शुक्रवार, 23 अप्रैल 2010

'प्रदर्शन में महावीर प्रसाद शर्मा

'प्रदर्शना' पक्ष के मानद संपादक के रूप में इस ब्लॉग से जुड़े श्री महावीर प्रसाद शर्मा का जन्म 26 जनवरी 1967 के दिन जालंधर में हुआ। मूलत: कश्मीर निवासी महावीर जी के पिता स्व। श्री नारायण कुमार शर्मा चूंकि उच्चपदस्थ शासकीय सेवाओं में थे, अत: आरम्भिक शिक्षा विभिन्न शहरों में हुई।

सन् 1974 में माता श्रीमती उर्मिला शर्मा ने जयपुर में कारपेट निर्माण का कारोबार शुरू किया। महावीर को उन्हीं दिनों शहर के सबसे प्रतिष्ठित सेन्ट जेवीयरर्स स्कूल के छात्र होने का गौरव मिला। माता के व्यवसाय के प्रति रूझान हुआ। शिक्षा के साथ-साथ वह मां के कारोबार में भी सहयोग करते रहे।बास्केट बॉल खिलाड़ी महावीर को टीम कोच के रूप में सन् 1986 में अमेरिका जाने का मौका मिला। वहां उन्होंने कारपेट आयात की संभावनाएं टटोली। 1987 में उनको फिर बॉस्केट बॉल कोच के रूप में अमेरिका जाना हुआ तब वहां के एक स्थानीय व्यक्ति के साथ मिल उन्होंने भारत से कारपेट और ज्यूलरी आयात शुरू किया और 1994 तक वहीं न्यूर्याक व बोस्टन में रहे। 1994 में वह वापस जयपुर आए और मां द्वारा स्थापित कारोबार को कारपेट निर्यात व्यवसाय के रूप में नई ऊंचाईयों तक पहुंचाया।

सन् 2002 में जीवन साथी के रूप में दीपिका को पाने के बाद इनका जीवन पूर्ण रूपेण प्रकाशित हो उठा।पढऩे व दुनिया को देखने, समझने व विभिन्न व्यक्तियों के प्रस्तुत व्यवहार का अध्ययन करने में रूचि रखने वाले महावीर शर्मा की गिनती परफोरमिंग आर्ट के प्रमुख जानकारों में की जाती है। इसी के चलते मानवता की सेवा करने का उद्देश्य लिए विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े हैं। आज वह अपने व्यवसाय के साथ-साथ जयपुर विरासत फाउण्डेशन, कैन, रवीन्द्र मंच कमेटी, त्रिमूर्ति, जे जे एस, जस और फोरेक्स सहित कई संगठनों के शीर्ष व महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।

तमाम व्यस्तताओं के बावजूद महावीर शर्मा ने 'मूमल' के प्रदर्शन कला पक्ष 'प्रदर्शना' की देखरेख के लिए अलग से समय सुरक्षित किया है। प्रदर्शन कला के क्षेत्र में आने वाले युवा साथियों के लिए उनका संदेश है कि ''कला में कामर्शिगल एंगल से कोई कम्प्रोमाइज न करें। जमाने के साथ कला को तोड़-मरोड़ कर पेश करने के बजाय उसके मूल स्वरूप को बरकरार रखें। आप मंच पर मूल कला की कद्र करेंगे तो कला समाज में आपकी कद्र कराएगी।"

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