मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली। सेबी ने एक और कलेक्टिव इनवेस्टमेंट स्कीम पर अपना डंडा चलाया है। सेबी ने ओशियान कोनोशियर ऑफ आर्ट के खिलाफ ऑर्डर जारी कर इसे बंद करने के लिए कहा है। सेबी ने कम्पनी को सभी निवशकों का पैसा ब्याज सहित पैसे लौटाने का आदेश भी दिया है।
सेबी के मुताबिक कंपनी ने इस स्कीम के लिए इजाजत नहीं ली थी। सेबी ने कंपनी को निवेशकों का पैसा 3 महीने के अंदर पैसा लौटाने को कहा है। इसके लिए मुनाफे में हिस्सा या 10 फीसदी ब्याज के साथ पैसा लौटाने का आदेश दिया गया है।
दरअसल ओसियान कनोशियर ऑफ आर्ट कलेक्टिव इनवेस्टमेंट स्कीम (सीआईएस) के तहत पैसा जमा करती थी। कंपनी आर्ट या पेंटिंग्स में निवेश करने का दावा करती थी और 10 लाख रुपए से निवेश शुरू होता था। ओसियान कनोशियर ऑफ आर्ट ने 656 निवेशकों से 102 करोड़ रुपये जुटाए थे।
ओसियान कनोशियर ऑफ आर्ट की कलेक्टिव इनवेस्टमेंट स्कीम 2006 में शुरू हुई थी जिसे जुलाई 2009 में खत्म होना था, लेकिन स्कीम की मैच्योरिटी के लिए कम्पनी समय-समय वक्त आगे बढ़ाती रही। साथ ही मैच्योरिटी पर निवेशकों को कोई लाभ नहीं हुआ।
आर्ट फंडों के लिए नियम कानून बदलेगा सेबी
मुंबई से मूमल की समाचार स्रोत वंदना के अनुसार प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) पिछले पांस सालों से आर्ट फंड पर अपने प्रस्तावित प्रावधानों पर कुछ सुधार करने की कवायत कर रहा है।
इस प्रस्तावित संशोधन में सभी आर्ट फंड को एकमुश्त अनुमति देने के स्थान पर केस-टू-केस बेसिस के आधार पर अनुमति देने पर सेबी विचार कर सकता है। फरवरी 2008 में सेबी ने कलेक्टिव इनवेस्टमेंट स्कीम के रूप में परिचालन कर रहे आर्ट फंड को पंजीकरण के लिए बुलाया था।
सेबी कानून की धारा 12(आईबी) के अनुसार बिना सेबी से पंजीकरण का सर्टिफिकेट प्राप्त किए कोई भी व्यक्ति न तो कलेक्टिव इनवेस्टमेंट स्कीम जारी कर सकते हैं और न ही इनके जारी करने का जरिया बन सकते हैं। सेबी ने यात्रा, ओसियान और क्रेयान आर्ट फंडों को पंजीकरण के प्रावधानों का पालन न करने के लिए पहले भी नोटिस जारी किया है।
इनमें से कई फंडों ने कहा कि वे पहचान योग्य और कुछ चयनित लोगों के लाभ के लिए बनाए गए ट्रस्ट हैं और ये सामान्य जनता से पूंजी इकठ्ठा नहीं कर रहे हैं। सेबी द्वारा इस मामले पर जल्द ही कोई फैसला करने की उम्मीद है। अपने परिचालन की प्रकृति की वजह आर्ट फंडों ने सेबी का ध्यान आकर्षित किया था। ये फंड अपने पोर्टफोलियो को डिस्क्लोज नहीं करते हैं।
इस माहौल मे सेबी कुछ सख्त पाबंदियों पर विचार कर रहा है। एक मामले की एक अपीलकर्ता कंपनी से जुडे हुए वकील का कहना है कि सेबी ने इस तथ्य से इंकार किया है कि ये फंड किसी भी प्रकार एक निश्चित समूह को लाभ पहुंचाने वाले ट्रस्ट हैं। उसे आर्ट फंड को अपने समीक्षा के अधीन लाने के लिए कोई बीच का रास्ता निकालना होगा।
वैश्विक बाजार में चल रहे उतार-चढ़ावों की वजह से कुछ आर्ट फंडों ने अपनी लांचिंग को टाल दिया है। जब आर्ट फंडों की तेजी से लांचिंग हो रही थी तब देश में आर्ट का संगठित बाजार 800 करोड़ रुपयों का था और यह सालाना 30 फीसदी की रफ्तार से बढऩे के दावे किए जा रहे थे। विशेषज्ञों के अनुसार एबीएन एमरो, यस बैंक और आईसीआईसीआई बैंक आर्ट एडवायजरी ऑफर करके आर्ट वर्क के चयन करने और खरीदने के बारे में सलाह दी जाती थी।
आर्ट फंड की अधिक जानकारी के लिए देखें http://moomalgaliyara.blogspot.in
सेबी के मुताबिक कंपनी ने इस स्कीम के लिए इजाजत नहीं ली थी। सेबी ने कंपनी को निवेशकों का पैसा 3 महीने के अंदर पैसा लौटाने को कहा है। इसके लिए मुनाफे में हिस्सा या 10 फीसदी ब्याज के साथ पैसा लौटाने का आदेश दिया गया है।
दरअसल ओसियान कनोशियर ऑफ आर्ट कलेक्टिव इनवेस्टमेंट स्कीम (सीआईएस) के तहत पैसा जमा करती थी। कंपनी आर्ट या पेंटिंग्स में निवेश करने का दावा करती थी और 10 लाख रुपए से निवेश शुरू होता था। ओसियान कनोशियर ऑफ आर्ट ने 656 निवेशकों से 102 करोड़ रुपये जुटाए थे।
ओसियान कनोशियर ऑफ आर्ट की कलेक्टिव इनवेस्टमेंट स्कीम 2006 में शुरू हुई थी जिसे जुलाई 2009 में खत्म होना था, लेकिन स्कीम की मैच्योरिटी के लिए कम्पनी समय-समय वक्त आगे बढ़ाती रही। साथ ही मैच्योरिटी पर निवेशकों को कोई लाभ नहीं हुआ।
आर्ट फंडों के लिए नियम कानून बदलेगा सेबी
मुंबई से मूमल की समाचार स्रोत वंदना के अनुसार प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) पिछले पांस सालों से आर्ट फंड पर अपने प्रस्तावित प्रावधानों पर कुछ सुधार करने की कवायत कर रहा है।
इस प्रस्तावित संशोधन में सभी आर्ट फंड को एकमुश्त अनुमति देने के स्थान पर केस-टू-केस बेसिस के आधार पर अनुमति देने पर सेबी विचार कर सकता है। फरवरी 2008 में सेबी ने कलेक्टिव इनवेस्टमेंट स्कीम के रूप में परिचालन कर रहे आर्ट फंड को पंजीकरण के लिए बुलाया था।
सेबी कानून की धारा 12(आईबी) के अनुसार बिना सेबी से पंजीकरण का सर्टिफिकेट प्राप्त किए कोई भी व्यक्ति न तो कलेक्टिव इनवेस्टमेंट स्कीम जारी कर सकते हैं और न ही इनके जारी करने का जरिया बन सकते हैं। सेबी ने यात्रा, ओसियान और क्रेयान आर्ट फंडों को पंजीकरण के प्रावधानों का पालन न करने के लिए पहले भी नोटिस जारी किया है।
इनमें से कई फंडों ने कहा कि वे पहचान योग्य और कुछ चयनित लोगों के लाभ के लिए बनाए गए ट्रस्ट हैं और ये सामान्य जनता से पूंजी इकठ्ठा नहीं कर रहे हैं। सेबी द्वारा इस मामले पर जल्द ही कोई फैसला करने की उम्मीद है। अपने परिचालन की प्रकृति की वजह आर्ट फंडों ने सेबी का ध्यान आकर्षित किया था। ये फंड अपने पोर्टफोलियो को डिस्क्लोज नहीं करते हैं।
इस माहौल मे सेबी कुछ सख्त पाबंदियों पर विचार कर रहा है। एक मामले की एक अपीलकर्ता कंपनी से जुडे हुए वकील का कहना है कि सेबी ने इस तथ्य से इंकार किया है कि ये फंड किसी भी प्रकार एक निश्चित समूह को लाभ पहुंचाने वाले ट्रस्ट हैं। उसे आर्ट फंड को अपने समीक्षा के अधीन लाने के लिए कोई बीच का रास्ता निकालना होगा।
वैश्विक बाजार में चल रहे उतार-चढ़ावों की वजह से कुछ आर्ट फंडों ने अपनी लांचिंग को टाल दिया है। जब आर्ट फंडों की तेजी से लांचिंग हो रही थी तब देश में आर्ट का संगठित बाजार 800 करोड़ रुपयों का था और यह सालाना 30 फीसदी की रफ्तार से बढऩे के दावे किए जा रहे थे। विशेषज्ञों के अनुसार एबीएन एमरो, यस बैंक और आईसीआईसीआई बैंक आर्ट एडवायजरी ऑफर करके आर्ट वर्क के चयन करने और खरीदने के बारे में सलाह दी जाती थी।
आर्ट फंड की अधिक जानकारी के लिए देखें http://moomalgaliyara.blogspot.in