गुलाबी नगरवासियों ने प्रस्तुतियों का तले दिल से किया स्वागत
भारत स्विस मैत्री संधि की 60वीं वर्षगांठ पर जयपुर के जवाहर कला केंद्र में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में दोनों देशों की गहरी भिन्नता और सौहार्दपूर्ण संबंधों की झलक स्पष्ट दिखाई दी । स्विटजरलैंड के लुसान शहर स्थित रूद्रा बेजार्ट बैले की प्रस्तुतियां अद्भूत थी ।
गुलाबी नगरवासियों ने बड़ी संख्या में उपस्थित होकर इन प्रस्तुतियों का तहे दिल से स्वागत किया। बैले की प्रस्तुति में पूर्व-पश्चिम के मिलन का सुखद संगम दिखाई दिया । बैले के अधिकांश कलाकार पश्चिम के देशों के थे । इन्होंने राजस्थान में बाड़मेर जिले के अनवर खां, रोशन खां, एंड पार्टी, तमिलनाडू के कन्नड़ संगीत और पश्चिम के इलेक्ट्रोनिक पियानों की धुनों के साथ बैले प्रस्तुत कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इन्होंने कुचीपुड़ी गायन व संगीत के साथ भी प्रदर्शन किया। समारोह के अंतिम दिन कलाकारों ने जवाहर कल केन्द्र के मुक्ताकाशी मंच पर बैले प्रस्तुत किया।
बैले स्कूल के डाइरेक्टर माइकल गेस्कार्ड के विचार के मुताबिक विभिन्न देशों का रहन-सहन, भाषा, रीतिरिवाज भिन्न हो सकते हैं। पर मनुष्य के इमोशन्स व भावनाएं एक जैसी है। इसी कारण कलाकारों को भारतीय संगीत को आत्मसात करने में विशेष कठिनाई नहीं हुई। जवाहर कला केंद्र की चतुर्दिक आर्ट गैलरी में लगाई गई प्रदर्शनी की विशेषता यह है थी कि स्विट्जरलैण्ड के प्राकृतिक सौेंदर्य के चित्र भारतीय मूल के फोटोग्राफर अश्विन गाथा के थे । इसी प्रकार भारतीय व राजस्थानी जनजीवन के चित्रों के फोटोग्राफर हैं स्विट्जरलैण्ड के ज्यों मोर और ओलीविया फुलमी। फोटोग्राफर अश्विन गाथा गुजरात में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्म स्थान पोरबंदर में मूल निवासी है। उनकी पत्नी नदीन बोवियर गाथा स्विट्जरलैंड की है। वह भारत से मसाले व हैंडीक्राफ्ट्स आयात करती है।
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