मूमल नेटवर्क, जयपुर। नारी देह के गठन को गहनता से उकेरने वाले कोलकाता के वरिष्ठ कलाकार अल्बर्ट अशोक की आधा दर्जन पेंटिंग्स जयपुर में आयोजित एक प्रदर्शनी से हटा दी गई। यह एक ग्रुप शो था, जो गुलाबी नगर जयपुर के जवाहर कला केंद्र की सुरेख कला दीर्घा में 7 दिसम्बर को शुरू हुआ था। अल्बर्ट अशोक ने बताया कि 7 दिसम्बर को प्रदर्शनी के उद्धाटन के बाद चार दिन तक उनकी पेंटिंग्स अनेक कला प्रेमियों ने देखी और सभी ने उनकी सोच और कुशलता की सराहना की। अचानक 11 दिसम्बर को इन्हें हटा दिया गया।
चक्कर खा गए कलाकार
जब गैलेरी खुली तो उनकी 6 पेंटिँग्स वहां नहीं मिली। जेकेके प्रशासन से बात की गई तो उन्हें केवल यह बताया गया कि वह पेंटिंग्स अश£ील हैं इसलिए उन्हें प्रदर्शित नहीं किया जा सकता। प्रदर्शनी के अंतिम दिन तक वे अश£ीलता के अर्थ और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मायने जानने के लिए अधिकारियों के चक्कर लगाते रहे, लेकिन उन्हें कोई अधिकारी अपनी सीट पर नहीं मिला। अधिनस्थ कर्मचारियों ने न तो किसी अधिकारी से उनकी बात कराई और न ही अधिकारियों के फोन नम्बर भी उन्हें उपलब्ध नहीं कराए। उन्हें केवल यह बताया गया कि जब प्रदर्शनी का समय पूरा हो जाए तो आप अपनी पेंर्टिस स्टोर से प्राप्त कर लें।
कलाकारों का विरोध
जयपुर के कुछ कलाकारों ने जेकेके प्रशासन की इस कार्रवाई का विरोध किया है। मूर्तिकार हंसराज कुमावत, फोटोग्राफर सुरेश मीणा व कलाक्षेत्र से जुड़े नरेश नाथ और बहादुर हेमराणा इनमें शामिल हैं। इनका कहना है कि यह कार्रवाई एक कलाकार की अभिव्यक्ति पर रोक लगाने जैसी कार्रवाई है। उन्होंने बताया कि इससे पहले वरिष्ठ कलाकार जतिन दास की ऐसी ही अभिव्यक्ति वाली पेंटिंग्स को यहां लम्बे समय तक प्रदर्शित किया गया था और उन्हें उन्हें राज्य सरकार ने स्टेट गेस्ट का सम्मान दिया गया था। उनके द्वारा प्रदर्शित पेंर्टिग्स की जानकारी मिलने पर स्टेट गेस्ट होने के बावजूद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदर्शनी का उद्धाटन करना टाल दिया था। बाद में कला और संस्कृति मंंत्री वीना काक ने यह रस्म पूरी की थी। इसके अलावा भी कलाकारों ने अनेक ऐसे अवसरों का उल्लेख किया जब अश£ील की श्रेणी में चर्चित हुई पेंटिंग्स का प्रदर्शन होता रहा है।
भाव केंद्र में प्रेम व लगाव
'परिचय' नाम से हुई इस प्रदर्शनी में कोलकाता के अल्बर्ट अशोक सहित झारखंड के अनूप कुमार सिन्हा, विप्लव रॉय, कार्तिक कुमार प्रसाद, शुभेंदु विश्वास और मुक्ता गुप्ता, कोच्चि के सीए वामन शेनॉय वी व नई दिल्ली के स्वतंत्र की कलाकृतियां प्रदर्शित की गई। सात चित्रकारों और एक मूर्तिकार की कृतियां यहां दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी रही। इस प्रदर्शनी में प्रेम और लगाव के भाव केंद्र में थे, वहीं बनारस के घाटों का सौंदर्य उड़ीसा के तटीय इलाकों की हलचल को भी कलाकारों ने अपने सृजन का माध्यम बनाया। झारखंड के वरिष्ठ चित्रकार विप्लव रॉय की कृति में उड़ीसा के तटीय इलाकों की हलचल का चित्रांकन और बनारस के घाटों का सौंदर्य देखने योग्य है। झारखंड की लोक संस्कृति के लैंडस्केप भी विप्लव रॉय के बेहतरीन सृजन में से एक था। विंटेज कार विशेषज्ञ नील बहादुर सिंह कार्की ने इसका उद्घाटन किया। प्रदर्शनी 13 दिसंबर तक चली।
(खुद कलाकार ने इस संबंध में कला जगत के लोगों को एक अपील की है जो नीचे दी जा रही है.)
I protest this incident. I protest against the action that the govt gallery has done to me. I feel my rights of expression has been violated.I feel unsafe here.
Please , take action. Thank you
आपके लिए
हालांकि मूमल इन पेंटिंग्स के अश£ील होने या नहीं होने के विवाद में नहीं है, इसलिए उन्हें इस समाचार के साथ प्रकाशित नहीं किया जा रहा, लेकिन जो सुधि पाठक इन्हें देख कर अपनी राय बनना चाहें उनके चाहने पर यह उपलब्ध कराई जा सकती है। इसके लिए लिखें Pls. send me Albert Ashok's pentings और कृपया यहां मेल करें। moomalnews@gmail.com
चक्कर खा गए कलाकार
जब गैलेरी खुली तो उनकी 6 पेंटिँग्स वहां नहीं मिली। जेकेके प्रशासन से बात की गई तो उन्हें केवल यह बताया गया कि वह पेंटिंग्स अश£ील हैं इसलिए उन्हें प्रदर्शित नहीं किया जा सकता। प्रदर्शनी के अंतिम दिन तक वे अश£ीलता के अर्थ और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मायने जानने के लिए अधिकारियों के चक्कर लगाते रहे, लेकिन उन्हें कोई अधिकारी अपनी सीट पर नहीं मिला। अधिनस्थ कर्मचारियों ने न तो किसी अधिकारी से उनकी बात कराई और न ही अधिकारियों के फोन नम्बर भी उन्हें उपलब्ध नहीं कराए। उन्हें केवल यह बताया गया कि जब प्रदर्शनी का समय पूरा हो जाए तो आप अपनी पेंर्टिस स्टोर से प्राप्त कर लें।
कलाकारों का विरोध
जयपुर के कुछ कलाकारों ने जेकेके प्रशासन की इस कार्रवाई का विरोध किया है। मूर्तिकार हंसराज कुमावत, फोटोग्राफर सुरेश मीणा व कलाक्षेत्र से जुड़े नरेश नाथ और बहादुर हेमराणा इनमें शामिल हैं। इनका कहना है कि यह कार्रवाई एक कलाकार की अभिव्यक्ति पर रोक लगाने जैसी कार्रवाई है। उन्होंने बताया कि इससे पहले वरिष्ठ कलाकार जतिन दास की ऐसी ही अभिव्यक्ति वाली पेंटिंग्स को यहां लम्बे समय तक प्रदर्शित किया गया था और उन्हें उन्हें राज्य सरकार ने स्टेट गेस्ट का सम्मान दिया गया था। उनके द्वारा प्रदर्शित पेंर्टिग्स की जानकारी मिलने पर स्टेट गेस्ट होने के बावजूद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदर्शनी का उद्धाटन करना टाल दिया था। बाद में कला और संस्कृति मंंत्री वीना काक ने यह रस्म पूरी की थी। इसके अलावा भी कलाकारों ने अनेक ऐसे अवसरों का उल्लेख किया जब अश£ील की श्रेणी में चर्चित हुई पेंटिंग्स का प्रदर्शन होता रहा है।
भाव केंद्र में प्रेम व लगाव
'परिचय' नाम से हुई इस प्रदर्शनी में कोलकाता के अल्बर्ट अशोक सहित झारखंड के अनूप कुमार सिन्हा, विप्लव रॉय, कार्तिक कुमार प्रसाद, शुभेंदु विश्वास और मुक्ता गुप्ता, कोच्चि के सीए वामन शेनॉय वी व नई दिल्ली के स्वतंत्र की कलाकृतियां प्रदर्शित की गई। सात चित्रकारों और एक मूर्तिकार की कृतियां यहां दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी रही। इस प्रदर्शनी में प्रेम और लगाव के भाव केंद्र में थे, वहीं बनारस के घाटों का सौंदर्य उड़ीसा के तटीय इलाकों की हलचल को भी कलाकारों ने अपने सृजन का माध्यम बनाया। झारखंड के वरिष्ठ चित्रकार विप्लव रॉय की कृति में उड़ीसा के तटीय इलाकों की हलचल का चित्रांकन और बनारस के घाटों का सौंदर्य देखने योग्य है। झारखंड की लोक संस्कृति के लैंडस्केप भी विप्लव रॉय के बेहतरीन सृजन में से एक था। विंटेज कार विशेषज्ञ नील बहादुर सिंह कार्की ने इसका उद्घाटन किया। प्रदर्शनी 13 दिसंबर तक चली।
(खुद कलाकार ने इस संबंध में कला जगत के लोगों को एक अपील की है जो नीचे दी जा रही है.)
Dear
sir,
This
is to inform you that the authority of Jawaharlal Kala Kendra, Jaipur,
Rajasthan has removed my six paintings from my ongoing group exhibition
on the third day, 11th Dec 2012. He has not given me any written letter
nor asked me to
remove. He verbally said that some
pressure from upper official level he is receiving and his boss an I A S
officer had ordered him to remove. Please I request you to ask him what
actually happened that he removed my six paintings from the ongoing
show. I cant have any document once our exhibition date expires, that is
on 13 th dec. (the exhibition started on 7th Dec and will close on 13th
dec)
I protest this incident. I protest against the action that the govt gallery has done to me. I feel my rights of expression has been violated.I feel unsafe here.
The
local Paper and Tv media had broadcasted and published about our
exhibition but they don’t know about the incident that the authority has
removed my all paintings violating my human rights—freedom of
expression, I want to inform all of you about the incident.
Please , take action. Thank you
Albert Ashok
H 63, B P Township, Kolkata- 94
Mobile – (91) 98314 45765
हालांकि मूमल इन पेंटिंग्स के अश£ील होने या नहीं होने के विवाद में नहीं है, इसलिए उन्हें इस समाचार के साथ प्रकाशित नहीं किया जा रहा, लेकिन जो सुधि पाठक इन्हें देख कर अपनी राय बनना चाहें उनके चाहने पर यह उपलब्ध कराई जा सकती है। इसके लिए लिखें Pls. send me Albert Ashok's pentings और कृपया यहां मेल करें। moomalnews@gmail.com
1 टिप्पणी:
प्रशंसनीय, साधुवाद !!
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