रविवार, 1 जून 2014

इतिहास हुई ऐतिहासिक इमारत


राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट का नया भवन अब 'शिक्षा संकुल' में
राजस्थान का सबसे पुराना कला संस्थान राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट अब नए भवन में शिफ्ट होने जा रहा है। विद्यार्थी व शिक्षक अब 2014-15 के नए सत्र के साथ अपना शिक्षण प्रशिक्षण शिक्षा संकुल स्थित कॉलेज की नई बिल्डिंग में करेंगे।
जयपुर दरबार महाराजा सवाई रामसिंह द्वितीय के संरक्षण में 1857 में आरम्भ हुए संस्थान का यह भवन आज विश्व भर में राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट के नाम से अपनी पहचान बना चुका है।
कॉलेज के नए भवन को कला शिक्षण के आधुनिक उपकरणें से सजाने का काम कॉलेज के वरिष्ठ व अनुभवी सदस्यों को सौंपा गया है। बेसमेंट को मिलाकर कॉलेज की बिल्डिंग का पांच मंजिला निमार्ण में कक्षाओं के साथ पेंटिंग्स, स्क्लपचर व आर्ट स्टोर, आर्ट गैलेरीज, कम्प्यूटर लैब, लायब्रेरी व कॉन्फै्रन्स रूम के साथ ग्राफिक, स्क्लपचर व पेंटिंग स्टूडियोज का निमार्ण किया गया है। यह सभी स्टूडियोज व लैब कला के आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित रहेगे। इसके साथ ही मूर्तिशिल्प का अभ्यास करने के लिए कॉलेज से सटा खुला मैदान भी विद्यार्थियों को आकर्षित करेगा। खुले व शोर शराबे रहित वातावरण में कला अभ्यास के प्रति विद्यार्थी अपना ध्यान केन्द्रित कर पाएंगे।
कलाकारी, कारोबारियों की?   
एक इतिहास का हाथ से यूं फिसल जाना बहुत दुखद है। इससे भी ज्यादा दुख की बात यह है कि भवन खाली होने की चर्चा के साथ ही ऐसे मौकों की तलाश में लगे रहने वाले कई व्यावसायिक लोगों की नजरें इस हवेली पर हैं। इनमें कला के वे बड़े कारोबारी भी शामिल हैं जो मौकों की तलाश नहीं करते, बल्कि ऐसे मौकों की रचना करते और कराते हैं। उल्लेखनीय है कि कुछ वर्ष पहले आमेर की कई कलात्मक, ऐतिहासिक और बहुमूल्य हवेलियां, यहां तक कि महल के हिस्से तक निजी कारोबारियों के हाथों में सौंप दिए गए।
बात कहां से उठी?
अब राजस्थान स्कूल आफ  आर्ट का इस अनमोल भवन के भी किसी  निजी स्वामित्व में जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। सरकार तो आर्ट स्कूल को भवन के बदले भवन देकर अपना दायित्व पूरा कर चुकी है। सब जुगाड़ हो रहा है। लेकिन, कोई यह बताने को तैयार नहीं है कि यह बात कहां से उठी या उठवाई गई कि राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट को नए भवन की जरूरत है...।  इस भवन का वास्तविक मूल्यांकन करवाने की बात भी अभी तक किसी ने भी नहीं की है। एक तरफ जेडीए व पीडब्ल्यूडी भवन पर अपने स्वामित्व के दावे कर रहें हैं, वही दूसरी ओर प.ं शिवदीन का परिवार भवन को पाने की कोशिशों में लगा है। इसे पाने की लाइन में लगे कारोबारियों की लॉबिंग शुरू हो गई है। हालांकि अभी तक कोई खुलकर कोई सामने नहीं आया है। अब देखना यह है कि यह प्राचीन धरोहर किस के नाम होती है?
भवन खुद एक कलाकृति
सबसे बड़ी बात कि तब और अब के पर्यावरण के अनुकूल बना यह भवन छूट जाएगा। जयपुर दरबार के खास दरबारियों में शामिल पं. शिवदीन की यह हवेली जालीदार कलात्मक झरोखों व महराबों से सुसज्जित है। इसमें आज तक इस पुराने भवन में 46-47 डिग्री सेल्सियस की भीषण गर्मी में भी किसी एसी या कूलर की जरूरत नहीं पड़ी। प्रिंसिपल रूम तक में कभी एसी या कृलर नहीं लगा। यहां के कलात्मक झरोखे ठंडी प्राकृतिक हवा के साथ भवन को ठंडा रखने का काम करते रहे। यह बात अलहदा है कि इनके वास्तु या निर्माण तकनीक को समझने की जरूरत किसी ने नहीं महसूस नहीं की।
यही धरी रह जाएगी धरोहर
सरकार द्वारा प्रदत्त नए भवन में जाने के बाद राजस्थान स्कूल ऑफ  आर्ट को अपने ऐतिहासिक भवन के साथ इससे जुड़े अनेक दुर्लभ भित्ति चित्रों से हाथ धोना पड़ेगा। प्राचीन कलात्मक निमार्ण के साथ इस भवन की दीवारों पर कई महान कलाकारों की कृतियां और हस्ताक्षर अंकित हैं। पदमश्री रामगोपाल विजयवर्गीय, स्व. श्री पी.एन.चोयल द्वारा बनाए गए भित्ति चित्रों के साथ तब मोलेला व गुजरात से आए विख्यात कलाकार के बनाए म्युरल से कला क्षेत्र की धरोहर का वह हिस्सा हो गई दीवारें अब यहीं रह जाएंगी। इन्हें चाह कर भी राजस्थान स्कूल ऑफ  आर्ट का प्रशासन नए भवन में साथ नहीं ले जा पाएगा।
उत्साह भी है उदासी भी 
यहां की कलाकृतियों, कला उपकरणों व अन्य सामान को नए भवन तक पहुंचाने के लिए 70 से अधिक ट्रकों की बात कही जा रही है, लेकिन इससे अधिक सौ ट्रक तक सामान हो सकता है। इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि जाने-अनजाने कई चीजें छूट जाएंगी या छोडऩी पड़ेंगी। नए भवन में जाने के लिए कॉलज स्टॉफ और स्टूडेंट्स के मन में उत्साह है, वहीं इस कॉलेज की पहचान बन चुकी पुरानी एतिहासिक इमारत को छोडऩे की मायूसी भी है। कहते हैं कि एक युग की समाप्ति के बाद भी अवशेषों में बीते युग की प्रतिध्वनियां अनन्तकाल तक गूंजती है। जब-जब राजस्थान स्कूल ऑफ  आर्ट का नाम लिया जाएगा तब-तब आर्ट कॉलेज को समर्पित पं. शिवदीन की यह हवेली हर किसी के जहन में कौंधेगी।

इस संस्थान ने देश व दुनिया को कई नामचीन आर्टिस्ट दिए हैं। ना केवल विद्यार्थियों ने बल्कि यहां के शिक्षकों ने भी शीर्ष कलाकारों के रूप में विश्व स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व किया है।
कॉलेज के पुराने विद्यार्थी
पदमश्री रामगोपाल विजयवर्गीय, देवकीनन्दन शर्मा, रूपचन्द जैन, पी.एन. चोयल, सुरेश चन्द राजौरिया, रघुनन्दन शर्मा, आनन्द शर्मा, हरिशंकर गुप्ता और विजय जोशी।
युवा कलाकार
विनय शर्मा, रामकिशन अडिग, श्वेत गोयल, रवीन्द्र शर्मा माइकल, मुकेश शर्मा, लालचन्द मारोठिया, धर्मेन्द्र राठौड़, मनीष शर्मा, गौरीशंकर शर्मा और दीपक खण्डेलवाल।
यहीं के विद्यार्थी अब यहीं के शिक्षक
हरशिव शर्मा, विनोद मैनी, जगमोहन माथोडिय़ा, नरेन्द्र सिंह यादव और देवीलाल वर्मा।
-राहुल सेन

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