रंगों की लयात्मकता का आभास देती प्रदर्शनी क्रोमा
ललित कला अकादमी के क्षेत्रीय केंद्र की पेंटिंग कार्यशाला में सृजनरत धीरज यादव के चित्रों की एकल प्रदर्शनी क्रोमा लखनऊ के गोमती नगर स्ििात सिटी मॉल में लगी हुई है। प्रदर्शनी का उद्घाटन 17 अगस्त को लखनऊ कॉलेज की प्रिंसिपल व आर्किटेक्ट संकाय की डीन वंदना सहगल ने किया। 23 अेस्त तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में 45 चित्र प्रदर्शित किये गए हैं।कहते हैं प्रकृति विविध आकारों और रंगों के कारण परिलक्षित होती है। कभी कभी आकार एक जैसे होते है तो हम उन्हें रंगों के माध्यम से जान पाते हैं। वस्तुओं को हम उसके आकारए स्वरूप या रंग से पहचानते है। यदि आकार हो और रंग न हो तो नीरसता का आभास होगा। चित्रकार के लिए रंग उसकी अभिव्यक्ति का मूल माध्यम है। रंग से भाव तथा रस की उत्पत्ति होती है। चित्र सृजन में कला के छ: अंग में वर्णिका भंग एक महत्वपूर्ण अंग है। रंग का जीवन और कला दोनो में बहुत महत्व है। यदि रंग का बोध न हो तो चीजों को पहचानने में दिक्कत होती।
चित्रकार अपने चित्रों में रंग के माध्यम से लयात्मकता उसी प्रकार लाता है जैसे संगीतकार अपनी रचना में स्वर। उदाहरण के लिए इम्प्रेशनिस्ट कलाकार स्यूरा ने अपने चित्रों में रंगों के विज्ञान का पूरी तरह अध्ययन किया और हमारे सामने रखा। धीरज ने कुछ ऐसे ही भाव प्रस्तुत करने के लिए रंगों का भरपूर प्रयोग किया है। इनके चित्रों में भू.दृश्य, दैवीय रूप, लखनऊ की चिकनकारी तथा अद्धभुत भाव -भंगिमा प्रस्तुत करते व्यक्ति चित्र पर आधारित चित्रण करने का प्रयास किया है।
धीरज अपने चित्रों के बारें में कहते हैं कि, चिकनकारी लखनऊ की प्रसिद्द परंपरा है। मेरे चित्रों के चिकनकारी मशीनरी है। इसकी विशेषता इसके अलंकरणों को कलात्मक रूप से प्रस्तुत करना है । घाट के सभी चित्र मंदिरों और घाटों पर आधारित है। जिसको बनाने के लिए भिन्न भिन्न रंगों का प्रयोग कर और सुन्दर रूप प्रदान करने का प्रयास किया है। भूदृश्य हमें अक्सर सफर करते समय दिखाई देते है। मैंने भी प्रकृति के कुछ अंश लेकर चित्र भूदृश्य को विभिन्न प्रकार के रंगों से बनाने का प्रयास किया है।
उल्लेखनीय है कि, राष्ट्रीय पुरस्कार के साथ कई राज्यों से सम्मान पाने वाले युवा चित्रकार धीरज यादव वर्ष 2017 में भारत के राष्ट्रपति भवन में आर्टिस्ट इन रेजीडेंसी प्रोग्राम में भाग ले चुके हंै इनके चित्रों की प्रदर्शनी उत्तर प्रदेश के अलावा भारत के प्रमुख राज्यों में भी लग चुकी हैं।
-भूपेंद्र कुमार अस्थाना
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