शुक्रवार, 10 अक्तूबर 2014

चित्रकार रामेश्चर सिंह की स्मृति मे शोक सभा


रामेश्वर सिंह को भरे मन से याद किया 
मूमल नेटवर्क, जयपुर। वरिष्ठ चित्रकार रामेश्चर सिंह की स्मृति में आयोजित शोक सभा में आज उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को उनके साथियों और युवा चित्रकारों ने भारी मन से याद किया। रामेश्चर सिंह का कल दिल्ली में निधन हो गया था। यह शोक सभा राजस्थान ललित कला अकादमी में शाम को आयोजित की गई।
गुरूवार को रामेश्चर सिंह के निधन का समाचार जानने के बाद प्रदेश के कला जगत में शोक की लहर दौड़ गई। रामेश्चर सिंह राजस्थान के देवगढ़ निवासी थे और लम्बे समय तक उदयपुर और जयपुर में सक्रीय रहे। अकादमी में शुक्रवार को आयोजित होने वाले नियमित फिल्म शो के बाद आयोजित शोक सभा में उनके काफी करीब रहे जयपुर के वरिष्ठ चित्रकारों ने उन्हें याद करते हुए कहा कि आज राजस्थान के सुप्रसिद्ध चित्रकार  रामेश्वर सिंह के देहावसान की खबर से देश के सभी कलाकार शोक मग्न है।
श्री रामेश्वर सिंह देश के उन चित्रकारों में से एक थे जिन्होंने देश की फड़ चित्रशैली  से प्रेरणा लेकर उसे समकालीन रूपको एवं मुहावरो में इस कदर संयोजित किया कि उनकी एक विशिष्ट पहचान बन गई। परम्परा के साथ आधुनिकता का मेल कैसे किया जाय, ये उन्हें अच्छी तरह आता था। वे यह ऐसे चित्रकार थे जिन्हें अपनी कलाकृतियां बेचने के लिए कभी कोई जोड़-तोड़ नहीं करनी पड़ी।  खरीददारों- के साथ-साथ पुरुस्कार भी उसका पीछा करते रहे। उन्होंने यह स्थापित किया कि काम में यदि दम हो तो किसी के सहारे की जरूरत नहीं रहती। वे बहुत ही फक्कड़ और सूफी मिज़ाज़ के कलाकार थे। रामेश्वर सिंह   जितने बड़े सृजनकार थे उतने ही सरल व सीधे इंसान भी थे। वे किसी से कोई शिकवा या शिकायत नहीं करते थे। इसीलिए सर्वप्रिय रहे। सभी का  लाडला चित्रकार हमारे बीच नहीं रहा,  इस बात की गहरी रंजिश  सभी के मन में है।
उनके काफी करीबी रहे वरिष्ठ चित्रकार विद्यासागर उपाध्याय ने उनकी खुद्दारी को याद किया तो डा. चिन्मय मेहता ने उनहें फक्कड़ और सूफी मिज़ाज़ वाले बेहतर इंसान के रूप में याद किया। दिलीप सिंह चौहान ने उन्हें समर्थ होते हुए भी गुटबाजी से परहेज करने वाला कुशल कलाकार बताया। समन्दर सिेंह खंगारोत 'सागर' ने उनके शुरूआती दिनों को याद किया। तेजी से उभर रहे युवा चित्रकार नवल सिंह चौहान ने बताया कि जब तक उन्हें इस चित्रकार की उम्र का पता नहीं था वे रामेश्वर सिंह की कृतियों को देखकर उनहें कोई युवा कलाकार ही समझते थे।
इस अवसर पर अकादमी सचिव नीतू राजेश्वर सहित चित्रकार नाथूलाल वर्मा, अशोक गौड़, मीनाक्षी कासलीवाल भारती, वीरबाला भावसार, मीनू श्रीवास्तव, कृष्णा महावर, आर.बी.गौतम, विनोद भारद्वाज, सुनित घिल्डियाल, जगमोहन माथोडिय़ा, अर्जुन प्रजापति, वीरबाला भावसार, कैलाशचन्द शर्मा, राजस्थान विश्वविद्यालय के कला विद्यार्थी, उदयमान कलाकारों में इरा टाक व शालिनी गुप्ता शामिल थे। कार्यक्रम का संचालन प्रदर्शनी अधिकारी विनय शर्मा ने किया।

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