कनॉट प्लेस के जनपथ सबवे में सजी है कला प्रदर्शनी
'विजय की उत्कृष्ट कृतियां हमारा राष्ट्रीय गौरव ' प्रदर्शनी में
42 समकालीन कलाकारों की कृतियां
मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली। एनडीएमसी ने अपने क्षेत्र में कला एवं संस्कृति को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से स्वतंत्रता दिवस की 72वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में देश के 42 समकालीन कलाकारों की एक सामूहिक कला प्रदर्शनी का आयोजन किया है। कनॉट प्लेस के बाहरी सर्कल स्थित जनपथ भूमिगत पारपथ (सबवे) में यह प्रदर्शनी लगाई गई है। दो भागों में आयोजित इस प्रदर्शनी के पहले प्रदर्शन का उद्घाटन 30 जुलाई को हुआ। यह प्रदर्शनी आठ अगस्त तक चलेगी। प्रदर्शनी का दूसरा भाग 10 से 27 अगस्त तक प्रदर्शित होगा।एनडीएमसी के अध्यक्ष नरेश कुमार ने इस कला प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस कला प्रदर्शनी को विजय की उत्कृष्ट कृतियां हमारा राष्ट्रीय गौरव शीर्षक दिया गया है। इस अवसर पर कलाकारों को संबोधित करते हुए नरेश कुमार ने कहा कि महानगर की दौड़-भाग वाली दिनचर्या के तनाव से यहॉं के नागरिकों को राहत दिलाने और उनकी जिदंगी में खुशहाली लाने के उद्देश्य से पालिका परिषद् द्वारा ऐसे कलाऔर संस्कृति के आयोजन किया जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे आयोजनों का उद्देश्य कला एवं संस्कृति को कलादीर्घाओं, संग्रहालयों और सभागारों से बाहर निकाल कर सार्वजनिक स्थानों पर जन-साधारण को सुलभ कराना है, जिससे वें इनमें भाग लेने के साथ-साथ इनका आनंद भी उठा सकें।
नरेश कुमार ने कहा कि, इसी श्रृंखला में पालिका परिषद् सामूहिक कला प्रर्दशनी के माध्यम से चित्रकारी, मूर्तिकला, गॅ्राफिक्स इत्यादि विषयों को जन-साधारण के सम्मुख लाने का प्रयास पिछले तीन वर्षों से इस सबवे में कर रहा है।
इस प्रदर्शनी में सुविख्यात कलाकारों के साथ-साथ, नवोदित कलाकारों को भी मौका दिया गया है, जिससे कि वें अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकें। पालिका परिषद् के अध्यक्ष ने बताया कि यह कला प्रदर्शनी भारत के उन वरिष्ठ और मध्यवय के कलाकारों की उत्कृष्ट कृतियों की झांकी है, जो अपनी विशिष्ट कला शैली में निरन्तर कार्यरत है और भारतीय कला परिदृश्य में अपनी कला के लिए पहले से महत्वपूर्ण योगदान के लिए जानेमाने चेहरे हंै, इस प्रदर्शनी को किशोर लाबर के सहयोग से लगाया गया है।
पालिका अध्यक्ष ने कहा कि यहॉं उन समकालीन कलाकारों की महत्वपूर्ण विशिष्ट कलाकृतियों की एक झलक भर है, जिन्होंने अपनी वर्ष-दर-वर्ष की गई कड़ी 'कला-साधनाÓ से अनेक प्रभावी विधाओं, वस्तुओं और तकनीकों को खोजा है। उन्होंने यह भी कहा कि इन कलाकारों ने अपने कलाकर्म की निरन्तर यात्रा में नित्य नये प्रयोगों से निकली अद्भूत कृतियों को चित्रकला, मूर्तिकला, रेखांकन और स्थापत्यता के रूपों में समय पर प्रस्तुत तथा प्रदर्शित किया है।
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