीकांत पाण्डेय ने सचिव सुधाकर शर्मा के खिलाफ तानाशाही और अनियमितताओं के आरोप लगाते हुए मामले को अदालत में घसीटा। बताते हैं आज सुधाकर शर्मा पर अनेकों मुकदमें अदालत में लंबित हैं। श्रीकांत पाण्डेय द्वारा दायर मुकदमे के बाद अनुशासनिक समिति का गठन हुआ, इस समिति का अध्यक्ष के. के. चक्रवर्ती को बनाया गया, के. के. चक्रवर्ती ने सुधाकर शर्मा को दोषी पाया। इसके बाद से सुधाकर शर्मा की नजरों में श्रीकांत पाण्डेय और के. के. चक्रवर्ती दोनों अकादमी की गरिमा को धूमिल करने वाले प्रमुख व्यक्ति हो गए। सुधाकर शर्मा के खिलाफ कारवाई कराने में कामयाबी के बाद उत्साहित श्रीकांत पाण्डेय ने पूर्व सदस्यों द्वारा किये गए भ्रष्टाचार को उजागर करने की मुहिम छेड़ दी। अब सुना जा रहा है कि कुछ शिकायतकर्ताओं को अकादमी की काली सूचि में डालने की तैयारी चल रही है।
पूर्व में अध्यक्ष अशोक वाजपेयी ने सुधाकर शर्मा की अनियमितताओं के कारण सचिव के पद से हटा दिया था। इसलिए अशोक वाजपेयी ललित कला अकादमी के दुश्मन बताए जाने लगे। बालान नाम्बिआर ने भी अन्य लोगों की तरह अकादमी में हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर करने की कोशिश की जिस कारण इन्हें कथित भ्रष्टाचारियों के कोप का भजन बनना पड़ा। सचिव सुधाकर शर्मा ने बालान नाम्बिआर को प्रताडि़त करने के लिए अनेक उपाय किये। बालान नाम्बिआर का कहना है की जबतक सुधाकर शर्मा अकादमी में रहेंगे, वे अकादमी के अन्दर कदम नहीं रखेंगे।
अब स्थिति ये है कि अकादमी के सदस्य श्रीकांत पाण्डेय का आरोप हैं कि भ्रष्टाचारियों ने अकादमी का अपहरण कर लिया है। ऐसे लोग अकादमी का मनमाने तरीके से दुरूपयोग कर रहे हैं। अकादमी में सुधार के लिए किए जा रहे उनके प्रयासों के चलते मनमानी करने वालों कि गतिविधियों पर अंकुश लगा है। ऐसे में अब सचिव सुधाकर शर्मा और उनके सिपहसालार श्रीकांत पाण्डेय को परेशान करने का हर हथकंड़ा आजमाने में लगे हैँ, इसके तहत पाण्डेय को काली सूचि में डालकर किनारे लगाना शामिल है। इसी के साथ उन्हें कारण बताओ नोटिस दिए जाने की भी चर्चा हैं। उधर श्रीकांत पाण्डेय कहते हैं कि उन्होंने भी कमर कस ली है और ईट का जबाब पत्थर से देने के लिए तैयार बैठे हैं। अगर अधिकारियों ने मनमानी करने की कोशिश की तो वे इन सभी को अदालत में घसीटने से परहेज नहीं करेंगे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें