मंगलवार, 7 अगस्त 2018

नई सोच के साथ मनाया गया अकादमी स्थापना दिवस

नई सोच के साथ मनाया गया अकादमी स्थापना दिवस
64वें स्थापना दिवस समारोह की शुरुआत हुई स्कूली बच्चों के साथ
मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली। कल 6 अगस्त को ललित कला अकादमी का 64वां स्थापना दिवस समारोह पूर्वक मनाया गया। इस समारोह की विशेष बात रही स्कूली बच्चों को कला के प्रति प्रेरित करने का प्रयास। इस अवसर पर एल के ए कलेक्शन्स प्रदर्शनी लगाई गई। मुख्य समारोह व प्रदर्शनी का उद्घाटन केन्द्रीय संस्कृति राज्य मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने किया।
स्थापना दिवस की शुरुआत कल सुबह 10 बजे राष्ट्रपति एस्टेट स्थित डॉ राजेंद्र प्रसाद सर्वोदय विद्यालय में बच्चों के साथ मिलकर मिट्टी की कृतियां बनाकर की गई। अकादमी आयोजित 'आओ मिट्टी में खेलेंÓ कार्यक्रम में मूर्तिकार व अकादमी अध्यक्ष उत्तम पचारणे साथ मूर्ति शिल्पकार चंद्रजीत यादव एवं प्रशांत देसाई ने दिया। स्कूली बच्चों के साथ मिलकर क्ले से खेल-खेल में बनाई गई कृतियों ने अकादमी अध्यक्ष उत्तम पचारणे की कार्यशैली व उनकी सकारात्मक सोच के साथ नए आयाम स्थापित किये। अकादमी स्थापना दिवस की इस शानदार व बच्चों को साथ लेकरचलने की अध्यक्ष की भावना ने सबको प्रभावित किया।
मुख्य समारोह की शुरुआत शाम साढे चार बजे अकादमी में हुई। इस अवसर पर कला प्रदर्शनी एल के ए कलेक्शन्स लगाई गई। प्रदर्शनी व समारोह का उद्घाटन संस्कृति मंत्री डॉ महेश शर्मा ने किया। डॉ महेश शर्मा ने अकादमी को बधाई देते हुए भारतीय कला और संस्कृति में इसके अहम योगदान की सराहना की। उन्होंने संस्कृति मंत्रालय के 'कल्चरल मैपिंगÓ यानी 'सांस्कृतिक सूचीकरणÓ अभियान की जानकारी दी। डॉ शर्मा ने सांस्कृतिक संगठन संस्कार भारती के संस्थापक पद्मश्री बाबा योगेंद्र और पद्मभूषण कलाकार राम वी सुतार को सम्मानित किया।
अकादमी अध्यक्ष उत्तम पाचारणे ने संस्थान के कार्यों के बारे में बताया और भविष्य में आयोजित की जाने वाली योजनाओं की जानकारी दी। अपने वक्तव्य में पचारणे ने कला गतिविधियों पर लिखने वाले मीडिया कर्मियों की सराहना की।
समारोह में अकादमी ने लगभग तीन दर्जन युवा कलाकारों को स्कालरशिप प्रदान की। इस अवसर पर दिसम्बर में आयोजित होने वाले त्रिनाले का लोगो भी हरलीज किया गया। समारोह की एक और उपलब्धि रही  'अ पेंटर ऑफ  एलोक्वेंट साइलेंस का लोकार्पण। प्रणव रंजन रे लिखित यह पुस्तक आर्टिस्ट गणेश पाइने की कला पर आधारित है।
समारोह का समापन चेतन जोशी के बांसुरी वादन से हुआ।

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