गुरुवार, 14 नवंबर 2013

पठन से ज्यादा दर्शन की विषय वस्तु; 'मेघदूत-चित्रण'

पुस्तक विमोचन


मेघदूत-चित्रण
मूमल नेटवर्क, जयपुर। जयपुर आर्ट समिट के दौरान हुए पुस्तक विमोचन के क्रम में वरिष्ठ चित्रकार कन्हैयालाल वर्मा रचित पुस्तक 'मेघदूत-चित्रण' का विमोचन हुआ।
34 चित्रों की दर्शन यात्रा
जैसा कि किसी चित्रकार की पुस्तक में संभावित होता है, वर्मा की पुस्तक 'मेघदूत-चित्रण' भी पठन से ज्यादा दर्शन की विषय वस्तु है।  पुस्तक के 34 चित्रों की दर्शन यात्रा का रोमंाच सहज ही महसूस किया जा सकता है। वर्मा जी ने 18 वर्ष की युवावस्था से अब तक जब वे सत्तर बसंत देख जीवन सांझ का सुख ले रहे हैं, महाकवि कालीदास की कृति मेघदूतम के शब्दों को आकार देते रहे हैं। राजस्थानी परिवेष लिए लघु शैली में बनाए गए यह चित्र 'मेघदूतम के कई ह्रदयस्पर्शी श्लोकों को छूने में सक्षम है। चित्रों में प्रणय है, मिलन की प्यास है, वियोग का दर्द है, सौन्दर्य का बन्धन है और प्रेम की स्वतन्त्रता है। पुस्तक की सबसे महत्वपूर्ण बात है, चित्रकार के कवि ह्रदय के दर्शन।
 चित्रों को आत्मसात करने की राह
चौंतीस  चित्रों से सजी इस पुस्तक के प्रत्येक चित्र के साथ मेघदूतम का मूल संस्कृत श्लोक, उसका हिन्दी में किया गया भावानुवाद और अंग्रेजी का अनुवाद चित्रों को आत्मसात करने की राह प्रशस्त करता है। अंग्रेजी अनुवाद रूपनारायण काबरा ने किया है। इसमें से एक चित्र 'प्रतीक्षा का अन्त' के लिए वर्मा को कालीदास अकादमी उज्जैन द्वारा राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
वर्षा के जल से चलाया काम 
अपनी रचना यात्रा का उल्लेख करते हुए वर्मा ने बताया कि राजस्थान में नमक के झीलों की नगरी संाभर में रहते हुए पारम्परिक तरीके से इन चित्रों को तैयार करने में काफी परेशानियों को सामना करना पड़ा। सर्वाधिक समस्या प्राकृतिक रंगों को घोलने के लिए निर्मल जल के अकाल के कारण होती थी। इसक लिए वे साल में एक बार मानसून के समय मरुधरा में होने वाली सीमित वर्षा का जल एकत्र करते और उसी के सहारे वर्ष पर्यतं काम चलाते। यह पानी खत्म होने पर जयपुर से बोतलबंद पानी भी मंगवाना पड़ता था।
अतिरिक्त बोनस पाने की खुशी जैसा संग्रह
पुस्तक और खासकर इसमें शामिल चित्रों का मुद्रण उच्च कोटि का है, लेखक द्वारा अपने माता-पिता की मधुर स्मृतियों को समर्पित इस पुस्तक का मूल्य मात्र 300 रुपए रखा गया है, जबकि यह मूल्य तो मेघदूत के चित्रों को निहारते हुए ही वसूल हो जाता है। शेष दुर्लभ सामग्री का संग्रह अतिरिक्त बोनस पाने की खुशी जैसा अहसास कराता है।
इसी के साथ समीक्षक विनोद भारद्वाज, राजेश व्यास व राजेश सिंह कि पुस्तकों का भी विमोचन हुआ।  

मंगलवार, 12 नवंबर 2013

Anjani Reddy की पेंटिंग में मूमल की कुंदन-मीना

मूमल द्वारा कुंदन-मीना ज्वैलरी पर प्रकाशित विशेषांक पत्रिका से प्रभावित होकर ख्यात चित्रकार अंजली रेडड़ी ने जयपुर आर्ट समिट के केम्प में बनाई अपनी पेंटिंग की नायिका को कुंदन-मीना के गहनों से सजाया। पत्रिका के विन्यास और रंग संयोजन को भी उन्होंने अपनी पेंटिंग में उपयोग किया और इसके लिए उन्होंने खुलकर मूमल की सराहना की।


काश कला जगत में 'मैं' की जगह 'हम' हो

 मूमल संपादकीय
चहुमुखी सराहना तो कुछ आलोचना भी

जयपुर का पहला आर्ट समिट सम्पन्न हो गया। ...और जैसा कि अक्सर होता रहा है, इसके आयोजन के प्रति भी विरोधी स्वर मुखर हुए। समिट की समाप्ती से पहले ही जयपुर के कलाकारों की गुटबाजी के नतीजे सामने आने लगे। मुद्दा वही अहम् का रहा। इस प्रकार एक बेहतर पहल को सराहना के साथ-साथ आलोचना भी मिली।
 माहौल बोझिल हुआ है और संवेदनाए चोटिल
 कला जो कभी सत्यम शिवम सुन्दरम् और सुखाय का दूसरा नाम हुआ करती थी अब उसके पैमाने बदल गए हैं। कलाकारों क बीच की गुटबाजी, राजनीतिक दलों की खेमेबाजी का अहसास कराने लगी है। इसके चलते कला जगत का माहौल बोझिल हुआ है और संवेदनाए चोटिल। ऐसे में आपस में ही लड़ते-भिड़ते कलाकार क्योंकर आम आदमी को कला की ओर आकर्षित कर अपनी कला से उन्हें जोड़ पाएगें। यही कारण है कि कुछ कलाकार तो अब साफ ही कहने लगे हैं कि उनकी खास कला आम आदमी के लिए है ही नहीं।
इस गुटबाजी और एक-दूसरे पर लगाए जा रहे आरोप-प्रत्यारोप को प्रतिस्पर्था का क्रत्रिम चोला नहीं पहनाया जा सकता। स्वस्थ्य प्रतियोगिता तो एक अलग ही शै होती है जो कला को और निखारने का काम करती है। प्रतिस्पर्धियों को  और बेहतर कृतियों का कर्ता बनने को प्रेरित करती है। उसके इरादों को और मजबूत बनाती हैं। आम आदमी से सहजता पूर्वक जोड़ती है। जबकि गुटबाजी कलाकार के संवेदशील मन में विकार और द्वन्द के जाल में उलझा देती है। इसका सीधा असर उसकी कृतियों में देखने को मिल जाता है। साधना से साध्य के बजाय साधन और भोतिकता की ओर बढ़ते कला के कदम इसी का परिणाम है।
मैं के कठघरे में कैद 
हम यह नहीं कह रहे कि निर्मित कलाकृतियां सुंदर नहीं, लेकिन स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा के अभाव में वे कांतिहीन हैं, प्राणहीन भी कह सकते हैं। कला संसार सहजता, सरलता, सद्भाव और संवेदनाओं से सजता है। इसे मैं की जगह हम का भाव प्रभावी बना सकता है। यहां इस बात का अफसोस है कि कलाकार मैं के कठघरे में स्वयं को कैद करता जा रहा है।
 उधेड़ सकते हैं तो बुन भी सकते हैं।
यह सही है कि किसी भी आयोजन में बहुत कुछ अच्छा किए जाने के बाद भी कुछ कमियां रह जाती है। किसी आयोजन में ये कमियां कुछ होती हैं और किसी में बहुत कुछ छूट जाता है। इन कमियों को बेहतर सलाह, सहृदयता, सहनशीलता और साथ के बल पर दूर किया जा सकता है। जब जब एक खेमा अपने आयोजन में दूसरे खेमें की कला को स्थान नहीं दे पाता है तो दूसरे खेमें के आयोजन में पहले खेमे की कला को स्थान नहीं मिलने की विवशताएं उसी प्रकार की होती है जैसी पहले आयोजन के लिए थी। इसी प्रकार किसी फैस्टिवल या समिट के आयोजन में भी कई बाते अलग हो सकती हैं, ऐमें उनकी तुलना बेमानी हो जाती है। कुल मिलाकर हम चाएं तो कमियों की फटी चादर में अपनी मैं की टांग फंसा कर उसे और अधिक उधेड़ सकते हैं और चाहें तो हम के ताने-बाने से उसे बुन भी सकते हैं।

