कम होती जा रही रौनक
मूमल नेटवर्क, जयपुर। दिन ब दिन घटती रौनक के चलते बुधवार को तीसरे दिन जयपुर आर्ट फेस्टिवल की रौनक कुछ और कम हो गई। एक और जहां थके-थके से लग रहे कलाकारों ने जैसे-तैसे अपना काम निपटाने पर ज्यादा जोर दिया वहीं आम दर्शकों की कमी के चलते चहल-पहल नहीं रही। सुबह से शाम तक केवल पार्टिसिपेट कर रहे कलाकार, उनके कुछ परिचित, स्थानीय कलाकारों के शिष्य, ब्यूरोकेसी के दबाव में जुटे वालिन्टियर्स, कुछ सरकारी कार्यालयों और कला विभागों के बेगारी करते कर्मचारी और खबरों के लिए जुटे कुछ पत्रकार, बस।
सूनेपन में खो गए सारे दावे
जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल की तर्ज पर आर्ट फेस्टिवल आयोजित होने के सारे दावे यहां सूनेपन की भेंट चढ़ कर रह गए। शहर और प्रदेश के बड़े कलाकारों ने आयोजकों की शर्तोे पर आना गवारा नहीं किया, ऐसे में आयोजन भीड़ नहीं खींच पाया। यही सब बातें आयोजकों के सामने रखी गई तो उनके उत्तर उम्मीद से बिलकुल परे थे। बताया गया कि जो लोग नहीं आने की बात कर रहें हैं, उन्हें दरअसल बुलाया ही नहीं गया। रही भड़ खीचने की बात तो यह आयोजन भीड के लिए नहीं वरन खास बद्धिजीवी वर्ग के लिए है जो आर्ट की समझ रखता है। यह पूछे जाने पर कि जिस शहर में साहित्य के इतने कद्रदान हैं वहां आर्ट की समझ रखने वाले लोगों की गिनती इतनी कम हो क्या यह बात गले उतरती है?
क्या बिक पाएगा यहां काम
जयपुर आर्ट फेस्टिवल में पार्टिसिपेट कर रहे कलाकारों में यह चर्चा आम है कि उनकी पेंटिंग्स बिकने पर दिए जाने वाला 60 प्रतिशत मूल्य ठीक है, लेकिन सवाल ये है कि पेंटिग्स की कीमत कौन तय करेगा। क्या जयपुर में अधिकृत या बाजार द्वारा स्वीकृत कोई वेल्युवर है? अगर कलाकार स्वयं अपनी ओर से मूल्य बताए तो क्या बायर मिल जाएंगे? जो काम नहीं बिकेगा उसका क्या होगा? जो बात कलाकारों सबसे अधिक चर्चा में रही वह ये कि आयोजकों को भले ही लिट्रेचर फैस्टिवल करने को अनुभव है, लेकिन क्या उन्हे पेंटिग्स बेचने का कोई अनुभव है?
ऐसे बिकेगा काम
मूमल के भरोसेमंद सूत्रों की बात पर भरोसा किया जाए तो यह जानकारी सामने आई है कि जयपुर आर्ट फेस्टिवल में तैयार कलाकृतियों के लिए मंबई की कुछ ऐसी आर्ट गैलेरीज से इस 'माल' के लिए आयोजन से पूर्व ही बिक्री का समझौता किया जा चुका है। कला बाजार की बेहतर समझ रखने वाली इन गैलेरीज ने अभी यहां काम रहे कम से कम चार कलाकारों और शिल्पियों को स्पॉसर भी किया है। उनके आने-जाने से लेकर अन्य सभी खर्च स्पॉन्सर ही उठा रहे हैं और उनके द्वारा इस आयोजन के दौरान तैयार कृतियां भी उन्हीं की होंगी।
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