कैसे कहूँ दिल की बात? |
दिल्ली की चित्रकार बिरादरी में अपनी बेबाकी के लिए पहचाने जाने वाले एम.के. पुरी जयपुर आर्ट फेस्टिवल में आकर स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। एक बातचीत में उन्होंने कहा कि दरअसल जब आयोजकों ने उन से सम्पर्क किया तो उन्हें यह लगा कि जयपुर में कोई आर्ट फेस्टिवल हो रहा है तो निश्चित रूप से इसके लिए मेरे नाम की सलाह विनय या विद्या ने दी होगी। इन नामों से उनका तात्पर्य विनय शर्मा और विद्या सागर उपाध्याय से था। यहां आकर जब मैने विद्या से बात की तो पता चला कि उन्हें तो इसमें आमंत्रित तक नहीं किया गया है। बस! तभी से मूड खराब है।
पुरी ने बताया कि एक तो काम में पहले ही मन नहीं लग रहा था, उस पर जब से यह पता चला है कि फेस्टिवल में काम कर रहे कलाकारों को दिए जाने वाला मानदेय उनकी उम्मीद से काफी कम होगा, इसके बात तो कैनवास पर कोई रंग लगाने का मन भी नहीं कर रहा। यहां यह बताना उचित होगा कि दिल्ली के चित्रकार एम.के. पुरी ने पहले काम के रूप में एक सुन्दर गणेश जी बनाने के बाद दूसरे काम के रूप में कैनवास पर केवल काला रंग पोत कर अपनी बात कहने की कोशिश की है।
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