फिरकापरस्ती के बबूल बोने वाले माफी के काबिल नहीं- उपाध्याय
मूमल नेटवर्क, जयपुर। जयपुर आर्ट फेस्टिवल के नाम पर जो कुछ हुआ वह कला जगत के लिए अशुभ संकेत है । खासकर इस आयोजन में पर्दे के पीछे से श्रीमती किरण सोनी गुप्ता ने कला के नाम पर जो कुछ किया वह माफी के काबिल नहीं है। उनके द्वारा कला जगत में जिस फिरकापरस्ती के बबूल बोए गए हैं वह शूल पनपने से पहले ही कुचल दिए जाने चाहिए। ऐसे में भविष्य में जहां किसी भी आयोजन में ये होंगी वहां मैं नहीं जाऊंगा। इस तरह के उद्गार वरिष्ठ चित्रकार डा. विद्यासागर उपाध्याय ने व्यक्त किए।
जयपुर में 29 मार्च को अकादमी संकुल के लोकापर्ण समारोह के बाद 'मूमल' से एक बातचीत में उपाध्याय ने कहा कि जयपुर आर्ट फेस्टिवल में कलाकारों के नाम पर जो भीड़ जमा की गई थी उससे कहीं ज्यादा बेहतर लोग तो राजस्थान ललित कला अकादमी के कला मेले में होते हैं। आर्ट फेस्टिवल में युवा कलाकार कहां थे? आम दर्शकों ने भी इस आयोजन को सिरे से नकार दिया।
इस आर्ट फेस्टिवल में उन लोगों का जमावड़ा था जो हस्तशिल्प और ललित कला दोनों क्षेत्रों में अपनी टांग फंसाए रखना चाहते हैं। एक तरफ तो वे हैंडीक्राफ्ट बोर्ड से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त करते हैंं, दूसरी ओर यही लोग ललित कला के क्षेत्र में भी वही सब पाना चाहते हैं और नहीं मिलने पर चिल्लाते हैं। अगर इन्हें ललित कला में कुछ चाहिए तो हैंडीक्राफ्ट के अवार्ड लेने से मना क्यों नहीं कर देते? ऐसे लोगों का नाम पूछे जाने पर उपाध्याय ने कोई नाम नहीं लिया, लेकिन बात को जारी रखते हुए कहा कि 'देखिएगा नवम्बर महीने तक कला जगत में एक और बड़ा आयोजन इन्हीं नाथूलाल जी के संयोजन में होगा और बहुत अच्छे स्तर का होगा।'
मूमल नेटवर्क, जयपुर। जयपुर आर्ट फेस्टिवल के नाम पर जो कुछ हुआ वह कला जगत के लिए अशुभ संकेत है । खासकर इस आयोजन में पर्दे के पीछे से श्रीमती किरण सोनी गुप्ता ने कला के नाम पर जो कुछ किया वह माफी के काबिल नहीं है। उनके द्वारा कला जगत में जिस फिरकापरस्ती के बबूल बोए गए हैं वह शूल पनपने से पहले ही कुचल दिए जाने चाहिए। ऐसे में भविष्य में जहां किसी भी आयोजन में ये होंगी वहां मैं नहीं जाऊंगा। इस तरह के उद्गार वरिष्ठ चित्रकार डा. विद्यासागर उपाध्याय ने व्यक्त किए।
जयपुर में 29 मार्च को अकादमी संकुल के लोकापर्ण समारोह के बाद 'मूमल' से एक बातचीत में उपाध्याय ने कहा कि जयपुर आर्ट फेस्टिवल में कलाकारों के नाम पर जो भीड़ जमा की गई थी उससे कहीं ज्यादा बेहतर लोग तो राजस्थान ललित कला अकादमी के कला मेले में होते हैं। आर्ट फेस्टिवल में युवा कलाकार कहां थे? आम दर्शकों ने भी इस आयोजन को सिरे से नकार दिया।
इस आर्ट फेस्टिवल में उन लोगों का जमावड़ा था जो हस्तशिल्प और ललित कला दोनों क्षेत्रों में अपनी टांग फंसाए रखना चाहते हैं। एक तरफ तो वे हैंडीक्राफ्ट बोर्ड से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त करते हैंं, दूसरी ओर यही लोग ललित कला के क्षेत्र में भी वही सब पाना चाहते हैं और नहीं मिलने पर चिल्लाते हैं। अगर इन्हें ललित कला में कुछ चाहिए तो हैंडीक्राफ्ट के अवार्ड लेने से मना क्यों नहीं कर देते? ऐसे लोगों का नाम पूछे जाने पर उपाध्याय ने कोई नाम नहीं लिया, लेकिन बात को जारी रखते हुए कहा कि 'देखिएगा नवम्बर महीने तक कला जगत में एक और बड़ा आयोजन इन्हीं नाथूलाल जी के संयोजन में होगा और बहुत अच्छे स्तर का होगा।'
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