जवाहर कला केन्द्र
नेतृत्व के इन्तजार में
मूमल नेटवर्क, जयपुर। जवाहर कला केन्द्र इन दिनों शीर्ष नेतृत्व का इन्तजार कर रहा है। यह इन्तजार महानिदेशक
एडीजी तकनीक अनुराधा सिंह के कार्यकाल समप्त होने के साथ ही कलाकार संगठनों के विरोध ने तेजी पकड़ ली। विरोध को देखते हुए अपने कार्यकाल की समाप्ती के दो माह पहले ही महानिदेशक पूजा सूद ने राज्य सरकार को स्तीफा सौंप दिया। और अब जेकेके के कामकाज की कमान का भार वहां कार्यरत स्थायी कर्मचारियों पर आ गया है। जब तक कोई्र नया महानिदेशक सरकार द्वारा नियुक्त नहीं किया जाता तब तक जेकेके कर्मी केवल पूर्व घोषित कार्यक्रमों को ही अंजाम दे सकते हैं, कोई नया फैंसला नहीं ले सकते।
पहले थे चार रिर्सास पर्सन और अब एडीजे
जेकेके के कार्यों को प्रशासन और वित्त के अतिरिक्त चार विभागों में बांटा गया था डाक्यूमेंटेशन, ड्रामा, म्यूजिक एण्ड डांस तथा विजुअल आर्टस। इन विभागों में से डाक्यमेंटेशन डायरेक्टर व बाकी के तीनों विभागों के रिर्सोस पर्सन्स के पदों को समाप्त कर पूर्ववर्ती सरकार ने एडीजे तकनीक के नए पद का सृजन किया था। महानिदेशक और अतिरिक्त महानिदेशक तकनीक के पदों पर कॅान्टरेक्ट बेस व्यक्तियों की नियुक्ति की गई। और विभाग व उनमें कार्यरत कर्मियों को एडीजे तकनीक के अधीन कर दिया गया।
कई प्रोग्राम बन्द
जेकेके द्वारा संचालित कई कार्यक्रमों को नए अधिकारियों द्वारा समाप्त कर दिया गया जिसमें प्रमुख रूप से केन्द्र द्वारा लगाया जाने वाला वार्षिक हस्त्शिल्प मेला व राजस्थान के विजुअल आर्टिस्टों के आर्ट कैम्प शामिल हैं। इसके साथ ही प्रकाशन व शोध कार्यों को भी पूरी तरहा से समाप्त कर दिया गया। अलंकार म्यूजियम का अस्तित्व समाप्त कर उसमें प्रदर्शित की जा रही धरोहरों को खुर्द-ब-खुर्द कर दिया गया।
कर्मचारियों पर अतिरिक्त भार
स्थाई रूप से नियुक्त कर्मचारियों पर अतिरिक्त भार के चलते कुछ ने अपने मूल नियुक्ति वाले विभाग में लौटना श्रेयस्कर समझा। कुछ अतिरिक्त कार्यभार के साथ समझौता कर अपने पद व कार्य का तनावपूर्ण स्थिति में निर्वाह करते रहे। इसके चलते कुछ अर्सा पहले ही केन्द्र के ड्रामा विभाग को देख रहे संदीप मदान की ह्रदय गति रुकने से मृत्यु हो गई। संग्राहालय अध्यक्ष व डायरेक्टर डाक्यूमेंटेशन का अतिरिक्त कार्य देख रहे अधिकारी अब्दुल लतीफ उस्ता को लायबे्ररी के पदभार तक सीमित कर दिया गया, साथ ही कई अन्य कार्यों के उत्तर दायित्व के लिए बाध्य किया गया।
संस्कृति केन्द्र बना प्लाजा
जयपुर की सांस्कृतिक धड़कन के रूप में रवीन्द्र मंच के साथ अपना स्थान बना चुके जेकेके को एक तौर पर प्लाजा का रूप दे दिया गया। कई निजी संस्थाओं को स्थान व लाभ में भागीदारी दी गई।
क्या कहते हैं जानकार
जेकेके की स्थापना के समय से जुड़े वरिष्ठ कलाकारों और जानकारों का कहना है कि, एडीजे तकनीक के पद को समाप्त किया जाए ताकि सभी विभाग एक ही पद तक निहित ना रहें। पहले की तरहा डाक्यूमेंटेशन, ड्रामा, म्यूजिक एण्ड डांस तथा विजुअल आर्टस जैसे विभाग स्वतन्त्र रूप से अस्तित्व में लाए जाएं। सभी विभागों पर विषय विशेषज्ञों की नियुक्ति हो। इसके साथ ही प्रकाशन व शोध कार्य को फिर से सक्रिय किया जाए। राज्य के कलाकारों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए साथ ही जो नए व अच्छे कार्यक्रम चलाए गए हैं उन्हें भी जारी रखा जाए।
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