शुक्रवार, 28 जुलाई 2017

जयपुर में जुटे देश के कई दिग्गज चित्रकार


जयपुर में जुटे देश के कई दिग्गज चित्रकार

मूमल नेटवर्क, जयपुर। इन दिनों शहर में देश भर से आए आठ समकालीन व 6 लोक चित्रकार एक साथ जुटे हैं। यह चितेरे लगभग जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी एवं सीडलिंग अकादेमी के 50 विद्यार्थियों के साथ मिलकर रंगों के सजीले संसार को साकार कर रहे हैं। वरिष्ठों के साथ विद्यार्थियों की जुगलबंदी का यह संगम नेशनल यूनिवर्सिटी परिसर में देखा जा सकता है।
कल 27 जुलाई को जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी एवं सीडलिंग अकादेमी के संयुक्त तत्वाधान में जयपुर विजुअल आर्ट फेस्टिवल का आगाज हुआ। उत्सव का शुभारम्भ सीडलिंग ग्रुप की प्रिंसिपल डायरेक्टर मोहिनी बक्सी तथा पूर्व डीन फैकल्टी ऑफ फाइन आर्ट प्रो. चिन्मय मेहता ने किया। इस उत्सव में देश के विभिन्न शहरो से आए 8 सुप्रसिद्ध समकालीन चित्रकार तथा छ: लोककला यानि जनजातीय चित्रकार 50 सीनियर स्कूली विद्यार्थियों के साथ मिलकर चित्रांकन करेंगे। इस अवसर पर कला कर्म में जुटे विद्यार्थियों के साथ अन्य छात्र भी वरिष्ठ चित्रकारों से कला की तकनीकी जानकारी के साथ बारीकियां सीखेंगे। प्रोफेसर चिन्मय मेहता के निर्देशन में आयोजित इस उत्सव में कला के विभिन्न पहलुओं पर खुले संवाद का भी आयोजन किया गया है। इस उत्सव में तैयार कृतियों को अन्तिम दिवस 30 जुलाई को जेकेके की चतुर्दिक कला दीर्घा में प्रदर्शित किया जाएगा।
उत्सव के बारे में जानकारी देते हुए प्रोफेसर चिन्मय मेहता ने बताया कि जयपुर विजुअल आर्ट फेस्टिवल का प्रमुख उद्देश्य देशज पारंपरिक तथा
समकालीन चित्रकारी के प्रति जन मानस के बीच विलुप्त हो रहे सम्मान को पुन: जगाना है। खास तौर पर लोक एवं आदिम संस्कृति से जुड़ी वह अनूठी कला परंपरा से नई पीढ़ी को रूबरू कराना उत्सव के उद्देश्योुं में शामिल है। प्रो. मेहता ने कहा कि आधुनिक कला आंदोलन के बदलते कला मूल्यों के कारण कला प्रेमियों ने लोक व आदिम कलाओ को नए अंदाज से देखने की चेष्ठा की है। नए कला दर्शन के अनुसार किसी कला शैली को दूसरी से छोटी या बड़ी मानना उचित नही है। सभी चित्र परम्पराओ में अपना सौन्दर्य निहित रहता है जिसे बिना किसी पूर्वाग्रह के स्वीकारना चाहिए ।
उत्सव में शामिल समकालीन चित्रकार
जयपुर विजुअल आर्ट फेस्टिवल में नागपुर के विजय बिस्वास, दिल्ली के सताद्रु सोवन, भुवनेश्वर के मानस रंजन जेना, मुबई के डगलस जॉन व मानस कदम, जबलपुर के ब्रजमोहन आर्य तथा कलकत्ता के जयन्त चौधरी शामिल हुए हैं।
लोक चित्रकार

 राजस्थान की प्रसिद्ध पाबूजी की फड़ शैली के साथ भीलवाड़ा के कल्यसण जोशी व कृतिका जोशी, बिहार की मधुबनी का पर्याय बन चुकी शान्ति देवी व उनकी पुत्री सुजाता, वर्ली चित्र शैली के साथ अनिल वागड़े, गोंड चित्रकला के साथ चित्रकार छोटी व उनके पति सन्तोष टीकम, उड़ीसा के सुप्रसिद्ध पट्चित्र के साथ भास्कर महापात्र तथा मीणा महिला जनजातीय चित्र शैली के साथ सवाई माधोपुर की केशन्ता मीणा इस उत्सव मे रंग भरने के लिए उपस्थित हैं।

कोई टिप्पणी नहीं: