रविवार, 28 दिसंबर 2008

अब बिकाऊ है, एक मुगलकालीन किला

राजस्थान के जिस किले में बादशाह औरंगजेब ने अपने भाई दारा शिकोह को नजरबंद किया था, अब वह ऐतिहासिक किला बेचा जा रहा है।बिल्कुल सुनसान इलाके में चारों तरफ जंगल से घिरे मुगलकालीन इस किले के अंदर की वास्तुकला देखने योग्य है। कहा जाता है कि औरंगजेब शिकार करने के लिए दिल्ली से यहां आता था और इसी किले से वह शिकार के लिए निकलता था। दिल्ली से यहां तक सिर्फ पांच घंटों के अंदर पहुंचा जा सकता है।दिल्ली में सल्तनत पर कब्जा करने की खींचतान जिस समय शुरु हुई थी, उस समय औरंगजेब ने अपने भाई दारा शिकोह को इसी सुनसान इलाके के किले में कैद करके रखा था। दारा शिकोह कई साल तक इस किले में बंद था।भारत सरकार ने इस किले को राज्य सरकार के जिम्मे कर दिया है और राज्य सरकार के पास इतना बजट नहीं है कि वह इसकी देखभाल का जिम्मा ले सके। इसलिए राज्य सरकार सभी ऐतिहासिक इमारतों को निजी हाथ में सौंपने की तैयारी कर रही है।इतना ही नहीं राजस्थान की कई ऐतिहासिक कोठियां विदेशियों ने खरीद ली हैं। अब वे अपने हिसाब से इस तरह ऐतिहासिक और इमारतों को बना रहे हैं। राज्य सरकार को इसकी पूरी जानकारी है। लेकिन सरकार अपनी विरासत को बचाने के लिए ज्यादा गंभीर नहीं दिखाई देती।मुगलकाल के इस किले की दीवारें आज भी इतनी मजबूत हैं कि उसके अंदर आसानी से प्रवेश नहीं किया जा सकता। लेकिन इसे पूरी तरह से छोड़ देने की वजह से इसके अंदर और बाहर झाड़ियां उग आई हैं जो इसकी दीवार और फर्श को नुकसान पहुंचा रही हैं। अगर समय रहते इस पर ठीक से ध्यान नहीं दिया जाता तो ऐतिहासिक महत्व का ये बेजोड़ किला अपना अस्तित्व ही खो देगा।

एतिहासिक महल का सौदा

‘‘कह रहे हैं गैरते कौमी से टूटे बाम-ओ-दर, फिर तुम्हारे सामने लुट जाएगा सरवर का घर”...किसी शायर ने यह शेर हजरत इमाम हुसैन के संदर्भ में कहा था, जिनका घर करबला में दुश्मनों ने नष्ट कर दिया था। यही कारण है कि शिया मुस्लिम मानते हैं कि जो संपत्ति वक्फ को दे दी गई, वह इमाम हुसैन की हो गई। पर यहां हालत उलटी है। उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के अलमबरदारों ने सांठगांठ कर फैजाबाद के ऐतिहासिक ‘मोतीमहल’ (बहूबेगम का आवास) का ही सौदा महज एक लाख रुपए में कर डाला। मोतीमहल कोई साधारण इमारत नहीं है। तत्कालीन अवध की राजधानी फैजाबाद के चौक इलाके में बीस एकड़ में फैले मोतीमहल में राजमाता का दर्जा प्राप्त बहूबेगम निवास करती थीं।बहूबेगम नवाब शुजाउद्दौला की पत्नी और विश्वप्रसिद्घ ‘आसिफ का इमामबाड़ा’ बनवाने वाले नवाब आसिफुद्दौला की मां थीं। उनका असली नाम उमतुल जेहरा बेगम था और उनका पालन-पोषण मुगल सम्राट मोहम्मद शाह ने अपनी बेटी की तरह किया था, क्योंकि उनके पिता और मुगल सल्तनत के मंत्री मोहम्मद इश्हाक खान सरकारी फर्ज को अंजाम देते हुए कत्ल कर दिए गए थे। अब जरा दास्ताने शिया वक्फ बोर्ड पर गौर करें। यहां के जिम्मेदार लोगों ने मोतीमहल के मुतवल्ली तबील अब्बास के साथ मिलकर ऑल इण्डिया माइनोरिटीज वेलफेयर एक्शन ग्रुप नामक संस्था को एक लाख एक हजार एक सौ एक रुपए के एवज में इसका पट्टा इस आशय के साथ करा दिया, कि यह संस्था वहां बहूबेगम की यादों को महफूज रखेगी। अभी चेक का भुगतान भी नहीं हुआ था कि वहां कब्जा करा दिया गया और बहूबेगम की यादों को महफूज रखने के इरादे से तमाम इमारती सामान सीमेंट, बालू, मौरंग आदि पहुंच गए और निर्माण भी शुरू हो गया। इस बीच फैजाबाद के इमाम और इमामे जुमा इबे हसन ने मामले की शिकायत कर दी। चूंकि मामला एक ऐतिहासिक संरक्षित इमारत का था, लिहाजा फैजाबाद के जिलाधिकारी अनिल गर्ग ने एडीएम सिटी एन. लाल को जांच सौंप दी।जानकारों का कहना है कि मोतीमहल का तमाम बेशकीमती सामान भी गायब कर दिया गया है। जिसमें फानूस, झाड, आदमकद शीशे, नक्काशीदार पलंग और बहूबेगम के इस्तेमाल में आने वाली तमाम धरोहरें शामिल थीं।इधर शिया वक्फ बोर्ड में बतौर सदस्य फैजाबाद का कार्य देखने वाले अब्बास अली जैदी उर्फ रुश्दी मियां (रुदौली से सपा विधायक) ने ‘आईएएनएस’ को बताया कि तकरीबन एक हफ्ते पहले से जामिन नाम के एक व्यक्ति की ओर से मोतीमहल की जर्जर हो रही चहारदीवारी की मरम्मत करने की पेशकश आई थी, जिसे उन्होंने नियमानुसार कार्यवाही के लिए बोर्ड के सीईओ को भेज दिया था। उन्होंने कहा कि इस मामले में वह और कुछ नहीं जानते। अलबत्ता उन्होंने कहा कि वे सीईओ से इस मामले में रिपोर्ट तलब करेंगे।

शुक्रवार, 26 दिसंबर 2008

लक्ष्मी के लिए कुछ भी करेगा

बालीवुड की कभी न थमने वाली रफ्तार की आप तारीफ कर सकते हैं, लेकिन यहां की कुछ चीजें आपके अंदर वितृष्णा पैदा कर सकती है। यहां कब किस चीज को माल कमाने का जरिया बना दिया जाए, कोई नहीं जानता।
अब मुंबई पर हुए आतंकी हमले को ही लीजिए। एक तरफ देश सांस रोके इस दर्दनाक घटना का टेलीविजन पर प्रसारण देख रहा था, तो दूसरी तरफ कुछ लोग इस पर फिल्म बनाने के लिए टायटल का रजिस्ट्रेशन करवाने में मशगूल थे। यह सिलसिला अभी तक जारी है। इस घटना पर आधारित दो दर्जन से ज्यादा फिल्मों के टायटल दर्ज करवाए जा चुके हैं।
आप कहेंगे किसी सच्ची घटना पर फिल्म बनाने में हर्ज ही क्या है? हम कहते हैं हर्ज है। दरअसल, टायटल लेने की होड़ फिल्म बनाने के लिए नहीं बल्कि बाद में उस टायटल को बेचकर मोटा मुनाफा कमाने के लिए है। मुंबई स्थित इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यूसर्स एसोशिएसन के अनुसार 26/11 पर 30 फिल्मों के नाम पंजीकृत कराए जा चुके हैं।
इसके अलावा दो दर्जन से ज्यादा निर्माता अपने-अपने टायटल के साथ कतार में हैं। ये सभी एक से ज्यादा टायटल का रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं। रजिस्टर कराए गए इन नामों में प्रमुख रूप से 26/11, मुंबई अंडर टेरर, आपरेशन फाइव स्टार मुंबई, ताज टू ओबेराय, 48 आवर्स एट द ताज, 26 ताज, ताज 26 और ब्लैक टोरनेडो जैसे तमान नाम शामिल हैं।
कई निर्माता-निर्देशकों ने बड़े पैमाने पर फिल्मों के नाम पंजीकृत करा लिए हैं। भले इस घटना पर ये फिल्म बनाने की पहल न करें लेकिन जब कोई दूसरा व्यक्ति इस पर फिल्म बनाने की सोचेगा तो ये लोग अपने द्वारा रजिस्टर्ड टाइटल को बेचकर भारी कमाई करेंगे। इसे कहते है हींग लगे न फिटकरी, रंग हो चोखा।
एक महाशय तो इतने तेज निकले कि आतंकी हमले के दूसरे दिन ही अपना टायटल रजिस्टर करवा लिया। उन्हें इस बात से क्या मतलब कि भारत की आर्थिक ताकत और समृद्धि के प्रतीक ताज और ट्राइडेंट को नेस्तनाबूद करने आए आतंकियों ने 170 से ज्यादा लोगों को मार दिया।
इससे ज्यादा अफसोसनाक क्या हो सकता है कि एक तरफ हमारे जांबाज सिपाही आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हो रहे थे दूसरी तरफ कुछ फिल्म निर्माता फिल्म पंजीकरण फार्म का जुगाड़ कर रहे थे। सच है पैसा कमाने के लिए बालीवुड किसी भी स्तर तक गिर सकता है।
याद रहे एक नामचीन निर्माता- निर्देशक तो अपने संपर्को के बल पर आतंकी घटना के बाद ताज होटल के अंदर का दृश्य देखने पहुंच गए ताकि फिल्म बनानी पड़े तो उसमें 'रियलिटी' दिखाई जा सके।

शनिवार, 13 दिसंबर 2008

कपडों पर की कहानियाँ


स्वयम्भू लिटररी कंसल्टेंसी "सियाही" द्वारा तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस मेंटल ऑफ़ मिथ -दा नेरेटिव इन इंडियन का आयोजन शनिवार १३ दिसम्बर से आरम्भ हुआ। यह आयोजन मोरारका फौंडेशन के सहयोग से जयपुर स्थित होटल डिग्गी पैलेस में १३ से १५ दिसम्बर तक होगा। इस कांफ्रेंस में देशभर से आए अंग्रेजीदां साहित्यकार, कलाकार,कथाकार, लेखक, कवि, वस्त्र विशेषग्य और फैशन डिजाइनर भाग ले रहे हैं। कांफ्रेंस के प्रचार - प्रसार हेतु राजस्थान बाहर के मीडियाकर्मियों को भी आमंत्रित किया गया है। इसमे वस्त्रों पर कथाओं के चित्रण की भारतीय परम्परा से सम्बंधित व्याख्यान विभिन् प्रदेशों से आए विद्वानों द्वारा दिए जायेंगे।
आयोजन की शुरुआत में स्वागत काउंटर पर एक अजीब स्थिति देखि गई। जब आयोजकों द्वारा आने वाले मेहमानों से यह पूछ कर प्रवेश दिया गया कि आपके पास कौनसा निमंत्रनपत्र है। यदि आपके पास पहली श्रेणी का निमंत्रण नही है तो आपको भोजन कि सुविधा नही दी जायेगी। स्थिति और अजीब हो गई जब आयोजकों द्वारा आगुन्तकों के नामों को लिस्ट में देखकर प्रवेश दिया जाने लगा । इस अजीब व्यव्हार से परेशां होकर कुछ स्थानीय पत्रकारों ने उपस्थिति रजिस्टर में अपने हस्ताक्षर करने केबाद वहां उपस्थित रहना उचित नहीं समझा।
कांफ्रेंस में पहले दिन देवदत्त पटनायक और प्रमोद कुमार के जी ने भारतीय वस्त्रों में कथाएँ, जसलीन धमीजा और अलका पांडे आयोजित पंजाब कि फुलकारी, ममंग दाए और प्रज्ञा देब बर्मन ने भारत के उत्तर पूर्व में वस्त्रों पर कथा कहने कि परम्परा के बारे में बताया। इसके अलावा ऋतू बेरी ने द ट्री ऑफ़ लाइफ के महत्त्व को बताया। पुस्तक मुकुंद और रियाज़ पर आधारित फ़िल्म नीना सबनानी ने दिखाई।

शुक्रवार, 12 दिसंबर 2008

पांच सौ बच्चों के लिए दो वर्षीय स्कालरशिप

परफोर्मिंग आर्ट में नई उमर के बच्चों का रुझान बढाने और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार के संस्कृति विभाग द्वारा दो वर्षीय स्कालरशिप देने का फ़ैसला किया गया है।
इसमें १० से १४ साल के ऐसे बच्चों को दो साल के लिए ७२०० रुपये दिए जायेंगे जो गायन, वादन, डांस, ड्रामा और पेंटिंग में अच्छा कार्य कर रहें हैं। पुरे भारत में कुल ५०० स्कालरशिप दी जाएँगी। आवेदन की अन्तिम तिथि ३१ दिसम्बर २००८ है। जयपुर स्थित दो संस्थाएं क्युरियो और आलाप इसके लिए फ्री काउंसलिंग दे रही हैं।
अगर आप किसी बच्चे के लिए इसमें रूचि लेना चाहें और विस्तृत विवरण चाहते हों तो भारत सरकार के संस्कृति विभाग से सीधे संपर्क कर सकते हैं और इसमे असुविधा हो तो इस ब्लॉग की टिप्पणी सुविधा के जरिए मूमल से भी और जानकारी ले सकतें हैं।

सोमवार, 8 दिसंबर 2008

शिल्प जगत में स्टुडेंट की कारोबारी दस्तक

पीजी कॉलेज में लगी वस्त्र प्रदर्शनी
जयपुर के एमजेआरपी पीजी महिला महाविद्यालय के गृहविज्ञान विभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय प्रदर्शनी में वस्त्र एवं परिधान संकाय द्वारा हस्तनिर्मित विभिन्न वस्त्रों को प्रदर्शित किया गया। ब्लाक प्रिंटिग, टाई व डाई, तथा बाटिक प्रीटिंग जैसी प्रचलित विधियों द्वारा विभिन्न वस्त्रों जैसे-सलवार सूट, टॉपर, चादर, दिवान सेट, साड़ी आदि का निर्माण कर प्रदर्शित किया गया। पेटिंग का सलमा- सितारे का कार्य, कांच के गिलास पर स्टेनसिल पेंटिंग, सिरेमिक टाइल्स पर पेटिंग तथा लाख के कड़ों पर ज्योमीट्रिक डिजाइन भी प्रदर्शित किए गए। साड़ी तथा चादरों पर विभिन्न प्रदेशों की पारंपरिक कढ़ाई कर प्रदर्शन किया गया। इसी क्रम में पार्ट मेंकिग में मिट्टी के विभिन्न पोटों को स्टेनशिल, पेपरमैशी तथा ऑयल पेटिंग द्वारा तैयार किए गए। पेपर मैशी के फाउन्टेन भी प्रदर्शनी में रखे गए। जूट से बने विभिन्न सजावटी सामान जैसे फूल ज्वैलरी, जापानी गुडिया, पोट्स आदि भी प्रदर्शित किए गए।
मूमल विचार: प्रत्येक विभाग द्वारा ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन समय समय होते रहना चाहिए, जिससे न केवल विद्यार्थियों की प्रतिभा उभरकर सामने आ सकेगी वरन उसे और परिष्कृत कर समयनुकूल बनाया जा सकेगा।

सोमवार, 24 नवंबर 2008

अपने वोट की ताकत बेकार मत जाने दो


मताधिकार का उपयोग जरुर करें।


कला, संस्कृति और शिल्प के बारे में बात करते हुए राजनीति पर चर्चा करने का मेरा कोई इरादा नहीं है। इनदिनों चारों और चल रही चुनावी चर्चाओं के बीच केवल यह कहना जरुरी लग रहा है कि अगर कोई नेता या उसकी पार्टी हमारी विशेष जरूरतों की बात नहीं करे या इनके लिए कोई चुनावी वादा नही करे तो इस बात की परवाह न करें। उन पर नाराज होकर अपनी ताकत को बेकार न जाने दें। वोट डालने के मामले में उदासीन न हों। अपने मताधिकार का उपयोग जरुर करें।


हो सकता है हमारी जरुररों की मांग अभी जंगल में रोने के सिवाय कुछ नहीं, लेकिन हमारा यह वोट सिर्फ चुनाव लड़ने वालों की ही किस्मत नहीं बदलेगा, यह हमारी भी किस्मत बदलेगा। हम जिस तरह के उम्मीदवार को वोट देंगे, हमारा मुस्तकबिल भी वैसा ही होगा। वोट ही हमारी ताकत है। अगर सभी वोट डालें और सही आदमी को चुनें तो मुझे नहीं लगता कि बिजली, पानी, सड़क, स्कूल या रोजगार के साथ हमारी अन्य दिक्कतें भी दूर होगी। वोट ही हमें तरक्की के रास्ते पर ले जा सकता है।


आजादी यही तो है। यहां हम अपनी मर्जी का हुक्मरान चुनते है जो हमारी मर्जी से काम करता है। अगर वह हमारे लिए काम नहीं करेगा तो हम उसे बदल देंगे। इसी पोलिंग बूथ के रास्ते हमें मंजिल मिलेगी। हमें अपनी कला और संस्कृति के विकास व समृद्धि की जरूरत है और यह सब हासिल करने का यह सबसे बढि़या तरीका है। अब सभी लोगों ने इस सच्चाई को समझ लिया है इसलिए वे अपने मत का प्रयोग करने के लिए वोट डालते हैं। अपने मताधिकार का प्रयोग करने से जी चुराने वालों को अपनी ताकत जानने की जरूरत है। वोट देना हमारा फर्ज है। इससे हमारी तकदीर बदलती है।


यही एक दिन होता है जिस दिन हम बादशाह होते है और अगले कुछ सालों तक किसी और को बादशाहत देते है ताकि वह हमारे लिए काम करे। अच्छी हुकूमत होगी तो ये दिक्कतें दूर हो जाएंगी।अगर हम वोट डालने नहीं आएंगे तो फिर वही लोग हुकुमत करेंगे जो हमारी पसंद के नहीं होंगे और जिन्हे हमारी कोई चिंता नहीं होगी। आपने कभी वोट डाला है? अगर नहीं तो फिर इस बार आप वोट जरुर डालो, अपने आप पता चल जाएगा कि अपनी ताकत का सही इस्तेमाल करना कैसा लगता है।

शनिवार, 22 नवंबर 2008

खूब जमा जयपुर में भारत स्विस दोस्ताना

गुलाबी नगरवासियों ने प्रस्तुतियों का तले दिल से किया स्वागत
भारत स्विस मैत्री संधि की 60वीं वर्षगांठ पर जयपुर के जवाहर कला केंद्र में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में दोनों देशों की गहरी भिन्नता और सौहार्दपूर्ण संबंधों की झलक स्पष्ट दिखाई दी । स्विटजरलैंड के लुसान शहर स्थित रूद्रा बेजार्ट बैले की प्रस्तुतियां अद्भूत थी ।

गुलाबी नगरवासियों ने बड़ी संख्या में उपस्थित होकर इन प्रस्तुतियों का तहे दिल से स्वागत किया। बैले की प्रस्तुति में पूर्व-पश्चिम के मिलन का सुखद संगम दिखाई दिया । बैले के अधिकांश कलाकार पश्चिम के देशों के थे । इन्होंने राजस्थान में बाड़मेर जिले के अनवर खां, रोशन खां, एंड पार्टी, तमिलनाडू के कन्नड़ संगीत और पश्चिम के इलेक्ट्रोनिक पियानों की धुनों के साथ बैले प्रस्तुत कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इन्होंने कुचीपुड़ी गायन व संगीत के साथ भी प्रदर्शन किया। समारोह के अंतिम दिन कलाकारों ने जवाहर कल केन्द्र के मुक्ताकाशी मंच पर बैले प्रस्तुत किया।

बैले स्कूल के डाइरेक्टर माइकल गेस्कार्ड के विचार के मुताबिक विभिन्न देशों का रहन-सहन, भाषा, रीतिरिवाज भिन्न हो सकते हैं। पर मनुष्य के इमोशन्स व भावनाएं एक जैसी है। इसी कारण कलाकारों को भारतीय संगीत को आत्मसात करने में विशेष कठिनाई नहीं हुई। जवाहर कला केंद्र की चतुर्दिक आर्ट गैलरी में लगाई गई प्रदर्शनी की विशेषता यह है थी कि स्विट्जरलैण्ड के प्राकृतिक सौेंदर्य के चित्र भारतीय मूल के फोटोग्राफर अश्विन गाथा के थे । इसी प्रकार भारतीय व राजस्थानी जनजीवन के चित्रों के फोटोग्राफर हैं स्विट्जरलैण्ड के ज्यों मोर और ओलीविया फुलमी। फोटोग्राफर अश्विन गाथा गुजरात में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्म स्थान पोरबंदर में मूल निवासी है। उनकी पत्नी नदीन बोवियर गाथा स्विट्जरलैंड की है। वह भारत से मसाले व हैंडीक्राफ्ट्स आयात करती है।

सोमवार, 10 नवंबर 2008

पुष्कर का प्रताप कम हुआ, चालीस फीसदी टूर केंसिल

Tourists cry off, Pushkar feels pinch
बी:RAKHEE ROY

Foreigners at a rally in Ajmer in to save the Pushkar lake from pollution
The Wall Street whirlpool has sucked in Rajasthan’s flourishing tourism industry with the immediate victim being the Pushkar fair usually graced by visitors from all over the US and Europe.
Tour operators said 40 per cent of the advance bookings for the fair, to be held from November 5-13, had been cancelled, something that has never happened before, leaving the industry shell-shocked.
Tour Operators, said: “The Pushkar fair has been a major casualty of the meltdown this year. At least 40 per cent cancellations have been recorded, mostly from the US and Europe.
“Overall in the state, we do not have many bookings for November and hardly any for January 2009 when the peak season starts. There are anxious queries among foreign travellers as they face the reality of a credit crunch and rising debt and delinquency.”
forecast for the tourist season, which usually starts around Christmas and goes on till March, looked bleak at present.
“Hotels are offering special discounts but are not ready to make it public, preferring to do it on a one-to-one basis with the client,”
The hospitality industry, which banks on the peak season, has begun feeling the heat. The owner of the five-star Clarks Amer in Jaipur, said: “October has not been too bad but November onwards, things would definitely not be as good as last year. No major cancellations, but bookings for the future have been bleak till now.”
Tourism executives also fear the serial blasts in Jaipur, Ahmedabad, Bangalore, Delhi and Guwahati this year would have had an impact on foreign tourists, especially those from the US and Europe who have not witnessed any terrorist act since the 9/11 blasts and the July 2007 London bombings।
मूमल विचार
राजस्थान टूरिस्म को अब अपने पुराने तरीके बदलने चाहिए।

रविवार, 9 नवंबर 2008

Art auctions hit further problems -मूमल

Art auctions hit further problems

Munch's Vampire bucked the trend by selling for $38.1m (£24.2m) on Monday
Works of Impressionist and Modern art have again struggled at auction in New York, with nearly half of pieces at a Christie's sale going unsold.
Some 46% of 82 works on sale at Thursday's auction - including two Picassos - were not sold. The auction fell $100m (£63.4m) short of estimates.
Two other auctions in the city this week have suggested that modern art is being hit by the financial downturn.
A third of 128 lots across two separate auctions on Wednesday failed to sell.
'Reduced level'
Christie's honorary chairman Christopher Burge said that the millions of dollars still taken in "this climate of financial turmoil" suggested "there is still a great deal of money left for the art market".
But he said the outcome of Thursday's auction was "obviously a reduced level and we have to recognise that".

Rothko's No 43 (Mauve) did not sell at Christie's on Wednesday
"Obviously, in the future we will have to lower estimates," Mr Burge added.
Strong prices were achieved for a few of the 82 works - including $20.8m (£13.2m) for Juan Gris's Livre, Pipe et Verres, $18m (£11.4m) for Picasso's Deux Personnages and $16.9m (£10.7m) for Kandinsky's Studie zu Improvisation 3.
But for a number of lots, bids did not come close to matching reserves.
This was the case with the two unsold Picassos - one which was estimated to fetch between $15m (£9.5m) and $20m (£12.7m), and another which was estimated to fetch between $10m (£6.4m) and $15m.
On Wednesday, Mark Rothko's No 43 (Mauve) - expected to fetch up to $30m (£18.8m) - failed to find a buyer at the Modern Age sale at Christie's.
Also on Wednesday, there were no bids at Sotheby's in New York for Alexei Petrovich Bogoliubov's View of St Petersburg, which was estimated to fetch $3m (£1.9m).
But despite recent problems, a rare Edvard Munch masterpiece sold for $38.1m (£24.2m) at Sotheby's on Monday, breaking a record for the artist's work.

शनिवार, 8 नवंबर 2008

एक कोशिश, एक नया कदम...... आप की ओर !

कला, संस्कृति, शिल्प और पर्यटन से जुड़ी ख़बरों के लिए अब तक आप से हर पन्द्रह दिन में "मूमल" मुखातिब होती रही है। आपकी प्रतिक्रियाओं से यह साफ़ हो गया कि आपसे रूबरू होने के लिए पन्द्रह दिन का अन्तराल बहुत ज्यादा है। आप तक कागज के जरिये पहुँचने कि मेरी कुछ सीमाएं हैं। जाहिर है समय और साधन के साथ आर्थिक कारण भी इस अन्तराल को बढ़ा रहा था। इस दूरी और अन्तराल को कम कराने के लिए जी-मेल के इस ब्लॉग कि जितनी सराहना कि जाए कम है।
हो सकता है सूचनाओं के इस ब्लॉग को मैं रोज अपडेट नहीं कर सकूँ , लेकिन यह भरोसा दिलाना चाहती हूँ कि मुझे जो भी नई जानकारी मिलेगी , समाचार पता चलेगा या आप के हित में जगजाहिर करने जैसी कोई बात सामने आएगी उसे मैं जल्द से जल्द आपके लिए इस ब्लॉग पर बेलाग परोस दूंगी। अब वह खट्टा होगा या मीठा ? ये आपके जायके पर निर्भर होगा।