शनिवार, 9 नवंबर 2013

साहित्यकार विजयदान देथा का निधन


मूमल नेटवर्क, जयपुर। प्रदेश के महान साहित्यकार विजयदान देथा का निधन हो गया। वे 88 वर्ष के थे।
राजस्थान की लोक कथाओं और कहावतों के संग्रह एवं पुनर्लेखन के क्षेत्र में विजयदान देथा का योगदान विश्व स्तर पर समादृत है ।  पद्मश्री और साहित्य अकादमी पुरस्कारों से पुरस्कृत विजयदान देथा का जन्म 1 सितम्बर 1926, राजस्थान के बारूंदा गांव में हुआ था। इनके मित्र प्यार से इन्हें बिज्जी कहते थे। देथा ने 800 से अधिक कहानियाँ लिखी, जिनमें से अनेक का अनुवाद हिन्दी, अंग्रेजी तथा अन्य भाषाओँ में हो चुका है । उनकी कहानियों पर आधारित  तीन हिन्दी फिल्में -दुविधा, पहेली और परिणीता बन चुकी हैं और चरनदास चोर सहित अनेक नाटक लिखे और मंचित हो चुके हैं ।
विजयदान देथा के बारे में यह तथ्य भी जानना कम महत्त्वपूर्ण नहीं है कि अधिकांश कहानियाँ मूलत: राजस्थानी में लिखी गयी थीं, सबसे पहले-'बातारी फुलवारीÓ नाम से उनका विशाल कथा ग्रंथ (तेरह खंडों में) प्रकाशित हुआ था । बाद में जब उनकी कहानियों के दो संग्रह हिन्दी में प्रकाशित हुए तो पूरा हिन्दी संसार चौंक पड़ा क्योंकि इस शैली और भाषा में कहानी लिखने की कोई परम्परा तथा पद्धति न केवल हिन्दी में नहीं थी बल्कि किसी भी भारतीय भाषा में नहीं थी। उनकी कहानियाँ पढ़कर विख्यात फिल्मकार मणिकौल इतने अभिभूत हुए कि उन्होंने तत्काल उन्हें लिखा-
''तुम तो छुपे हुए ही ठीक हो। ...तुम्हारी कहानियाँ शहरी जानवरों तक पहुँच गयीं तो वे कुत्तों की तरह उन पर टूट पड़ेंगे। ...गिद्ध हैं नोच खाएँगे। तुम्हारी नम्रता है कि तुमने अपने  रत्नों को गाँव की झीनी धूल से ढँक रखा है।ÓÓ हुआ भी यही, अपनी ही एक कहानी के दलित पात्र की तरह- जिसने जब देखा कि उसके द्वारा उपजाये खीरे में बीज की जगह 'कंकड़-पत्थरÓ भरे हैं तो उसने उन्हें घर के एक कोने में फेंक दिया, किन्तु बाद में एक व्यापारी की निगाह उन पर पड़ी तो उसकी आँखें चौंधियाँ गयीं, क्योंकि वे कंकड़-पत्थर नहीं हीरे थे। विजयदान देथा के साथ भी यही हुआ। उनकी कहानियाँ अनूदित होकर जब हिन्दी में आयीं तो हिन्दी संसार की आँखें चौंधियाँ गयीं। स्वयं मणिकौल ने उनकी एक कहानी 'दुविधाÓ पर फिल्म बनाई। विजयदान देथा चारण जाति से थे। उनके पिता सबलदान देथा और दादा जुगतिदान देथा भी राजस्थान के जाने-माने कवियों में से हैं। देथा ने अपने पिता और दो भाइयों को एक पुश्तैनी दुश्मनी में मात्र चार वर्ष की आयु में खो दिया।
कभी अन्य किसी भाषा में नहीं लिखा
अपनी मातृ भाषा राजस्थानी के समादर में 'बिज्जीÓ ने कभी अन्य किसी भाषा में नहीं लिखा, उनका अधिकतर कार्य उनके एक पुत्र कैलाश कबीर द्वारा हिन्दी में अनुवादित किया।
उषा, 1946, कविताएँ
बापु के तीन हत्यारे, 1948, आलोचना
ज्वाला साप्ताहिक में स्तम्भ, 194-1952
साहित्य और समाज, 1960, निबन्ध
अनोखा पेड़, सचित्र बच्चों की कहानियाँ, 1968
फूलवारी, कैलाश कबीर द्वारा हिन्दी अनुवादित, 1992
चौधरायन की चतुराई, लघु कथाएँ, 1996
अन्तराल, 1997, लघु कथाएँ
सपन प्रिया, 1997, लघु कथाएँ
मेरो दर्द ना जाणे कोय, 1997, निबन्ध
अतिरिक्ता, 1997, आलोचना
महामिलन, उपन्यास, 1998
प्रिया मृणाल, लघु कथाएँ, 1998
राजस्थानी[संपादित करें]
बाताँ री फुलवारी, भाग 1-14, 1960-1975, लोक लोरियाँ
प्रेरणा कोमल कोठारी द्वारा सह-सम्पादित, 1953
सोरठा, 1956-1958
परम्परा, इसमें तीन विशेष चीजें सम्पादित हैं - लोक संगीत, गोरा हातजा, जेथवा रा * राजस्थानी लोक गीत, राजस्थान के लोक गीत, छ: भाग, 1958
टिडो राव, राजस्थानी की प्रथम जेब में रखने लायक पुस्तक, 1965
उलझन,1984, उपन्यास
अलेखुन हिटलर, 1984, लघु कथाएँ
रूँख, 1987
कबू रानी, 1989, बच्चों की कहानियाँ
देथा भी निम्नलिखित कार्यों के सम्पादन के लिए भी आकलित किया जाता है[1]
साहित्य अकादमी के लिए गणेशी लाल व्यास का कार्य पूर्ण किया।
राजस्थानी-हिन्दी कहावत कोष।

पुरस्कार और सम्मान
राजस्थानी के लिए 1974 का साहित्य अकादमी पुरस्कार[1]
1992 में भारतीय भाषा परिषद पुरस्कार[1]
1995 का मरुधारा पुरस्कार[1]
2002 का बिहारी पुरस्कार[1]
2006 का साहित्य चूड़ामणि पुरस्कार[2]
2007 में पद्मश्री [3]
मेहरानगढ़ संग्राहलय ट्रस्ट द्वारा 2011 में राव सिंह पुरस्कार

शुक्रवार, 8 नवंबर 2013

Jaipur Art Summit Day-2

आर्टसमिट का दूसरा दिन 
सेमिनार, पुस्तक विमोचन और जेकेके में सांझी आर्ट के नाम
Sitting from (L-R) Dr. Ashrafi S. Bhagat, Anjolie Ela Menon, Prof.  Jai Krishna Agarwal,  Vinod Bhardwaj at the  1st session of Art Seminar.
मूमल नेटवर्क,जयपुर। आर्टसमिट का दूसरा दिन कला और कलाक्षेत्र में प्रयोग, उसकी प्रकृति, सृजन और आधुनिक दौर में कला के प्रसार आदि विषयों पर गहन चिंतन और मनन का रहा। होटल क्लार्क आमेर में आयोजित सेमिनार के दो सेशन्स में कलासमीक्षक व पेंटर जयकृष्ण अग्रवाल, आर्ट क्यूरेटर व आर्टक्रिटिक अशरफी भगत, वरिष्ठपत्रकार-लेखक मंगलेशडबराल और कवि, लेखक और पत्रकार प्रयाग शुक्ल ने अपने अनुभवों और कलाक्षेत्र के बारे में अपनेबातें रखी। यहां वरिष्ठ पत्रकार व कलासमीक्षक नई दिल्ली के विनोद भारद्वाज की किताब सेप्पकू का विमोचन हुआ। सेप्पकू कलाक्षेत्र के बारे में एक ऐसी किताब है जिसमें कला को कॉर्पोरेट जगत के हिसाब से चलने पर मजबूर हो सेल्फ ऑनर किलिंग यानि आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ता है। उनकी किताब का पूरा नाम सेप्पकू- (शायनिंग एण्ड डार्कनेस ऑफ आर्ट वल्र्ड )है। इसी कड़ी में राजस्थान के वरिष्ठ चित्रकार कन्हैयालालवर्मा की किताब मेघदूत चित्रण का भी विमोचन किया गया।
जो बात बनीठणी  में है वह मोनालिसा में कहां: जयकृष्ण अग्रवाल
जयकृष्ण अग्रवाल ने सेमिनार में कहा कि देशवासियों की मानसिकता अपनी कला को विदेशी कलाकारों से हेय समझने की है जिसे बदलना होगा। अपने बात को कहने के लिए उन्होंने आयातित प्रतिबिम्ब नामक शीर्षक देते हुए समझाई। उन्होंने कलाकारों और कलाविक्रेताओं को  यह समझना होगा कि देश की कला उन्नत है और उसकी अपनी संरचना  और इतिहास हैजिसे हम विदेश से तुलना नहीं कर सकते। जयकृष्ण अग्रवाल ने इस बात को यूं समझाया कि वह राजस्थान आए तो उन्हें बनीठणी ने बेहद प्रभावित किया और वह एक दुकान पर इसे खरीदने के लिए रुके तो दुकानदार न े तुरत कहा आइए सर, मोनालिसा ऑफ इंडिया केवल एक सौ पचास रुपए में। अग्रवाल ने कहा कि दुकानदार की इस बात से वह बेहद आहत हुए। उन्होंने बताया कि उन्होंने दुकानदार से पूछा कि क्या तुमने कभी मोनालिसा को देखा है तो दुकानदार ने कहा कि मोनालिसा कौन है? लेकिन, मोनालिसा का नाम बोलते ही ग्राहक झट से खरीद लेत हैं। अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने स्वयं लव्रू मेंं मोनालिसा को घंटों निहारा लेकिन, उसमें उन्हें वह रुप-लावण्य नहीं दिखा, जो बनीठणी में है।

कला और उस पर विदेशी प्रभाव : अशरफी  भगत
 आर्ट क्यूरेटर और  आर्टक्रिटिक अशरफी भगत ने अपनी स्टडीट्रांजिट एण्ड ट्रांसफॉर्मेशन: मोबलाइजिंग आइडियाज एण्ड आर्टिस्टिक अप्रेटस- ए स्टडी ऑफ फाइव  चेन्नई आर्टिस्ट के माध्यम से कहा कि कला और कलाकार के विचारों पर देश और दुनिया में घूमने से बड़ा वैश्विक प्रभाव पड़ता है और उसे और प्रभावी बनाने में मदद मिलती है।

कला को कैसे देखना है सीखना होगा: मंगलेशडबराल
 वरिष्ठ पत्रकार और लेखक मंगलेश डबराल ने सेमिनार अपने विचार रखते हुए कहा कि हम सभी को सीखना होगा कला को कैसे देखना  है। उन्होंने सत्रहवीं सदी के महान डच चित्रकार फरमीर की एक कृति मिल्कमेड या किचनमेड का उदाहरण देते हुए बताया कि एक स्त्री एक बर्तन में दूध डाल रहीहै। दूध की धार, मेज पर रखी रोटी, महिला का चेहरा और आधा शरीर एक मुलायम प्रकाश में चमक रहे हैं। अब इस चित्र को बेहद महत्वपूर्ण बनाने वाला केवल प्रकाश है। फरमीर ने अपने दस चित्रों में ऐसा प्रयोग किया है जिसे देखने के सबके अपने-अपने नजरिए हैं, लेकिन कलाकृति के मूल मनोभावों को समझने की कला को समझना ही कलाकार और कलाकृति के असली उद्देश्य को समझने में मदद करताहै।
  कला की  रेंज बहुत बड़ी है: प्रयाग शुक्ल
 कवि, लेखक और पत्रकार प्रयाग शुक्ल ने कहा कि कला की रेंज बहुत बड़ी है। आदि युग से लेकर आज तक की दुनिया में कला  इतनी विविध शैलियों में, विविध रचना सामग्री में और इतने आशयों में परिलक्षित हुर्इ है की व्यक्ति चकित रह जाता है। यह इसलिए संभव हुआ है कि काल और कला के विभिन्न चरणों में कलाकार को यही लगता है कि कई क्षेत्र ऐसे हैं जिन्हें आज तक नहीं छुआ गया। कला के आयाचिक क्षेत्र ही कला की रेंज को व्यापक बनाने में मदद करतेहैं।
जवाहर कला केंद्र में सांझी आर्ट ने मोहा सबका मन

जवाहर कला केेंद्र दूसरे दिन भी रंगों से सराबोर रहा। यहां पारिजात गैलरी-2 में वृंदावन की सांझी कला विशेष रुप से आकर्षण का केंद्र रही। वृन्दावन से नीलमणि भट्ट के नेतृत्व में सांझीे कलाकारों की टीम आई है। सांझी एक लुप्त होती कला मानी जा रही है जो कि अब केवल वृन्दावन में ही रह गई है। 450 साल पुरानी सांझी आर्ट वंश परंपरा के तौर पर संजोई जा रही है। सांझी एक कला है जिसके तहत मंदिरों में श्रीकृष्ण के जीवन से संबंधित घटनाओं का चित्रण किया जाता है। जवाहर कला केंद्र में शुक्रवार को श्रीमद्भागवत गीता के दसवें स्कंद के तहत वर्णित उखल बंधन को चित्रित किया गया। इसे बनाने में करीब 90 से 100 घंटे लगते हैं। सूखे रंगों जैसे पेपडी, सीलू, हीरमिच, संगमरमर के पाउडर आदि के प्रयोग से जवाहर कला केंद्र में पीली मिट्टी की एक वेदी तैयार की गई, इस पर Óयोमितिय आकृतियों को विभिन्न रंगों से सजाते हुए यशोदा मैया के भगवानश्रीकृष्ण के बालरूप को ओखली से बंधा हुआ बताया है। यहां पर दर्शकों ने भक्तिभाव से इस कला को देखा वहीं कला के विभिन्न स्वरूपों से जुड़ते हुए दर्शकों ने कला के अन्य पक्ष भी देखे।
( समाचार सौजन्य: अनुराग रायजादा


बुधवार, 6 नवंबर 2013

Jaipur Art Summit’13 begins today


Moomal Network, Jaipur.  An array of artworks from eminent artists overwhelms all the six art galleries, amphitheater and even corridors of the Jawahar Kala Kendra as Jaipur hosts its first art summit from Thursday. Over 150 artists will display their creative works in canvas, digital, installation and mix-media formats apart from these artists works of famed artists like MF Husain are being sourced from private collectors. Many of these artworks will be on public display for the first time.
Governor of Rajasthan Margret Alva will inaugurate the five day summit on Thursday in a ceremony at Hotel Clarks Amer, in presence of eminent artists like Padmabhushan Jatin Das, Padama Shree Anjolie Ela Menon and Padma Shree Shanti Dave. Art enthusiasts will also get opportunity to interact and learn from experience of these artists at various sessions scheduled over the five day event.
The Jaipur Art Summit' 13 is being organized by Progressive Artist Group (PAG) to promote works of contemporary artists on an international platform as well as to introduce the local artists to the creative trends. “The state of Rajasthan has a rich history of sheltering and nurturing various art formats, artists from the land have gained fame on global platform however there remains a need to further boost the artistic tradition of the state in accordance to requirements of contemporary art world, the Jaipur Art Summit is a step in the direction” says R. B. Gautam. President PAG.

