शुक्रवार, 26 दिसंबर 2008

लक्ष्मी के लिए कुछ भी करेगा

बालीवुड की कभी न थमने वाली रफ्तार की आप तारीफ कर सकते हैं, लेकिन यहां की कुछ चीजें आपके अंदर वितृष्णा पैदा कर सकती है। यहां कब किस चीज को माल कमाने का जरिया बना दिया जाए, कोई नहीं जानता।
अब मुंबई पर हुए आतंकी हमले को ही लीजिए। एक तरफ देश सांस रोके इस दर्दनाक घटना का टेलीविजन पर प्रसारण देख रहा था, तो दूसरी तरफ कुछ लोग इस पर फिल्म बनाने के लिए टायटल का रजिस्ट्रेशन करवाने में मशगूल थे। यह सिलसिला अभी तक जारी है। इस घटना पर आधारित दो दर्जन से ज्यादा फिल्मों के टायटल दर्ज करवाए जा चुके हैं।
आप कहेंगे किसी सच्ची घटना पर फिल्म बनाने में हर्ज ही क्या है? हम कहते हैं हर्ज है। दरअसल, टायटल लेने की होड़ फिल्म बनाने के लिए नहीं बल्कि बाद में उस टायटल को बेचकर मोटा मुनाफा कमाने के लिए है। मुंबई स्थित इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यूसर्स एसोशिएसन के अनुसार 26/11 पर 30 फिल्मों के नाम पंजीकृत कराए जा चुके हैं।
इसके अलावा दो दर्जन से ज्यादा निर्माता अपने-अपने टायटल के साथ कतार में हैं। ये सभी एक से ज्यादा टायटल का रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं। रजिस्टर कराए गए इन नामों में प्रमुख रूप से 26/11, मुंबई अंडर टेरर, आपरेशन फाइव स्टार मुंबई, ताज टू ओबेराय, 48 आवर्स एट द ताज, 26 ताज, ताज 26 और ब्लैक टोरनेडो जैसे तमान नाम शामिल हैं।
कई निर्माता-निर्देशकों ने बड़े पैमाने पर फिल्मों के नाम पंजीकृत करा लिए हैं। भले इस घटना पर ये फिल्म बनाने की पहल न करें लेकिन जब कोई दूसरा व्यक्ति इस पर फिल्म बनाने की सोचेगा तो ये लोग अपने द्वारा रजिस्टर्ड टाइटल को बेचकर भारी कमाई करेंगे। इसे कहते है हींग लगे न फिटकरी, रंग हो चोखा।
एक महाशय तो इतने तेज निकले कि आतंकी हमले के दूसरे दिन ही अपना टायटल रजिस्टर करवा लिया। उन्हें इस बात से क्या मतलब कि भारत की आर्थिक ताकत और समृद्धि के प्रतीक ताज और ट्राइडेंट को नेस्तनाबूद करने आए आतंकियों ने 170 से ज्यादा लोगों को मार दिया।
इससे ज्यादा अफसोसनाक क्या हो सकता है कि एक तरफ हमारे जांबाज सिपाही आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हो रहे थे दूसरी तरफ कुछ फिल्म निर्माता फिल्म पंजीकरण फार्म का जुगाड़ कर रहे थे। सच है पैसा कमाने के लिए बालीवुड किसी भी स्तर तक गिर सकता है।
याद रहे एक नामचीन निर्माता- निर्देशक तो अपने संपर्को के बल पर आतंकी घटना के बाद ताज होटल के अंदर का दृश्य देखने पहुंच गए ताकि फिल्म बनानी पड़े तो उसमें 'रियलिटी' दिखाई जा सके।

कोई टिप्पणी नहीं: