शनिवार, 13 दिसंबर 2008

कपडों पर की कहानियाँ


स्वयम्भू लिटररी कंसल्टेंसी "सियाही" द्वारा तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस मेंटल ऑफ़ मिथ -दा नेरेटिव इन इंडियन का आयोजन शनिवार १३ दिसम्बर से आरम्भ हुआ। यह आयोजन मोरारका फौंडेशन के सहयोग से जयपुर स्थित होटल डिग्गी पैलेस में १३ से १५ दिसम्बर तक होगा। इस कांफ्रेंस में देशभर से आए अंग्रेजीदां साहित्यकार, कलाकार,कथाकार, लेखक, कवि, वस्त्र विशेषग्य और फैशन डिजाइनर भाग ले रहे हैं। कांफ्रेंस के प्रचार - प्रसार हेतु राजस्थान बाहर के मीडियाकर्मियों को भी आमंत्रित किया गया है। इसमे वस्त्रों पर कथाओं के चित्रण की भारतीय परम्परा से सम्बंधित व्याख्यान विभिन् प्रदेशों से आए विद्वानों द्वारा दिए जायेंगे।
आयोजन की शुरुआत में स्वागत काउंटर पर एक अजीब स्थिति देखि गई। जब आयोजकों द्वारा आने वाले मेहमानों से यह पूछ कर प्रवेश दिया गया कि आपके पास कौनसा निमंत्रनपत्र है। यदि आपके पास पहली श्रेणी का निमंत्रण नही है तो आपको भोजन कि सुविधा नही दी जायेगी। स्थिति और अजीब हो गई जब आयोजकों द्वारा आगुन्तकों के नामों को लिस्ट में देखकर प्रवेश दिया जाने लगा । इस अजीब व्यव्हार से परेशां होकर कुछ स्थानीय पत्रकारों ने उपस्थिति रजिस्टर में अपने हस्ताक्षर करने केबाद वहां उपस्थित रहना उचित नहीं समझा।
कांफ्रेंस में पहले दिन देवदत्त पटनायक और प्रमोद कुमार के जी ने भारतीय वस्त्रों में कथाएँ, जसलीन धमीजा और अलका पांडे आयोजित पंजाब कि फुलकारी, ममंग दाए और प्रज्ञा देब बर्मन ने भारत के उत्तर पूर्व में वस्त्रों पर कथा कहने कि परम्परा के बारे में बताया। इसके अलावा ऋतू बेरी ने द ट्री ऑफ़ लाइफ के महत्त्व को बताया। पुस्तक मुकुंद और रियाज़ पर आधारित फ़िल्म नीना सबनानी ने दिखाई।

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