7TH NOVEMBER
Art Summit Opening : Inauguration by the Honorable Governor of Rajasthan, Mrs. Margaret Alva
·         Venue : Hotel Clarks, Amer
·         Time: 11:30am
ART CAMP: INAUGURATION BY PADAMA BHUSHAN JATIN DAS
·         Venue : Hotel Clarks Amer
·         Time : 1pm
ALL INDIA ART EXHIBITION : INAUGURATION BY PADAMA SHREE SHANTI DAVE
·         Venue: Jawahar Kala Kendra
·         Time : 5pm
 INSTALLATION ART
·         Venue : Jawahar Kala Kendra/ Hotel Clarks Amer
·         Time: 10 am to 5pm
RARE ART DEMO – JAWAHAR KALA KENDRA
·         Black Terracotta Pottery : Artisans from Sawaimadhopur 
·         Ceramic :  Ms Meenu Srivastava 
·         Glass Painting :  Olga Rodondo Boada 
·         Sanjhi Art of Vrindavan : Artisans from Vrindavan 
·         Clay Modeling :  Padama Shree Arjun Prajapati 
·         Cinema Hoarding : Kala Shree Mohd. Sharif 
ART HAAT
·         Venue : Hotel Clarks Amer
·         Time : 11am to 7pm
·         Participants :  Select Artisans

8TH NOVEMBER
ALL INDIA ART EXHIBITION
·         Venue:Jawhar Kala Kendra
·         Time: 11am to 5pm
ART CAMP
·         Venue: Hotel Clarks, Amer
·         Time: 11am to 5pm
INSTALLATION ART
·         Venue: Jawahar Kala Kendra/ Hotel Clarks, Amer
·         Time: 11 am to 7pm
SEMINAR : INAUGURATION BY PADAMA SHREE ANJOLI ELA MENON
·         Venue: Hotel Clarks Amer
·         Time: 11am to 5:30pm
New Models for International Art & Cultural Collaboration - Insight, Best Practices and Recommendations
SPEAKERS:
·         Dr.Ashrafi Bhagat
·         Mr. Jaikrishan Agarwal
 AFTERNOON
ART AND ITS UNSOLICITED DOMAINS
·         SPEAKERS:
·         Mr.Prayag Shukla
·         Mr.Mangalesh Dabral
·         Book Launch: Meghdoot Chitran
·         Author: Mr. Kanhiyalal Verma
RARE ART DEMO – JAWAHAR KALA KENDRA: 11AM TO 7PM
·         Black Terracotta Pottery : Artisans from Sawaimadhopur
·         Ceramic:  Ms Meenu Srivastava
·         Glass Painting:  Olga Rodondo Boada
·         Sanjhi Art of Vrindavan: Artisans from Vrindavan
·         Clay Modeling :  Padama Shree Arjun Prajapati
·         Cinema Hoarding: Kala Shree Mohd. Sharif
·         Enameling Art: Mr. Surendra Singh Suran
ART HAAT
·         Venue: Hotel Clarks, Amer
·         Time: 11am to 7pm
·         Participants:  Select Artisans
FILM SCREENING
·         Please check the board for details
9TH NOVEMBER
ALL INDIA ART EXHIBITION
·         Venue:Jawhar Kala Kendra
·         Time: 11am to 7pm
ART CAMP
·         Venue: Hotel Clarks, Amer
·         Time: 11am to 7pm
      INSTALLATION ART
·         Venue: Jawahar Kala Kendra/ Hotel Clarks, Amer
·         Time: 11 am to 7pm
SEMINAR
MORNING
Perspectives and Dilemmas of the Contemporary Visual Artists
Ms.Alka Pande
Ms. Uma Nair
AFTERNOON
Subject:Art Market & Its Influence on Contemporary Indian Art
·         Mr.Johnny M.L.
·         Mr. Abhay Sardesai
BOOK LAUNCH
·         An Introduction to Ajanta Caves
·         Ajanta Paintings
Author Mr.Rajesh Singh
RARE ART DEMO – JAWAHAR KALA KENDRA: 11AM TO 7PM
·         Black Terracotta Pottery : Artisans from Sawaimadhopur
·         Ceramic:  Ms Meenu Srivastava
·         Glass Painting:  Olga Rodondo Boada
·         Sanjhi Art of Vrindavan: Artisans from Vrindavan
·         Clay Modeling :  Padam Shree Arjun Prajapati
·         Cinema Hoarding: Kala Shree Mohd. Sharif
·         Enameling Art: Mr. Surendra Singh Suran
ART HAAT
·         Venue : Hotel Clarks, Amer
·         Time: 11am to 7pm
·         Participants :  Select Artisans
FILM SCREENING
·         Please check the board for details
10TH NOVEMBER
ALL INDIA ART EXHIBITION
·         Venue:Jawhar Kala Kendra
·         Time: 11am to 7pm
ART CAMP
·         Venue: Hotel Clarks, Amer
·         Time: 11am to 7pm
INSTALLATION ART
·         Venue: Jawahar Kala Kendra/ Hotel Clarks, Amer
·         Time: 11 am to 7pm
RARE ART DEMO – JAWAHAR KALA KENDRA: 11AM TO 7PM
·         Black Terracotta Pottery : Artisans from Sawaimadhopur
·         Ceramic:  Ms Meenu Srivastava
·         Glass Painting:  Olga Rodondo Boada
·         Sanjhi Art of Vrindavan: Artisans from Vrindavan
·         Clay Modeling :  Padama Shree Arjun Prajapati
·         Cinema Hoarding: Kala Shree Mohd. Sharif
·         Enameling Art: Mr. Surendra Singh Suran
ART HAAT
·         Venue: Hotel Clarks, Amer
·         Time: 11am to 7pm
·         Participants:  Select Artisans
FILM SCREENING
·         Please check the board for details
11TH NOVEMBER
ALL INDIA ART EXHIBITION
·         Venue:Jawhar Kala Kendra
·         Time: 11am to 7pm
ART CAMP EXHIBITION
·         Venue: Hotel Clarks, Amer
·         Time: 11am to 7pm
INSTALLATION ART
·         Venue : Jawahar Kala Kendra/ Hotel Clarks, Amer
·         Time: 11 am to 7pm
RARE ART DEMO – JAWAHAR KALA KENDRA: 11AM TO 7PM
·         Black Terracotta Pottery : Artisans from Sawaimadhopur
·         Ceramic:  Ms Meenu Srivastava
·         Glass Painting:  Olga Rodondo Boada
·         Sanjhi Art of Vrindavan: Artisans from Vrindavan
·         Clay Modeling :  Padama Shree Arjun Prajapati
·         Cinema Hoarding: Kala Shree Mohd. Sharif
·         Enameling Art: Mr. Surendra Singh Suran
ART HAAT
·         Venue: Hotel Clarks, Amer
·         Time: 11am to 7pm
·         Participants:  Select Artisans
FILM SCREENING
·         Please check the board for details
·         The organizers reserve the right to change any programme.
·         For updates & changes please check the boards at the two main venue; Jawhar Kala Kendra & Hotel Clarks, Amer


·         06NOV
Preview : All India Art Exhibition
Venue: Jawahar Kala Kendra
Preview
6:30pm (by invitation only)



·         07NOV
Art Summit Opening : Inauguration by the Honorable Governor of Rajasthan, Mrs. Margaret Alva
Venue : Hotel Clarks, Amer
Time: 11:30am
Art Camp:
Venue : Hotel Clarks Amer
Time :
1pm
·         08NOV
All India Art Exhibition
Venue:Jawhar Kala Kendra
Time:
11am to 5pm
Art Camp:
Venue : Hotel Clarks Amer
Time:
11am to 5pm
·         09NOV
All India Art Exhibition
Venue:Jawhar Kala Kendra
Time:
11am to 7pm
Art Camp:
Venue : Hotel Clarks Amer
Time:
11am to 7pm
·         10NOV
All India Art Exhibition
Venue:Jawhar Kala Kendra
Time:
11am to 7pm
Art Camp:
Venue : Hotel Clarks Amer
Time:
11am to 7pm
·         11NOV
All India Art Exhibition
Venue:Jawhar Kala Kendra
Time:
11am to 7pm 
Art Camp:
Venue : Hotel Clarks Amer
Time:
11am to 5pm