चित्रकार और मूर्तिकार सरदार शिव सिंह का निधन
मूमल नेटवर्क, चंडीगढ़। विश्व प्रसिद्ध चित्रकार और मूर्तिकार सरदार शिव सिंह का पंचकूला सेक्टर 21 के एक निजी अस्पताल में हार्ट अटैक के कारण निधन हो गया। वह 67 साल के थे और पिछले काफी समय से कैंसर की बीमारी से पीडि़त थे। उन्हें सीने में दर्द के चलते पिछले बुधवार को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, जहां पर उन्हें आज शुक्रवार तडक़े साढ़े 3 बजे हार्ट अटैक आया और उनका निधन हो गया। शिव सिंह की पत्नी गिसऐला मूल रूप से जर्मनी की है और पिछले लंबे समय उनके सेक्टर 6 पंचकूला घर पर उनकी सेवा कर रहीं थी। जबकि बेटा यसमिन अभी जर्मनी में ही है, जो रविवार को पंचकूला पहुंचेगा और उसके बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
जीवन
सरदार शिव सिंह का जन्म 1938 में होशियारपुर में हुआ था। 1958 से 1963 तक उन्होंने पहले पंजाब कॉलेज आफ ऑटर्स शिमला और उसके बाद चंडीगढ़ में अध्ययन किया। 1963 में 1968 तक उन्होंने सैनिक स्कूल कपूरथला में कला सिखाई। 1967 में उन्हें दूसरे राष्ट्रीय वास्तुशिल्पि कैंप दिल्ली में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया, जिसके बाद 1968 में जर्मन सरकार ने उन्हें जर्मनी में 3 साल के लिए कला क्षेत्र में एक उन्नत अध्ययन में छात्रवृत्ति और अनुसंधान की पेशकश की। उसके बाद उन्हें अपनी कला को यूरोप में कई बार प्रर्दशित करने का मौका मिला। 1972 से 1982 तक वह नई दिल्ली में ललित कला अकादमी के सदस्य रहे और पंजाब ललित कला अकादमी चंडीगढ़ के संस्थापक सदस्य रहे।
उन्होंने पंजाब कला परिषद के निर्माण में डा. एमएस रंधावा के साथ मिलकर काम किया। 1982 से 1984 ऑल इंडिया रेडियो स्टेशन, जालंधर की सलाहकार समिति के सदस्य थे। उन्होंने दूरदर्शन एवं अन्य टीवी चैनलों में दस डाक्यूमेंट्री टेलीविजन फिल्मों में काम किया। 2006 में दूरदर्शन जालंधर द्वारा दृश्य कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पंज पाणि पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। वह गर्वनमेंट होम साइंस कॉलेज चंडीगढ़ से 1996 में कला के प्रोफेसर के रूप में सेवानिवृत्त हुए। 1999 से 2005 तक चंडीगढ़ ललित कला अकादमी के अध्यक्ष रहे। चंडीगढ़ ललित कला अकादमी के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने कारगिल हीरो राष्ट्रीय कोष के लिए और सुनामी त्रासदी कोष चंडीगढ़ के कलाकारों की दो प्रदर्शनी का आयोजन किया, जिसमें उन्हों रुपये 65,000 रूपए और 145,000 रूपए एकत्रित कर दिए।
अनेक पुरस्कार रहे शिव सिंह के नाम
1979 में मूर्तिकला में उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार और 1982 में भारत के राष्ट्रपति नई दिल्ली में अखिल भारतीय प्रदर्शनी मे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए रजत पट्टिका से नवाजा गया। कई अखिल भारतीय और राज्य स्तरीय पुरस्कार भी प्राप्त किए। इसके बाद उन्हें कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पंजाब के राज्यपाल द्वारा सम्मानित किया गया।
मूर्तिसंग्रह
सरदार शिव सिंह द्वारा बनाई गई मूर्तियां दिल्ली की नेशनल गैलरी आफ मार्डन आर्ट, चंडीगढ़ संग्रहालय, पंजाब विश्वविद्यालय के संग्रहालय, राज्य संग्रहालय शिमला, हैक संग्रहालय, गुलाब कला संग्रहालय, जर्मनी, हरियाणा राज्य पर्यटन (पर्यटक रिज़ॉर्ट), रोहतक परिसर, राजहंस होटल सूरजकुंड और शिल्प संग्रहालय सूरजकुंड, तकनीकी संग्रहालय बैंगलोर; उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला व चंडीगढ़, पंजाब पुलिस अकादमी के शताब्दी (स्मारकीय मूर्तिकला 92) और भी पंजाब भवन चंडीगढ़ में भी लगी हुई है।
चित्रसंग्रह
उनकी बनाई पेंटिग्स चंडीगढ़ के विभिन्न होटलों, पंजाब राज्य मंडी बोर्ड, पंजाब एग्रो इंडस्ट्रीज कार्पोरेशन चंडीगढ़, पंजाब राजभवन चंडीगढ़, चंडीगढ़ गोल्फ क्लब, चंडीगढ़ क्लब, रेडक्रॉस पटियाला, उपायुक्त कार्यालय, पटियाला, पंजाब राज्य खाद्य कार्पोरेशन चंडीगढ़ और संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, डेनमार्क, स्वीडन, कनाडा, श्रीलंका, सिंगापुर, स्कॉटलैंड, इंग्लैंड और हॉलैंड मेंमें कई अन्य सार्वजनिक और निजी संग्रहालयों में लगी हुई है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें