सौ से ज्यादा स्टॉल्स में होंगी कृतियां
सात से साथ होंगे एक हजार कलाकार
मूमल नेटवर्क, जयपुर।
राजस्थान ललित कला अकादमी के वार्षिक 17वां कला मेले की तैयारियां लगभग पूरी हो गई हैं। 7 से 11 फरवरी तक जवाहर कला केंद्र के शिल्पग्राम में आयोजित होने वाले इस मेले के लिए प्रदेश के विभिन्न भागों से कलाकार भाग लेगे।
इस बार मेले की उपयोगिता में और वृद्धि के लिए कई उपाय किए गए हैं। इसके तहत कला मेले के स्थान परिवर्तन को गंभीरता से लिया गया। इससे पहले तक यह कला मेला रवीन्द्र मंच परिसर में आयोजित किया जाता रहा, लेकिन वहां तक पहुंचने वाले दर्शकों की संख्या कम होने के कारण मेला अपेक्षाकृत फीका लगता था। इस बार शहर का कला केंद्र माने जाने वाले जवाहर कला केंद्र के शिल्पग्राम में इसे आयोजित किया जा रहा है। इससे पहले वर्ष 2011 में भी जेकेके में इसका आयोजन हुआ था और तब काफी संख्या में आम दर्शकों ने इसे देखा और सराहा था। इसके साथ ही इस बार कलाकार और कलाकृतियों की चयन प्रक्रिया को भी पिछले वर्षों के मुकाबले थोड़ा कठिन किया गया है। इस बार राज्य स्तर पर पुरस्कृत कलाकारों की कृतियों को अधिक से अधिक संख्या में शामिल किया गया है। हालांकि उन कृतियों को भी शामिल किया गया है जो किन्हीं कारणों से पुरस्कृत नहीं हो पाई हों, लेकिन जो कलात्मक दृष्टि से बेहतर हैं।
लगभग एक हजार चित्रकार और मूर्तिकार
मेला परिसर में 110 स्टॉल्स में प्रदेश के एक हजार से भी अधिक चित्रकार और मूर्तिकार भाग लेंगे। इस बार भी कला मेले में कलाकृतियों की बिक्री पर विशेष जोर दिया जाएगा। पिछले आयोजनों की तरह इस बार भी इसके लिए आर्ट कलेक्टर्स, होटल इंडस्ट्री, इंटीरियर डेकोरेटर्स और स्कूल कॉलेजों को इसमें आमंत्रित कर कलाकृतियों की खरीद के लिए प्रेरित किया जाएगा। साथ ही मेले में व्यक्तिगत प्रोत्साहन पुरस्कार भी अधिक से अधिक संख्या में जुटाने की कोशिश की जा रही है।
काम के लोग
समारोह के संयोजक वरिष्ठ चित्रकार डॉ.नाथू लाल वर्मा ने अपनी विषम शारीरिक परिस्थियों के बावजूद पिछले दिनों अनवरत काम करते हुए कला मेले को आकार दिया है। अकादमी संकुल, शिल्पग्राम और शासन सचिवालय के बीच लगातार चले आवागमन और आवश्यक समन्वय के बाद एक बार फिर यह स्थापित हुआ है कि कला जगत में काम के लोग वास्तव में काफी कम हैं।
ये हैं चयन समिति के सदस्य
चयन समिति में मेला संयोजक नाथू लाल वर्मा सहित चित्रकार सुब्रतो मंडल, लालचंद मारोठिया, डॉ. जगमोहन माथोडिय़ा, श्वेत गोयल और मूर्तिकार सुमन गौड़ को शामिल किया गया।
सात से साथ होंगे एक हजार कलाकार
मूमल नेटवर्क, जयपुर।
राजस्थान ललित कला अकादमी के वार्षिक 17वां कला मेले की तैयारियां लगभग पूरी हो गई हैं। 7 से 11 फरवरी तक जवाहर कला केंद्र के शिल्पग्राम में आयोजित होने वाले इस मेले के लिए प्रदेश के विभिन्न भागों से कलाकार भाग लेगे।
इस बार मेले की उपयोगिता में और वृद्धि के लिए कई उपाय किए गए हैं। इसके तहत कला मेले के स्थान परिवर्तन को गंभीरता से लिया गया। इससे पहले तक यह कला मेला रवीन्द्र मंच परिसर में आयोजित किया जाता रहा, लेकिन वहां तक पहुंचने वाले दर्शकों की संख्या कम होने के कारण मेला अपेक्षाकृत फीका लगता था। इस बार शहर का कला केंद्र माने जाने वाले जवाहर कला केंद्र के शिल्पग्राम में इसे आयोजित किया जा रहा है। इससे पहले वर्ष 2011 में भी जेकेके में इसका आयोजन हुआ था और तब काफी संख्या में आम दर्शकों ने इसे देखा और सराहा था। इसके साथ ही इस बार कलाकार और कलाकृतियों की चयन प्रक्रिया को भी पिछले वर्षों के मुकाबले थोड़ा कठिन किया गया है। इस बार राज्य स्तर पर पुरस्कृत कलाकारों की कृतियों को अधिक से अधिक संख्या में शामिल किया गया है। हालांकि उन कृतियों को भी शामिल किया गया है जो किन्हीं कारणों से पुरस्कृत नहीं हो पाई हों, लेकिन जो कलात्मक दृष्टि से बेहतर हैं।
लगभग एक हजार चित्रकार और मूर्तिकार
मेला परिसर में 110 स्टॉल्स में प्रदेश के एक हजार से भी अधिक चित्रकार और मूर्तिकार भाग लेंगे। इस बार भी कला मेले में कलाकृतियों की बिक्री पर विशेष जोर दिया जाएगा। पिछले आयोजनों की तरह इस बार भी इसके लिए आर्ट कलेक्टर्स, होटल इंडस्ट्री, इंटीरियर डेकोरेटर्स और स्कूल कॉलेजों को इसमें आमंत्रित कर कलाकृतियों की खरीद के लिए प्रेरित किया जाएगा। साथ ही मेले में व्यक्तिगत प्रोत्साहन पुरस्कार भी अधिक से अधिक संख्या में जुटाने की कोशिश की जा रही है।
काम के लोग
समारोह के संयोजक वरिष्ठ चित्रकार डॉ.नाथू लाल वर्मा ने अपनी विषम शारीरिक परिस्थियों के बावजूद पिछले दिनों अनवरत काम करते हुए कला मेले को आकार दिया है। अकादमी संकुल, शिल्पग्राम और शासन सचिवालय के बीच लगातार चले आवागमन और आवश्यक समन्वय के बाद एक बार फिर यह स्थापित हुआ है कि कला जगत में काम के लोग वास्तव में काफी कम हैं।
ये हैं चयन समिति के सदस्य
चयन समिति में मेला संयोजक नाथू लाल वर्मा सहित चित्रकार सुब्रतो मंडल, लालचंद मारोठिया, डॉ. जगमोहन माथोडिय़ा, श्वेत गोयल और मूर्तिकार सुमन गौड़ को शामिल किया गया।
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