रविवार, 26 नवंबर 2017

प्रतिबिंब की कला में कला का प्रतिबिंब- विनय शर्मा



प्रतिबिंब की कला में कला का प्रतिबिंब- विनय शर्मा
यूं तो कला की कई विधाएं और विधाओं की कई शाखाएं हैं। कला के प्रति समर्पित कलाकार अपनी कला-विधा के प्रति जुनूनी भी होता है और पारंगत भी। लेकिन कला की दुनिया में कुछ कलाकार ऐसे भी हैं जिन्होने स्वयं को किसी विधा विशेष की सीमाओं में नहीं बांधा है। कला जिनके प्रत्येक आचरण से झलकती है्र जीवन का प्रत्येक कदम जिनके लिए कला में सांस लेने जैसा होता है। कला के सीमाबंधन से परे उन्मुक्त आकाश के अनन्त विस्तार जैसा।
कुछ दिन पहले एक शार्ट फिल्म 'सड़क से सरहद तक' देखने का अवसर मिला। सुखनिधि फिल्म्स की प्रस्तुति इस फिल्म का केन्द्र बिन्दु नायक एक परीचित चेहरा और अभिनय ऐसा जो वास्तविकता को समेटे हुए दिल को सहजता से छू लेने वाला। इस फिल्म को देखने के बाद नायक कलाकार की कला यात्रा के कुछ पल टटोलने की इच्छा अनायास ही मन में जागी और कलम ने अपना कार्य करते हुए इन रोचक पहलुओं से आपको भी रू-ब-रू करवा दिया है।
यह फिल्म इस लिंक पर जाकर आप भी देख सकते हैं।
https://www.youtube.com/watch?v=6AoX0D7cBr0
आप जरूर उस नायक कलाकार का नाम जानने को उत्सुक हो उठे होंगे। वो कलाकार हैं विनय शर्मा, जिनकी कला यात्रा प्रत्येक के लिए एक खुली किताब सी है। शुरुआत प्रिंट मेकिंग से फिर पुरानी बहियों के पन्नों पर बनी कलाकृतियों ने देश-विदेश के कला जगत में पहचान बनाना शुरु किया। कला में सम्माहित होने की आतुरता ने अपना कैनवास स्वयं बुनने-बनाने की प्रेरणा दी। हैण्डमेड पेपर स्वयं बनाते और उसे कैनवास की शक्ल में ढाल कर सुन्दर सी आकृति प्रस्तुत कर देते। देखते ही देखते यह विनय शर्मा की पहचान बन गई। ...और पहचान देश के विभिन्न हिस्सों को छूती हुई सरहद पार विदेशी मुल्कों तक जा पहुंची।
जर्मनी, इंग्लैण्ड, कतर, पौलेण्ड, इजिप्ट के आर्ट कैम्पस में अपनी पहचान को नये-नये आयाम देते हुए भारत का प्रतिनिधत्व किया। आध्यात्मिकता की लगन ने भी कला कृति का रूप इख्तियार किया और कुछ वर्ष पहले दिल्ली में आयोजित मोसा सेके्रड आर्ट की डिवोशनल कला प्रदर्शनी में झण्डे गाढ़े। यहां इन्होनें राजस्थान के उदयपुर के ग्राम बस्सी की लुप्त होती काष्ठ कला कावड़ को अपना माध्यम बनाकर उस कला को नई राह दिखाई। विश्व कला जगत के प्रिय कलाकार बनते जा रहे विनय शर्मा को कुछ दिन पहले आईएफजे The Indian review of world interiors, architecture, furniture and design पत्रिका के एक अंक में इनकी कलाकृतियों और इन्स्टॉलेशन पर सचित्र आवरण कथा प्रकाशित की गई है। यह पत्रिका आईएएफपी से भी संबद्ध है।
कला को अधिक से अधिक रंगों और आकारों में समेटने की लालसा ने विनय को उन सब पुरानी वस्तुओं को समेटने के प्रति आकर्षित किया जिन्हें बदलते समय ने बीते काल की तरहा भुलाना शुरु कर दिया था। आज उन्हीं वस्तुओं से सजा एक संग्रहालय विनय के आवास पर नई जिन्दगी की सांसे ले रहा है। अपने समीप आने वालों को वो अपने अनुभव की  कई ऐसी कहानियां सुनाता है जो लोगों को एक नई व सुखद अनुभूति का एहसास करवा जाती हैं।
इन दिनों विनय का रुझान प्रतिबिंबों की ओर बढ़ता लग रहा है। यह प्रतिबिंब उनका स्वयं का हो या उनके द्वारा संग्रहित वस्तुओं का। यह छाया किसी कलाकृति की हो या या किसी भी प्राकृतिक चीज, मानव  व वस्तुओं की। परछाई की तरफ बढ़ता विनय शर्मा का यह रुझान कला जगत को प्रतिबिम्बों के रूप में और कौनसी नई  सौगात देगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। फिलहाल विनय शर्मा मलेशिया की यात्रा करने की तैयारियों में व्यस्त हैं जहां पर सासरान इंटरनेशनल आर्ट फेस्टिवल का आर्ट कैम्प उनकी बाट जोह रहा है।
लगभग 20 देशों के कलाकारों की मेजबानी करने को तत्पर एक से 10 दिसम्बर तक चलने वाले इस आर्ट फेस्टिवल में विनय के साथ हैदराबाद से भी एक कलाकार अपनी कला प्रस्तुत करने जा रहे हैं।    -गायत्री

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